सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- राज्य दे सकते हैं SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण

Supreme Court verdict on quota in promotion for SC/ST on Wednesday
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- राज्य दे सकते हैं SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- राज्य दे सकते हैं SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण
हाईलाइट
  • SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण जरूरी नहीं।
  • प्रमोशन में SC/ST को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला।
  • सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण का मामला।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रमोशन में आरक्षण पर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें अपने अनुसार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (SC/ST) के कर्मचारियों को सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं। इस तरह कोर्ट ने राज्यों के लिए SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण देने का रास्ता खुला रखा है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में SC/ST आरक्षण के लिए कोई डेटा जमा करने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण से जुड़े 12 साल पुराने नागराज मामले में दिए गए अपने फैसले को भी सही बताया और उस फैसले पर फिर से विचार की जरूरत को खारिज कर दिया। कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने कहा कि इस मामले को 7 जजों की बेंच के पास भेजे जाने की जरूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, प्रमोशन में आरक्षण में क्रीमी लेयर वाला सिद्धांत लागू हो सकता है क्‍योंकि कोर्ट ने नागराज के फैसले में क्रीमी लेयर के बारे में दी गई व्यस्था को सही कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्य सरकारें प्रमोशन में रिजर्वेशन देते समय यह देखेंगी कि शासन संचालन पर उसका नकारात्मक असर तो नहीं पड़ रहा है।

गौरतलब है कि प्रमोशन में आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में 30 अगस्त को ही सुनवाई पूरी हो गई थी। CJI दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। संवैधानिक बेंच इस बात पर सुनवाई कर रही थी कि 12 साल पुराने एम नागराज मामले में कोर्ट के फैसले की समीक्षा की जरूरत है या नहीं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में एम. नागराज मामले में फैसला दिया गया था कि क्रीमी लेयर की अवधारणा सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर लागू नहीं होती है। नागराज मामले में आए फैसले के मुताबिक सरकार एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण तभी दे सकती है जब डेटा के आधार पर तय हो कि उनका प्रतिनिधित्व कम है और ये प्रशासन की मजबूती के लिए जरूरी है।

इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने जहां सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण की वकालत की है तो वहीं याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया है। केंद्र सरकार का कहना है कि 2006 में नागराज मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने में बाधा डाल रहा है, लिहाजा इस फैसले पर फिर से विचार की ज़रूरत है। आरक्षण विरोधी पक्ष ने दलील दी है कि एक बार नौकरी पाने के बाद प्रमोशन का आधार योग्यता होनी चाहिए। आंकड़े जुटाए बिना प्रमोशन में आरक्षण न देने की शर्त सही है। तमाम सरकारें इससे बचना चाहती हैं, क्योंकि उनका मकसद राजनीतिक लाभ है।

वहीं पिछली सुनवाइयों में पक्षकारों के वकील शांति भूषण का कहना था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन अनुच्छेद 16 (4) के तहत संरक्षित नहीं है। इसलिए सरकारी नौकरियों में SC/ST के लिए प्रमोशन में रिजर्वेशन अनिवार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। भूषण का कहना था कि ये संविधान की मूल संरचना के खिलाफ होगा।
 

Created On :   25 Sep 2018 5:25 PM GMT

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