स्वीपर करता है मरीजों का उपचार , 60 गांवों के बीच एक अस्पताल

sweeper treat patient in absence of doctor, 1 hospital among 60 village
स्वीपर करता है मरीजों का उपचार , 60 गांवों के बीच एक अस्पताल
स्वीपर करता है मरीजों का उपचार , 60 गांवों के बीच एक अस्पताल

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा।  ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दम भरने वाले प्रशासन का दावा छिंदी के एक स्वास्थ्य केंद्र में दम तोड़ रहा है। यहां डॉक्टर तो है ही नहीं 60 गांवों के मरीजों को स्वीपर के भरोसे छोड़ दिया गया है। खबर पढऩे में भले ही चौकाने वाली लगे, लेकिन सच यही है। करोड़ों की लागत से बना छिंदी उपस्वास्थ्य केंद्र में मरीजों का इलाज कोई डॉक्टर नहीं, बल्कि यहां पदस्थ स्वीपर करता है।
    सोमवार दोपहर  का नजारा तो यहां और चौंकाने वाला था। सर्दी, खांसी और बुखार से पीडि़त मरीज यहां इलाज कराने के लिए आए थे। कहने को तो अधिकारियों द्वारा यहां कंपाउंडर मोहन धोटे की नियुक्ति की गई है, लेकिन यहां के ग्रामीणों का कहना था कि वो सप्ताह में एक बार ही छिंदवाड़ा से आता है। डॉक्टर, कंपाउंडर की गैर मौजूदगी में मरीजों के इलाज का जिम्मा यहां कार्यरत स्वीपर मोनू डागोरिया के जिम्मे था। दर्द से कराह रहे मरीजों का मर्ज कोई भी हो इलाज मोनू ही कर रहा था।
60 गांवों के बीच इकलौता अस्पताल
तामिया सहित पातालकोट यहां तक कि हर्रई से जुड़े कई गांवों के बीच ये इकलौता हॉस्पिटल है, लेकिन कोई भी डॉक्टर यहां जाने को तैयार नहीं है। शासन ने करोड़ों खर्च करके बिल्डिंग तो बना दी, लेकिन थोड़ा बहुत मर्ज जानने वाले कर्मचारी भी यहां जाने को कतराते हैं।
30 सीटर अस्पताल, मरीजों की जगह बेड पर कुत्ते
30 पलंगों के इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कर्मचारियों के अभाव में कभी-कभार ही मरीजों को भर्ती किया जाता है। यहां की सुविधाओं का मजा कुत्ते लेते हैं। इतने भी कर्मचारी यहां नहीं है कि यहां बेहतर व्यवस्थाएं की जा सके।
रोजाना आते हैं 35 मरीज
स्वीपर मोनू ने ही हमें बताया कि रोजाना 30 से 35 मरीज यहां आसपास के गांव से इलाज कराने आते हैं। लंबी दूरी तय कर आने वाले मरीजों के लिए जो हो सकता है करता हूं। सर्दी, खांसी, बुखार जैसी साधारण बीमारियों की दवाईयां उपलब्ध करा दी जाती है।
ये देखिए... तीन प्रकरणों से जाने हकीकत
1- छिंदी निवासी रक्को बाई तीन दिन से बीमार चल रही नेहा को यहां इलाज कराने के लिए लाई है लेकिन डॉक्टर नहीं होने से स्वीपर मोनू डागोरिया नेहा का इलाज कर रहा है।
2- यहीं हाल केंद्र से दो किलोमीटर दूर गांव थरनाखेड़ा के सोहन पराते का है। अपने बेटे शिवम को वे यहां इलाज कराने के लिए लाए हैं लेकिन मजबूरी में स्वीपर से इलाज कराना पड़ रहा है।
3- कुसवेती निवासी श्रीचंद अपनी पत्नी का इलाज कराने पहुंचे हैं। पत्नी की हालत इतनी नाजुक है कि ढंग से खड़ी भी नही हो सकती। डॉक्टर है नहीं, स्वीपर से ही काम चलाना पड़ रहा है।  
बीए पास हूं इलाज करते आता हैं
स्वीपर मोनू डागोरिया से जब इस मामले में पूछा गया तो उसका कहना था कि मैं भी बीए पास हूं। इलाज करते हैं। सप्ताह में छह दिन तो मुझे ही मरीजों का इलाज करना पड़ता है। जो कंपाउंडर पदस्थ है वो सप्ताह में एक दिन छिंदवाड़ा से यहां जरूर आता है।
इनका कहना है...
- इस मामले में जल्द ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। यदि ऐसा है तो यहां डॉक्टरों की नियुक्ति करने की कोशिश की जाएगी।
जेके जैन कलेक्टर
- मामले की जांच करवाऊंगा, यदि कर्मचारी यहां नहीं जा रहे हैं और स्वीपर के भरोसे मरीजों का इलाज चल रहा है जरूर कार्रवाई करेंगे।
जेएस गोगिया सीएमएचओ, छिंदवाड़ा

 

Created On :   13 March 2018 7:43 AM GMT

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