ऑनर किलिंग पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा-'प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा करेगा कानून'

ऑनर किलिंग पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा-'प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा करेगा कानून'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हरियाणा से लेकर पूरे देश भर में कई जगह अपनी नाक, मूंछ और इज्जत की खातिर अपनी मर्जी से शादी कर लेने वालों को मौत के घाट उतार देते हैं। ऐसे करने वाले लोगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। खाप पंचायत से जुड़े ऑनर किलिंग मामले में सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति से शादी करने वाले व्यस्कों पर कार्रवाई के मकसद से खाप या किसी समूह का जमा होना गैरकानूनी होगा, ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा किजब तक सरकार कानून नहीं बनाती, तब तक ये निर्देश लागू रहेंगे। इससे पहले इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि ऑनर किलिंग को भारतीय दंड संहिता में हत्या के अपराध की तरह देखा जाता है। 


 
कोर्ट ने कहा था स्पेशल सेल बने


हत्या का मतलब हत्या है, मगर सरकार ऑनर किलिंग को लेकर विधि आयोग की सिफारिशों पर भी विचार कर रही है। बता दें कि इस संबंध में 23 राज्यों के विचार प्राप्त हो चुके हैं। वहीं 6 राज्यों के विचार आने बाकी हैं। ये प्रक्रिया पूरी होने तक सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में दिशानिर्देश जारी कर सकता है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कोर्ट सभी राज्यों को निर्देश दे कि हर जिले में ऑनर किलिंग को रोकने के लिए स्पेशल सेल बनाया जाए।

 

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NGO की पिटीशन पर हो रही है सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में शक्तिवाहिनी संगठन ने ऑनर किलिंग जैसे मामलों पर रोक लगाने के लिए एक पिटीशन फाइल की है। शक्तिवाहिनी एक NGO है और इसने अपनी पिटीशन में इस तरह के क्राइम पर रोक लगाने की मांग की है। इस पिटीशन में कहा गया है कि उत्तर भारत खासतौर पर हरियाणा में कानून की तरह काम कर रही खाप पंचायतें परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने वालों को सजा देती हैं।

 

राज्य सरकार दर्ज करवाए प्रेमियों का बयान

कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई प्रेमी युगल अपनी मर्ज़ी से शादी करना चाहता है और उसे जान का खतरा है तो राज्य सरकार उनका बयान दर्ज कर कार्रवाई करे। इसके साथ ही युगल को सुरक्षा भी मुहैया कराई जाए। राजनीतिक नफा नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार यह कहने से नहीं चूकी कि इस मामले में वह "खाप पंचायत" शब्द का इस्तेमाल नहीं करेगी। कोर्ट ने भी इस पर सहमति जताई। कोर्ट ने ये भी कहा कि "हमें खाप पंचायतों की चिंता नहीं है। हमें सिर्फ शादी करने वाले जोड़ों की चिंता है।"

Created On :   27 March 2018 2:33 AM GMT

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