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कथूरिया को नहीं मिली जमानत, 13 तक न्यायिक हिरासत में भेजे गए
दैनिक भास्कर न्यूज डेस्क, सतना। सतना नगर निगम के निलंबित आयुक्त सुरेंद्र कुमार कथूरिया पीसी एक्ट की विशेष कोर्ट में उस वक्त गश खाकर गिर पड़े जब उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए विशेष जज डी एन शुक्ला ने उन्हें 13 जुलाई तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजे जाने का आदेश सुनाया। कथूरिया को कुछ देर तक कोर्ट में ही बेंच पर लेटाये रखा गया और फिर उठा कर गाड़ी तक लाया गया और फिर कंधे में लाद कर जेल दाखिल किया गया।
एमपी के सबसे बड़े ट्रैपिंग मामले में फंसे सतना के निगमायुक्त रहे अपर कलेक्टर रैंक के अफसर सुरेंद्र कुमार कथूरिया को विशेष कोर्ट से जमानत नही मिली। जबलपुर से आये उनके वकील अनिल खरे और सतना के आरएन खरे ने आवेदन पेश करते हुए जमानत दिए जाने का आग्रह किया। सरकारी वकील हनुमान शुक्ला एवं अनुपम पाठक ने लोकायुक्त की तरफ से पैरवी करते हुए जमानत आवेदन पर आपत्ति जताई और यह तर्क दिया कि आरोपी प्रभावशाली है और साक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है, इसलिए जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। विशेष जज देव नारायण शुक्ला ने दोनों पक्षों की दलील और तर्कों को सुनने के पश्चात जमानत आवेदन खारिज कर दिया। कथूरिया को 13 जुलाई तक जेल भेजे जाने का आदेश देते हुए जज ने कहा कि यह अपराध गंभीर है और रिश्वत में ली गई रकम भी बड़ी है। गौरतलब है कि 22 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए कथूरिया को रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद लोकायुक्त डीएसपी देवेश पाठक ने शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया था।
नकली निकला सोना
कोर्ट में लोकायुक्त ने बताया कि जो 330 ग्राम सोना दिया गया था, वह असल मे गोल्ड प्लेटेड सिल्वर था। यह तथ्य सामने आने के बाद बचाव पक्ष के वकीलों ने नोट की असलियत पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि नोटबन्दी के बाद 12 लाख रुपये की रकम जुटाना आसान नही था । जब सोना नकली हो सकता है तो नोट भी नकली हो सकते हैं।
ऐसे हुई नोटबन्दी
कोर्ट ने कथूरिया के जमानत आवेदन को खारिज करते हुए टिप्पणी भी की। जज ने लिखा कि आय से अधिक संपत्ति के इस मामले में लोकायुक्त ने यह बताया है कि आरोपी के घर से 15 लाख 6 हजार रुपये की बड़ी रकम मिली है । ऐसे ही लोगों के कारण भारत सरकार को नोटबन्दी करनी पड़ी।
Created On :   30 Jun 2017 2:10 PM GMT