<![CDATA[Suvey says negligible cases of triple talaq among muslims, SC questions AIMPLB]]>
टीम डिजिटल, नयी दिल्ली. मुस्लिमों में ट्रिपल तलाक़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कोंस्टीटूशनल बेंच में हो रही सुनवाई के बीच एक सर्वे में खुलासा हुआ है की मुस्लिम महिलाओं में तीन तलाक़ के केवल .3 फ़ीसदी मामले ही सामने आते हैं. 

एक अखबार की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम तबके में डाइवोर्स के 100 मामलों में ट्रिपल तलाक़ के 1 से भी काम मामले देखने को मिलते हैं. यह नतीजा सर्वे करने वाले CRDDP ने निकाला है. मार्च और मई में किये गए इस ऑनलाइन सर्वे में 20671 लोगों से बात की गयी. बातचीत में सामने आये कुल 331 तलाक़ के मामलों में केवल 1 मामला ही ट्रिपल तलाक़ का सामने आया. सुप्रीम कोर्ट इस समय ट्रिपल तलाक़ को चुनौती देने वाली 7 अलग अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. बुधवार को पांचवें दिन सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से कहा, "क्या महिला को निकाहनामे के अमल के दौरान तीन तलाक को न कहने का हक दिया जाता है?" इस पर बोर्ड के वकील ने कहा, "काजियों के लिए ये जरूरी नहीं है कि वे बोर्ड की सलाह मानें।" 

कोर्ट ने मुस्लिम लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल से पूछा की क्या निकाहनामे के दौरान महिला तीन तलाक को न कह सकती है? और क्या ये संभव है कि महिला को निकाह से पहले ये ऑप्शन दिया जाए कि उसकी शादी तीन तलाक के जरिए खत्म नहीं होगी? इस पर मुस्लिम लॉ बोर्ड का जवाब था की काजिओं के लिए बोर्ड की सलाह मानना जरूरी नहीं है. 

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Created On :   17 May 2017 8:35 AM GMT

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