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जेलों में कैदियों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
डिजिटल डेस्क, मुंबई। जेल में कैदियों की अप्राकृतिक मौत के मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सरकार और राज्य के गृह विभाग सचिव को नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी उच्च कोर्ट को निर्देश दिया है कि 2012 के बाद जेलों में हुई कैदियों की अप्राकृतिक मौत के मामले में मौत के कारणों का पता लगा, कोर्ट कैदियों के परिजनों को मुआवजा देने का निर्देश दें।
कैदियों को अमानवीय स्थिति में रखने का मामला
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के अनुसार हाईकोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए प्रकरण को जनहित याचिका में परिवर्तित किया है। देशभर में एक हजार 382 जेलों में कैदियों को अमानवीय स्थिति में रखे जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता ने सुनवाई के बाद देश के सभी राज्यों और उच्च कोर्ट को आदेश दिया था। अब इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट की मुख्य जस्टिस मंजूला चिल्लूर ने संज्ञान लिया है।
कानूनी सहयोग के लिए अधिवक्ता मंजरी शाह की नियुक्ति
इस मामले से संबंधित याचिका पर जस्टिस ताहिलरमानी और जस्टिस एमएस कर्णिक की बेंच के सामने सुनवाई होगी। बेंच ने इस मामले में कानूनी सहयोग के लिए अधिवक्ता मंजरी शाह की नियुक्ति की है। इसके साथ ही बेंच ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर श्रीवास्तव है। पुलिस महानिदेशक सतीश माथुर और अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक (जेल) बीके उपाध्याय सहित अन्य लोगों को नोटिस जारी किया है। बेंच ने इन लोगों को 1 नवंबर तक इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान बेंच राज्य में जेलों की स्थिति को लेकर भी बेंच विचार करेगी और इस मामले में फैसला सुनाएगी।
एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक जेल में कैदियों की मौत
- वर्ष प्राकृतिक मौत अप्राकृतिक मौत
- 2012 1345 126
- 2013 1482 115
- 2014 1507 195
- 2015 1469 115
Created On :   15 Oct 2017 1:01 PM GMT