अंधविश्वास : सांप के काटने पर डॉक्टर के बजाए झाड़फूंक कराने ले गए, मौत

Superstition: On the snake bite, instead of a doctor, took a chanting, death
अंधविश्वास : सांप के काटने पर डॉक्टर के बजाए झाड़फूंक कराने ले गए, मौत
अंधविश्वास : सांप के काटने पर डॉक्टर के बजाए झाड़फूंक कराने ले गए, मौत

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। चांद के ग्राम ढुटमर की एक सर्पदंश पीड़िता की अंधविश्वास के चलते मौत हो गई। सर्पदंश पीड़िता का इलाज कराने से पहले परिजन उसे गांव-गांव झाड़फूंक कराने घूमते रहे। जब तक उसकी मौत हो चुकी थी। डॉक्टरों ने मृत घोषित कर शव पोस्टमार्टम कक्ष में रखने वार्ड बॉय से कहा। परिजनों ने पीएम से इनकार करते हुए वार्ड बॉय से शव छीना और अस्पताल से बाहर जाने लगे। वार्ड बॉय ने इस मामले की सूचना अस्पताल चौकी में दी। अस्पताल चौकी में पदस्थ प्रधान आरक्षक दिनेश रघुवंशी ने मौके पर पहुंचकर शव अपने कब्जे में लेना चाहा तो परिजनों ने हंगामा मचा दिया। 

प्रधान आरक्षक दिनेश रघुवंशी ने बताया कि मामला बिगड़ने पर कोतवाली से पुलिस बल बुलाया गया। तब कहीं मृतका के परिजन शांत हो पाए और पीएम कराने तैयार हुए। अस्पताल चौकी पुलिस ने बताया कि 45 वर्षीय रायसिरा पति बाजेराव उईके घर पर कंंडे थोप रही थी। इस दौरान जहरीले सर्प ने उसे डस लिया। जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले को जांच में लिया है।

पीड़िता को तीन गांव लेकर घूमते रहे परिजन
पुलिस ने बताया कि महिला को सांप ने सुबह सात बजे काटा था। इस दौरान परिजनों ने उसे जिला अस्पताल नहीं लाया, बल्कि झाड़फूंक के लिए पहले देवरी ले गए, यहां से पांजरा और माल्हनवाड़ा ले जाया गया। जब झाडफ़ूंक से आराम नहीं मिला तो सुबह लगभग 9.30 बजे उसे बेहोशी की हालत में जिला अस्पताल लाया गया। जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

एसपी ने किया पाइंट, तब पहुंचा बल
अस्पताल में चल रहे हंगामें की सूचना के बाद काफी देर तक कोतवाली पुलिस मौके पर नहीं पहुंची थी। इस मामले की जानकारी लगते ही एसपी अतुल सिंह ने पुलिस बल को अस्पताल पहुंचने हिदायत दी। एसपी का पाइंट चलते ही कोतवाली का बल अस्पताल परिसर पहुंचा। पुलिस की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ और परिजन पीएम के लिए तैयार हुए।

समय पर मिलता इलाज तो बच जाती जान
ग्रामीण अंचलों में मान्यता है कि सर्पदंश का इलाज झाडफ़ूंक से संभव है। इस अंधविश्वास के चलते अक्सर लोग पीड़ित को अस्पताल न लाकर ओझा के पास ले जाते हैं। इस मामले में भी यही हुआ पीड़िता को यदि सुबह सात बजे ही जिला अस्पताल ला लिया जाता तो उसकी जान बच सकती थी, लेकिन परिजनों ने झाडफ़ूंक जैसे अंधविश्वास में समय बिता दिया।

Created On :   14 July 2018 8:05 AM GMT

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