श्री श्री रविशंकर ने की मोहन भागवत से मुलाकात 

Sri Sri Ravi Shankar met the RSS chief Mohan Bhagwat
श्री श्री रविशंकर ने की मोहन भागवत से मुलाकात 
श्री श्री रविशंकर ने की मोहन भागवत से मुलाकात 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने शनिवार को रेशमबाग स्थित स्मृति भवन में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात की। करीब एक घंटे तक चर्चा के बाद वे संघ के घोष पथक कार्यक्रम में शामिल हुए। दोनों के बीच हुई चर्चा के बारे में अधिकृत जानकारी नहीं मिली है। लेकिन माना जा रहा है कि श्री श्री रविशंकर ने मंदिर मामले पर सरसंघचालक से मुलाकात की। गौरतलब है कि श्री श्री रविशंकर मंदिर मामले को लेकर अयोध्या भी गए थे।

 दोनों पक्षों के लोगों से सुलह की भी पहल की। इससे पहले श्री श्री ने यह भी कहा कि 6 माह से मंदिर मामले पर चर्चा का दौर चल रहा है। इस मामले पर न्यायालय के बाहर ही दोने पक्षों में सहमति होना ठीक होगा। इसे लेकर संघ व भाजपा के कई नेता बार बार बयान देते रहे हैं। सरसंघचालक से मिलने के लिए श्री श्री कार से पहुंचे थे। दोपहर करीब 4.30 बजे संवाद माध्यम के प्रतिनिधियों ने उनसे संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी कार की खिड़की ही नहीं खुली। 

मोक्ष पर श्री श्री के विचार
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने कहा कि मोक्ष मरने के बाद प्राप्त नहीं होता। जीते जी ही मोक्ष प्राप्त हो सकता है। मरने के बाद तो दूसरों को मोक्ष प्राप्त होगा। इसलिए जीवन में सत्कर्म करो, मोक्ष की प्राप्ति होगी। जो होता है, उसी का नाम भगवान है। प्रेम भगवान है। भक्ति के प्रेम में डूब जाओगे तो भगवान की प्राप्ति होगी। इनडोर स्टेडियम में अंतरंग वार्ता कार्यक्रम में वे साधकों की समस्याओं का समाधान बता रहे थे। एक साधक ने मोह से निकलने का उपाय पूछा। इसपर श्री श्री ने कहा कि मोह में फंस जाते हो तो कोई बात नहीं, एक बार तो वह समय आ ही जाएगा, जब आप सुधर जाओगे। विश्व की शुरूआत कब हुई, इस प्रश्न पर श्री श्री ने कहा कि विश्व अनंत है। उसका कोई अंत ही नहीं है। इसलिए उसकी ना शुरूआत हुई और न ही अंत होगा। जीवन निरंतर गतिशील है। वह कभी थमता नहीं है।

संवेदनशीलता के साथ तार्किकता होनी चाहिए
श्री श्री ने कहा कि जीवन में संवेदनशीलता के साथ तार्किकता भी होनी चाहिए। दिल और दिमाग खुला रखना चाहिए। तभी जाकर जीवन संुदर बन सकता है। अंतरंग वार्ता को परिभाषित करते हुए कहा कि रंग का अर्थ मंच अंदर का स्थान है। यह दुनिया रंग-बिरंगी है। सूर्य के प्रकाश का एक हिस्सा लेती है। सारे रंगों को मिला दिया जाने पर रंगीन हो जाता है। हम भी अपने जीवन में दुनिया के कुछ रंग ले और कुछ दे। कुछ छोड़ दे तो जीवन सुंदर और रंग-बिरंगा बन जाएगा। जीवन को विशाल दृष्टकोण से देखें। असुरक्षा की भावना को मन से बाहर निकाल दें।

Created On :   19 Nov 2017 10:10 AM GMT

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