दूध की कम दरों पर शेतकरी संगठन आक्रामक, होगा चक्का जाम

Swabhimani Shwetkari Sanghatan protest against low rate of milk
दूध की कम दरों पर शेतकरी संगठन आक्रामक, होगा चक्का जाम
दूध की कम दरों पर शेतकरी संगठन आक्रामक, होगा चक्का जाम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। गाय के दूध की दर को लेकर जारी स्वाभिमानी शेतकरी संगठन का आंदोलन अब और अधिक आक्रामक होगा। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन गुरुवार को राज्य भर में सड़कों पर जानवरों को साथ ले जाकर चक्का जाम आंदोलन करेगा। बुधवार को शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने कहा कि राज्य सरकार ने पुलिस के जरिए दूध की दर को लेकर आंदोलन कर रहे 7 हजार किसानों को गिरफ्तार करवाया है। हम लोग गाय और भैंस के दूध दर को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसलिए हम लोग अब गाय और भैंस सहित अन्य जानवरों को साथ लेकर सड़कों पर चक्का जाम आंदोलन करेंगे।

शेट्टी ने कहा कि हमने बुधवार को पालघर के डहाणू रेलवे स्टेशन पर सत्याग्रह किया। इसलिए रेलवे प्रशासन को गुजरात के अहमदाबाद - मुंबई सेंट्रल पैसेंजर ट्रेन से 12 टैंकर दूध लाने का फैसला वापस लेना पड़ा। इसके अलावा सौराष्ट्र एक्सप्रेस से प्रति दिन आने वाले दूध के 2 टैंकर भी नहीं आ सके। शेट्टी ने कहा कि दिन भर में गुजरात से कुल 6 लाख 16 हजार लीटर दूध मुंबई नहीं आ सका। शेट्टी ने कहा, "मैं मंगलवार को पालघर के चेकपोस्ट पर बैठा था। वहां पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने 22 टैंकरों को रोका था। बाद में पुलिस ने टैंकर को ले जाने की कोशिश की लेकिन तब तक दूध खराब हो चुका था।" इसी बीच दूध आंदोलन में मनसे भी कूद पड़ी है। मनसे के कार्यकर्ताओं ने पालघर के बोईसर में दूध के टैंकर को वापस करवा दिया है।

मुंबई में 25 प्रतिशत दूध की हो सकती है कमी 

मुंबई में तीन दिनों तक दूध दर आंदोलन का असर ज्यादा देखने को नहीं मिला है। लेकिन गुरुवार को मुंबई महानगर क्षेत्र में 25 प्रतिशत दूध की कमी हो सकती है। महाराष्ट्र राज्य दूध वितरक संघ के अध्यक्ष नार्इक ने कहा है कि तीन दिनों तक आंदोलन का असर नहीं देखा गया। क्योंकि लोगों ने पहले से दूध खरीद लिया था। इसके अलावा लोग दूध पावर और टेट्रा पैक के दूध का उपयोग कर रहे हैं लेकिन आने वाले दिनों में आंदोलन लंबा खींचा तो दूध की कमी मुंबई में हो सकती है।

नाईक ने बताया कि मुंबई, ठाणे और पनवेल में हर दिन कुल 70 लाख लीटर दूध की खपत होती है। नार्इक ने कहा कि सरकार ने गाय के दूध के लिए प्रति लीटर 27 रुपए दर तय किया था। लेकिन दुग्ध संघों अदालत में जाकर फैसले पर स्टेट लगावा लिया। सरकार आखिर इस रोक को हटाने के लिए क्यों नहीं दोबारा अदालत में जाती है। यदि किसानों को 27 रुपए प्रति लीटर दर मिलता तो भी काफी राहत मिल जाती। नाईक ने कहा कि दूध को लेकर सरकार को एक समिति बनानी चाहिए। जिससे दूध की दर का स्थायी समाधान निकल सके।

Created On :   18 July 2018 5:32 PM GMT

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