एट्रोसिटी से जुड़े मामलों की जल्द सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय बने

soon made a Special court to hear cases related to the Atrocity
एट्रोसिटी से जुड़े मामलों की जल्द सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय बने
एट्रोसिटी से जुड़े मामलों की जल्द सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय बने

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार प्रतिबंधक कानून सख्ती से लागू करने के लिए नागपुर में अधिकारी जुट गये हैं। एट्रोसिटी एक्ट से जुड़े मामलों की जल्द सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय की जरूरत पर जोर दिया गया। कानून अंतर्गत आवश्यक दस्तावेज जमा करने और प्रक्रिया के विलंब को दूर करने का भी आह्वान किया गया। चर्चा के दौरान शिकायतकर्ता अथवा चश्मदीद की जान को खतरा होने पर उसे पहले संरक्षण देने और बाद में जांच करने की भी मांग की गई। 

एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट को सख्ती से लागू करने के लिए विभागीय दक्षता व नियंत्रण समिति की विभागीय आयुक्त कार्यालय में बैठक हुई। बैठक में दक्षता समिति के कार्यों की वरिष्ठ अधिकारियों को बार-बार समीक्षा करने के सुझाव विधि व न्याया, गृह विभाग व समाज कल्याण विभाग के विशेषज्ञों ने दिए। कार्यशाला में विशेष पुलिस महानिरीक्षक, नागरी हक्क व संरक्षण विभाग के कैसर खालिद, जिला न्यायाधीश व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.एम. काजी, मुख्य जिला व सत्र न्यायाधीश शशिकांत सावले, महाराष्ट्र अनुसूचित आयोग के विधि सदस्य सी.एल. थूल, गडचिरोली जिलाधिकारी शेखर सिंह, नागपुर जिलाधिकारी अश्विन मुद्गल, गोंदिया जिलाधिकारी कादंबरी बलकवडे उपस्थित थे। 

इन्होंने दिए सुझाव
चर्चा के दौरान मुख्य जिला न्यायाधीश शशिकांत सावले ने एट्रोसिटी एक्ट में आवश्यक सबूत एकत्रित करने और प्रक्रिया में विलंब दूर करने पर जोर देने का आह्वान किया। जिला न्यायाधीश ए.एम. काझी ने शिकायकर्ता अथवा गवाहदार की जान को खतरा होने पर उन्हें पहले संरक्षण देने और बाद में जांच करने का कहा।

राज्य अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य सी.एल. थूल ने अधिनियम के प्रावधान बाबत के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि एट्रोसिटी सुधारित अधिनियम के प्रावधान अनुसार महाराष्ट्र में चार स्पेशल कोर्ट नए सिरे से शुरू किए गए हैं। एट्रोसिटी एक्ट अनुसार पीड़ितों को आर्थिक व सामाजिक पुनर्वसन पर जोर दिया गया है। ऐसे लोगों को अनाज की आपूर्ति आवश्यक है। एट्रोसिटी के मामलों पर नियंत्रण रखने के लिए संबंधित अधिकारियों को लगातार समीक्षा बैठक करनी चाहिए। दक्षता समिति के सभी सदस्यों ने जिम्मेदारी तय की गई है। इसे गंभीरता से पूरा करना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति को उसकी पात्रता अनुसार शासकीय विभाग में अनुकंपा तत्व पर नौकरी देनी होगी। कार्यशाला की प्रस्तावना समाज कल्याण विभाग के प्रादेशिक उपायुक्त डॉ. सिद्धार्थ गायकवाड ने और आभार प्रदर्शन विभागीय आयुक्त डॉ. संजीव कुमार ने किया। 

कानून की खामियां और उपाययोजना पर ध्यान आकर्षित कराया 
कार्यशाला के प्रारंभ में जिला शासकीय अधिवक्ता नितीन तेलगोटे ने एट्रोसिटी एक्ट के प्रकरणों का त्वरित निपटारा करने के लिए विशेष न्यायालय की जरूरत पर जोर दिया। विशेष पुलिस महानिरीक्षक, नागरी हक्क व संरक्षण विभाग कैसर खालिद ने पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन द्वारा अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार प्रतिबंधक कानून अंतर्गत पुलिस विभाग से संबंधित विविध कानून, प्रावधान और दिक्कतों पर विस्तृत मार्गदर्शन किया। इसके बाद जिला न्यायाधीश ए.एम. काजी ने एट्रोसिटी प्रकरण की खामियों व संबंधित विविध कानून पर मार्गदर्शन किया। मुख्य जिला व सत्र न्यायाधीश शशिकांत सावले ने एट्रोसिटी एक्ट के न्यायालयीन प्रकरण के दौरान  आने वाली दिक्कतों व उपाययोजना पर मार्गदर्शन किया। महाराष्ट्र अनुसूचित जाति (विधि) आयोग के सदस्य सी.एल. थूल ने अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार प्रतिबंधक अधिनियम के महत्वपू‌र्ण प्रावधानों पर मार्गदर्शन किया। 
 

Created On :   25 April 2019 8:33 AM GMT

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