कावेरी जल विवाद: तमिलनाडु का हिस्सा घटा, कर्नाटक को ज्यादा पानी

supreme court may give decision today on Cauvery water dispute
कावेरी जल विवाद: तमिलनाडु का हिस्सा घटा, कर्नाटक को ज्यादा पानी
कावेरी जल विवाद: तमिलनाडु का हिस्सा घटा, कर्नाटक को ज्यादा पानी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार का दिन काफी अहम रहा है। कोर्ट ने कावेरी जल विवाद पर फैसला सुना दिया है। इस फैसले के अनुसार, तमिलनाडु को कम पानी दिया जाएगा। तमिलनाडु को अब 177.27 टीएमसी ही पानी दिया जाएगा। तमिलनाडु का 14 टीएमसी पानी कर्नाटक को दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि नदी पर कभी भी कोई राज्य दावा नहीं कर सकता क्योंकि इस पर किसी का अधिकार नहीं होता है। कोर्ट ने कहा कि फैसले को लागू करना अब केंद्र का काम है। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने फैसला सुनाया।

दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर काफी लोगों की नजर थी। बेंगलुरू की जरूरत को देखते हुए कर्नाटक को ज्यादा पानी दिया गया है। फैसले के मद्देनजर दोनों राज्यों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। इससे पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर व न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने पिछले वर्ष 20 सितम्बर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

 

 

 

जिसके बाद तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी थी। कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्ल्यूडीटी ने कोवरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए एकमत से निर्णय दिया था। इस फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसीफुट (हजार मिलियन क्यूबिक फुट) पानी आवंटित किया गया। कर्नाटक को 270 टीएमसीफुट, केरल को 30 टीएमसीफुट और पुडुचेरी को सात टीएमसीफुट पानी आवंटित किया गया था। बता दें कि 11 सालों में कई बार इस मामले पर सुनवाई हो चुकी है। 

 

 

बेंगलुरू में सुरक्षा कड़ी

हालांकि शीर्ष अदालत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इसके फैसले के बाद ही कोई पक्ष कावेरी से जुड़े मामले पर गौर कर सकता है। आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला दिए जाने की संभावना को देखते हुए बेंगलुरू में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। करीब 15 हजार पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। इसके अलावा कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस के कर्मी और अन्य सुरक्षा बलों को भी तैनात किया जाएगा। बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त टी सुनील कुमार ने कहा, ""विशेष ध्यान संवेदनशील इलाकों पर दिया जाएगा जहां विगत में दंगे हो चुके हैं। कर्नाटक दावा करता रहा है कि कृष्णराज सागर बांध में सिर्फ उतना पानी है जो केवल बेंगलुरू की आवश्यकता को पूरी करता है। 

  


 

 

क्या है कावेरी जल विवाद 

बता दें कि कावेरी जल विवाद कई सालों से चला आ रहा है। इस विवाद में कावेरी नदी के पानी को लेकर है। ये विवाद तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य के बीच है, लेकिन इस विवाद में केरल भी कूद गया। विवाद की मुख्य वजह से इसका उद्गम स्थल, जो कर्नाटक राज्य के कोडागु जिले में है। कावेरी नदी गभग साढ़े सात सौ किलोमीटर लंबी है जो कई शहरों से होते हुए तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी में गिरती है। कावेरी नदी का 32 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा कर्नाटक में है। वहीं 44 हजार वर्ग किलोमीटर तमिलनाडु में है। अब दोनों राज्यों को ही सिंचाई के लिए इस नदी के पानी की जरुरत पड़ती है। इसी को लेकर दोनों में विवाद बढ़ गया। साल 2007 में ये विवाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो उस समय कर्नाटक का कहना था कि बारिश कम होने के कारण कावेरी नदी का जल स्तर घट गया है, जिसके कारण उसे पानी की ज्यादा जरुरत है और वो तमिलनाडु को पानी नहीं दे सकता। जिसके बाद तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

 

19वीं शताब्दी में शुरू हुआ था विवाद

हालांकि ये विवाद लगभग 120 सालों से चला आ रहा है। कई बार इन दोनों राज्यों के मतभेद को समाप्त करने की कोशिश की गई, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में इस विवाद को खत्म करने के लिए आदेश में जारी किया गया, लेकिन उस पर अमल नहीं हो सका। जिसके बाद से इस विवाद को लेकर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। बता दें कि भारतीय संविधान के मुताबिक कावेरी एक अंतर्राज्यीय नदी है। समुद्र में मिलने से पहले ये नदी कराइकाल से होकर गुजरती है जो पांडिचेरी का हिस्सा है। यह विवाद 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ था, उस वक्त ब्रिटिश राज के तहत ये विवाद मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर राज के बीच था। सन् 1924 में इन दोनों के बीच एक समझौता हुआ, लेकिन बाद में इस विवाद में केरल और पांडिचारी भी शामिल हो गए। इस विवाद पर कर्नाटक और तमिलनाडु, दोनों ही तटस्थ रवैया अपना रहे हैं।

 

 

इन मामलों पर भी आज होगी सुनवाई


1- आज कोर्ट में खाप पंचायत के मनमाने फैसलों और फरमानों को रोकने के लिए दायर PILपर भी सुनवाई करेगा। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर दो वयस्क आपस में शादी करते है तो कोई तीसरा उसमें दखल नहीं दे सकता। कोर्ट ने कहा था कि विवाह पर विवाद हो सकता है लेकिन विवाह करने से कोई रोक नहीं सकता। विवाह हो जाने पर उसे नकारा नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायत के वकील को कहा था कि आखिर आप कौन होते है दो वयस्कों की शादी में दखल देने वाले, कानून यहां है वो, अपने हिसाब से काम करेगा।

 

2-सुप्रीम कोर्ट आज सीबीआई के स्पेशल जज बीएच लोया की मौत की स्वतंत्र जांच के मामले में भी सुनवाई करेगा। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट और पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये याचिका न्यायपालिका को सेकेंडलाइज करने के लिए दाखिल की गई है। 


3-सुप्रीम कोर्ट में आज यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा की अंतरिम जमानत याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि था कि अगर पैसा तय वक़्त पर जमा हो जाता है तभी वो जमानत के लिए गुहार लगा सकते है। बता दें कि संजय चंद्रा को दिसंबर के आखिरी हफ्ते तक 750 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा गया था।  


4-सुप्रीम कोर्ट में आज उस जनहित याचिका पर भी सुनवाई होगी, जिसमें आरोप लगाते हुए कहा गया है कि सभी क्रिकेट मैच फिक्स होते हैं। याचिकाकर्ता अतुल कुमार का कहना है कि दुनिया भर में जितने भी मैच होते हैं वो सभी फिक्स होते हैं। तभी इसकी आड़ में एक बड़ा रैकेट संचालित किया जाता है। इसमें SIT गठित कर इन आरोपों की जांच होनी चाहिए। 

 
5-आज कोर्ट में ऑनलाइन लव जिहाद से संबंधित जो वीडियो अपलोडेड है उन पर रोक लगाई जाए या नहीं इस पर भी सुनवाई होगी। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि कोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दे कि वो ऑनलाइन लव जिहाद से संबंधित वीडियो के सर्कुलेशन पर रोक लगाए। इस तरह के वीडियो दो कम्यूनिटी के बीच वैमनस्य बढ़ाते हैं।  
 
 

Created On :   16 Feb 2018 3:30 AM GMT

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