वो 8 मामले, जिन पर 5 जजों की संवैधानिक बेंच आज से करेगी सुनवाई

वो 8 मामले, जिन पर 5 जजों की संवैधानिक बेंच आज से करेगी सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 8 बड़े मामलों की एक लिस्ट जारी की है और इन पर सुनवाई करने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने 5 जजों की संवैधानिक बेंच बनाई है। ये बेंच बुधवार से इन सभी मामलों पर सुनवाई करेगी। इस बेंच में CJI दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। CJI ने इस बेंच में जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ को शामिल नहीं किया है। ये चारों जजों वही है, जिन्होंने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर आरोप लगाए थे। आइए एक नजर डालते हैं उन मामलों पर, जिन पर सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई होनी है...


1. "आधार" मामला : 

सुप्रीम कोर्ट में आज जिस मामले की सुनवाई हो सकती है, उसमें सबसे पहला मामला "आधार" का है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच बुधवार से सुनवाई करेगी कि आधार को अनिवार्य किया जाए या नहीं? साथ ही आधार की वजह से प्राइवेसी का उल्लंघन तो नहीं हो रहा, इस बात पर भी फैसला लिया जाएगा। दरअसल, केंद्र सरकार ने योजनाओं के फायदे के लिए "आधार कार्ड" को लिंक कराने की बात कही है। इसके साथ ही सरकार बैंक अकाउंट्स, पैन कार्ड, मोबाइल नंबर समेत कई सारी चीजों में भी आधार को लिंक कराने का कह रही है, जिसके खिलाफ कई पिटीशनर्स ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल कर सरकार के इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। पिटीशनर्स का कहना है कि सरकार के इस फैसले से प्राइवेसी का उल्लंघन हो रहा है।

2. सेक्शन- 377 :

संवैधानिक बेंच इंडियन पेनल कोड (IPC) की धारा-377 के तहत समलैंगिकता को अपराध मानने के फैसले पर आज से दोबारा विचार करेगी। 9 जनवरी को ही  चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की 3 जजों वाली बेंच ने ये फैसला लिया है। धारा 377 के दायरे में समलैंगिक, लेस्बियन, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स संबंध रखने वाले लोग आते हैं। इस कानून के मुताबिक प्रकृति के खिलाफ अगर कोई भी पुरुष या महिला समान लिंग वालों से शारीरिक संबंध बनाता है या विवाह करता है तो इस अपराध माना जाएगा। इसके लिए उसे सजा दी जा सकती है और साथ में उसे जुर्माना भी भरना पड़ेगा। इस धारा के तहत, सजा को बढ़ाकर 10 साल तक किया जा सकता है। इस मामले में 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की कैटेगरी से हटाने का फैसला दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद दिसंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए समलैंगिकता को IPC की धारा-377 के तहत अपराध माना था। सुप्रीम कोर्ट के 5 साल पहले दिए गए इसी फैसले पर कोर्ट दोबारा से विचार करने वाली है।

3. सबरीमाला मंदिर : 

तीसरा मामला केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्र्री पर लगे बैन को लेकर है। दरअसल, सबरीमाला मंदिर नें 10 से 50 साल तक महिलाएं, जिनको पीरियड्स आते हैं, वो मंदिर में एंट्री नहीं कर सकती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि इस मंदिर के मुख्य देवता अयप्पा ब्रह्मचारी थे और ऐसे में इस तरह की महिलाओं के मंदिर में जाने से उनका ध्यान भंग होगा। इसका सामाजिक संगठनों और महिलाओं ने जमकर विरोध भी किया है और अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई की जाएगी।

4. धार्मिक पहचान पर : 

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर भी विचार करेगा करेगा कि क्या दूसरे धर्म में शादी करने से महिला की अपनी धार्मिक पहचान कैंसिल हो जाती है। दरअसल, गुलरुख एम. गुप्ता नाम की एक पारसी महिला ने एक हिंदू शख्स से शादी की थी। ये महिला अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहती थी, लेकिन वलसाड़ पारसी बोर्ड ने उसे इसकी परमिशन नहीं दी। बोर्ड का कहना था कि अगर ये महिला अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होती है, तो वो पारसियों के अंतिम संस्कार "टॉवर ऑफ साइलेंस" में जाने का हक खो देगी। इसके बाद महिला का कहना था कि अगर कोई पारसी पुरुष दूसरे मजहब की महिला से शादी करता है, तो उसके पारसी हक नहीं छिने जाते, तो फिर पारसी महिलाओं के साथ ऐसा क्यों? महिला ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की है और इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई महिला दूसरे धर्म के शख्स से शादी करती है तो उसका धर्म नहीं बदल जाएगा।

5. दागी नेताओं पर : 

दागी नेताओं की योग्यता के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की गई है। इस पिटीशन में मांग की गई है, जिन सांसदों या विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं, उन्हें ट्रायल कोर्ट में दोषी पाए जाने के साथ ही अयोग्य करार दिया जाना चाहिए। वर्तमान कानून के मुताबिक, कोई सांसद या विधायक किसी मामले में दोषी पाया जाता है तो वो तब तक अयोग्य नहीं होता, जब तक उसकी सजा का एलान नहीं की जाता। सजा मिलने के बाद दागी नेता 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता।

6. एडल्टरी मामला : 

इंडियन पीनल कोड (IPC) के सेक्शन-497 की संवैधानिकल वैलिडिटी को चुनौती देने वाली एक पिटीशन की सुनवाई 5 जजों की संवैधानिक बेंच आज से करेगी। केरल के रहने वाले जोसेफ शिन ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल करते हुए IPC के सेक्शन-497 की संवैधानिकल वैलिडिटी पर सवाल उठाया है। पिटीशनर का कहना है कि सेक्शन-497, संवैधानिकल प्रोविजन्स का उल्लंघन करता है। पिटीशन में कहा गया है कि अगर दोनों (महिला और पुरुष) आपसी रजामंदी से संबंध बनाते हैं, तो फिर ऐसे में महिला को छूट कैसे दी जा सकती है? पिटीशनर ने मांग की है कि इस कानून को अवैध और अन-संवैधानिकल घोषित किया जाए। सेक्शन-497 के मुताबिक, अगर कोई पुरुष किसी शादीशुदा महिला के साथ उसके पति की सहमति के बिना संबंध बनाता है, तो उस पुरुष को इस कानून के तहत सजा हो सकती है।

7. टैक्स और उपभोक्ता कानून :

इन सबके अलावा 5 जजों की संवैधानिक बेंच टैक्स और उपभोक्ता कानून से जुड़े दो मामलों पर भी सुनवाई करेगी। 

Created On :   17 Jan 2018 3:34 AM GMT

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