जजों की नियुक्ति में पक्षपात के आरोप, SC ने कहा- गरीब वकील भी जज बने हैं

Supreme court say poor background lawyers have become judges
जजों की नियुक्ति में पक्षपात के आरोप, SC ने कहा- गरीब वकील भी जज बने हैं
जजों की नियुक्ति में पक्षपात के आरोप, SC ने कहा- गरीब वकील भी जज बने हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। टॉप जुडिशरी में जजों की नियुक्ति को लेकर लगातार पक्षपात के जो आरोप लगते आ रहे हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पक्षपात वाले सभी आरोप गलत हैं, गरीब पृष्ठभूमि वाले पहली पीढ़ी के वकीलों को भी जज बनाया गया है। बेंच ने कहा कि पोस्ट सीमित होती हैं, उसके लिए योग्य उम्मीदवारों के नाम पर ही चर्चा की जा सकती है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को ठुकरा दिया कि बिना न्यायिक सहयोग या गरीब पृष्ठभूमि वाले आम वकीलों के नाम पर टॉप जुडिशरी में जजों के रूप में नियुक्ति के लिये विचार नहीं किया जाता है। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि अगर सिर्फ दो ही पोस्ट होंगी तो 100 में से सिर्फ 2 ही सबसे अधिक उपयुक्त प्रत्याशियों के नाम पर विचार होगा। बेंच ने कहा, "हम सभी को शामिल नहीं कर सकते। यह संभव नहीं है। यह तर्क गलत है कि पहली पीढ़ी के वकीलों और गरीब पृष्ठभूमि से आने वालों पर विचार नहीं होता।"

 

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस उदय यू ललित की बेंच ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि हर एक के नाम पर विचार नहीं हो सकता। गरीब पृष्ठभूमि वाले पहली पीढ़ी के जजों की भी नियुक्ति हुई है।" बेंच सुप्रीम कोर्ट के 2015 के फैसले में बताई गई प्रक्रिया के बगैर ही टॉप जुडिशरी में जजों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली वकील आरपी लूथरा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

 

याचिकाकर्ता वकील लूथरा की दलील

याचिकाकर्ता वकील लूथरा ने कहा कि उनकी दलील यह है कि प्रक्रिया प्रतिवेदन में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि साधारण पृष्ठभूमि वाले वकीलों के नाम पर भी टॉप जुडिशरी में जज के पद पर नियुक्ति के लिए विचार किया जाए। बेंच ने कहा कि वह प्रक्रिया प्रतिवेदन को अंतिम रूप देने में देरी के आधार पर शीर्ष अदालत और हाई कोर्ट्स में जजों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाला अनुरोध अस्वीकार कर रही है, लेकिन वह इस पर विचार करेगी कि व्यापक जनहित में इसे अंतिम रूप देने में और अधिक देरी नहीं हो।

 

SC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MOP) में हो रही देरी पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने वकील आरपी लूथरा द्वारा दाखिल इस याचिका पर 14 नवंबर को अगली सुनवाई के दौरान AG केके वेणुगोपाल को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है।

Created On :   27 Oct 2017 4:49 PM GMT

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