स्नानदान अमावस्या : दरिद्रता दूर करने इस विधि से करें पूजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्नान.दान की अमावस्या इस बार 17 जनवरी को मनाई जा रही है। प्रत्येक माह में एक अमावस्या आती है। हर दिन का अपना महत्व तिथि एवं वार के अनुसार होता है। इस दिन को व्रत पूजन के लिए भी शुभ माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार यह दिन उन लोगों के लिए सर्वाधिक उर्पयुक्त होता है जो अपने जीवन में कष्टों से घिरे हुए हैं और ईश्वर की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।
1. इस दिन स्नान कर भगवान शिव शंकर की पूजा की जाती है। पवित्र नदी सरोवरों में ब्रम्हमुहूर्त मंे दर्शन कर सूर्य को अघ्र्य और महादेव की पूजा अति उत्तम बतायी गई है। भगवान भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और तुलसी की परिक्रमा जीवन के सभी दोषों का अंत करने वाली होती है।
2. परिक्रमा में आप जिन वस्तुओं को प्रसाद स्वरूप प्राप्त करें उन्हें गरीबों को दान कर दें। संभव हो तो तुलसी की 108 परिक्रमा करें।
3. संध्याकाल में पुनः भगवान शिव एवं पार्वती का पूजन करें साथी सरसों के तेल का दीपक वृक्ष के नीचे जलाकर प्रार्थना करें।
4. वे लोग जो अपने जीवनकाल में दरिद्रता से परेशान हैं और सुखों की कामना करते हैं उन्हें विशेष रूप से इस दिन भगवान विष्णु, शिव एवं माता पार्वती के साथ ही लक्ष्मी की भी पूजा करना चाहिए।
5. इस दिन का नाम ही स्नानदान अमाावस्या है। अर्थात पवित्र नदी में स्नान के बाद यथाशक्ति दान करें। इस दिन जितने भी गरीबों को संभव हो सके भोजन कराएं। अपने द्वार पर आने वाले किसी भी भिक्षु को खाली हाथ ना जानें दें। दान के लिए इस दिन का खास महत्व माना गया है।
6. भगवान शिव माता पार्वती और भगवान विष्णु को उनकी प्रिय वस्तुए अर्पित करें। शिव का अभिषेक करें और विधि-विधान से पूजन कर प्रार्थना करें। ऐसा करने से भगवान आपकी प्रार्थना अवश्य सुनेंगे।
Created On :   12 Jan 2018 3:32 AM GMT