क्राउड फंड से स्मार्ट स्कूल तैयार : प्रोजेक्टर, वाई-फाई युक्त क्लासरूम में एक्सपर्ट टीचर्स भी

Smart school set up with help of crowdfund with smart equipment
क्राउड फंड से स्मार्ट स्कूल तैयार : प्रोजेक्टर, वाई-फाई युक्त क्लासरूम में एक्सपर्ट टीचर्स भी
क्राउड फंड से स्मार्ट स्कूल तैयार : प्रोजेक्टर, वाई-फाई युक्त क्लासरूम में एक्सपर्ट टीचर्स भी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में क्राउड फंड से स्मार्ट स्कूल बनाई गई है, जिसमें प्रोजेक्टर, वाई-फाई युक्त क्लासरूम में एक्सपर्ट टीचर्स भी हैं। यह सब हिन्दी मीडियम की स्कूलों में स्टूडेंट्स की लगातार घट रही संख्या को देखते हुए किया गया है। हिन्दी मीडियम की स्कूलों में सरकारी और प्रशासनिक स्तर पर काफी प्रयास किए जा रहे हैं कि इन स्कूलों की ओर स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स को हर हाल में आकर्षित किया जाए। इस बीच शहर का एक हिन्दी स्कूल इन दिनों अच्छी वजह से चर्चा में हैं।

दरअसल नागपुर के हिन्दी मीडियम स्कूलों के टीचर्स ने एक नई मुहिम चलाते हुए ‘क्राउड फंड’बनाया किया है। इसमें टीचर्स ने ग्रामीणों को प्रोत्साहित करते हुए उनसे चंदा जुटाया और उस राशि को स्कूलों की व्यवस्था सुधारने में लगाया। इसका फायदा यह हुआ कि सुविधाओं से वंचित स्कूलों की तस्वीर आज बदल गई है। 

प्रोजेक्टर और स्क्रीन पर पढ़ाई  
स्कूल में 1200 बच्चे हैं। हेडमास्टर सुनील नायक कहते हैं कि स्कूल में प्रोजेक्टर और वाई-फाई युक्त क्लासरूम के चलते अब हमारा स्कूल ई-लर्निंग स्कूल है। इस स्कूल में कंप्यूटर से लेकर सारी सुविधाएं हैं, जो किसी बड़े स्कूल में उपलब्ध कराई जाती है। छोटे-छोटे बच्चे प्रोजेक्टर और स्क्रीन पर पढ़ाई कर रहे हैं। यहां तक कि इंटनरेट के माध्यम से भी उन्हें पढ़ाया जाता है। इसी प्रयासों की वजह से हेडमास्टर सुनील नायक को वर्ष 2013-14 में राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला था। 

सिलेबस के हिसाब से क्लास
हमने पॉवर प्वांइट पर सिलेबस तैयार किया है और उसे हम प्राेजेक्टर के माध्यम से बताते हैं। कक्षा पहली से दसवीं तक हम स्टूडेंट्स को ई-लर्निंग कोर्स करवाते हैं। इसमें प्राइमरी के स्टूडेंट्स को कविताओं से लेकर शब्द ज्ञान आदि सिखाते हैं। कुछ मटेरियल यू-ट्यूब से डाउनलोड कर लेते हैं। मैथ्स और सांइस जैसे विषय को हम प्रोजेक्टर के जरिए पढ़ाते हैं। हमारे स्कूल का रिजल्ट 99 प्रतिशत रहता है। वहीं 10वीं का रिजल्ट भी 94 प्रतिशत के आस-पास है। सभी शिक्षक बच्चों को कम्प्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से जानकारी देते हैं, ताकि समय के साथ-साथ उन्हें डिजिटल तकनीक का ज्ञान हो सके। सरकार की ओर से 12 कम्प्यूटर मिले हैं।  
(सुनील नायक, हेडमास्टर, ज्ञान विकास माध्यमिक विद्यालय, नंदनवन)

फंड की व्यवस्था ऐसे होती है

स्कूल की व्यवस्था में सुधार के लिए रोटरी संस्था और विदर्भ सेवा समिति से काफी मदद मिली, लोग भी मदद करते हैं। इसके अलावा शिक्षक मिलकर फंड देते हैं।

ई-लर्निंग के लिए शिक्षक 
हमारे छात्रों की संख्या बढ़ी है। शिक्षकों ने फंड का इस्तेमाल कर एक टीचर को रखा है, ताकि बच्चों को आसानी ई-लर्निंग सिखाई जा सके। 

हमारा लक्ष्य यह है
निजी स्तर पर चंदा करके शिक्षक बच्चों को डिजिटल क्षेत्र में आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि उन्हें आगे चलकर परेशानी न हो।

एचपीसीएल ने पांच लाख दिए
नए वॉशरूम के लिए एचपीसीएल हमें पांच लाख रुपए दे रहा है। इससे तीन अलग-अलग वॉश रूम बनाए जाएंगे। प्रस्ताव मंजूर हो चुका है। 

आर्ट गैलरी बनाई
हमने स्कूल में आर्ट गैलरी बनाई है, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा बनाई गईं पेंटिंग, ड्राइंग, शुद्ध लेखन, सुंदर अक्षर प्रतियोगिताएं होती हैं अव्वल विद्यार्थी को हम गेस्ट बनाते हैं और रिबन कटवाते हैं। उनकी कलाकृतियों को विशेष आर्ट गैलरी में सजाया जाता है। इससे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलता है। 

ई-लर्निंग कोर्स के लाभ 
विजुअली पढ़ने से सीखने की क्षमता दोगुनी हो जाती है।
विद्यार्थी अपेक्षाकृत अंग्रेजी बाेलना जल्दी सीखते हैं।
विज्ञान और गणित प्रयोग द्वारा समझाए जाते हैं। 
पीपीटी तैयार कर शिक्षक पावर प्वांइट के जरिए सिखाते हैं।
दसवीं व बारहवीं के बच्चों को करियर गाइडेंस दिया जाता है।
 

Created On :   31 Aug 2018 7:35 AM GMT

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