बिना पंजीयन के स्कॉलरशिप ली, पैरामेडिकल फर्जीवाड़े की वसूली पर अफसरों की चुप्पी

taken scholarship without registration, students not sitting in the examination
बिना पंजीयन के स्कॉलरशिप ली, पैरामेडिकल फर्जीवाड़े की वसूली पर अफसरों की चुप्पी
बिना पंजीयन के स्कॉलरशिप ली, पैरामेडिकल फर्जीवाड़े की वसूली पर अफसरों की चुप्पी

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। पैरामेडिकल कॉलेजों से होने वाली पौने दो करोड़ की वसूली के मामले में सालों बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। पौने दो करोड़ की वसूली की जगह मामला 33 लाख में रफा-दफा करने की कोशिश है। जबकि इस प्रकरण में पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों ने बिना पंजीयन के छात्रों को एडमिशन दर्शा दिया और सरकार से करोड़ों की स्कॉलरशिप भी हासिल कर ली।
    जिले के सात पैरामेडिकल कॉलेज द्वारा किए गए स्कॉलरशिप घोटाले में होने वाली रिकवरी सवालों के घेरे में हैं। यहां कॉलेज संचालकों पर आईएएस अफसर की रिपोर्ट के आधार पर 1 करोड़ 63 लाख का घोटाला निकाला था। लेकिन पांच साल बाद जब वसूली की फाइल तहसीलदार के पास पहुंची तो ये रकम 33 लाख हो गई है। इस मामले में दूसरी बार की गई जांच अब सवालों के घेरे में है।
ये भी सवालों के घेरे में
पैरामेडिकल कॉलेजों में हुई छात्रवृत्ति घोटाले में कॉलेज प्राचार्य भी कार्रवाई के दायरे में है। दरअसल, कॉलेज में छात्रों से लेकर इंस्टीट्यूट का वेरिफिकेशन कॉलेज प्राचार्यों को करना था। पीजी कॉलेज प्राचार्य पर पूरा दारोमदार था लेकिन फील्ड वेरिफिकेशन किए बगैर प्राचार्यों ने रिपोर्ट बना दी। जिससे ही ये इतना बड़ा घोटाला हो सका।
ऐसे किया था घोटाला
- एक छात्रों के नाम दो कॉलेजों में दर्शाकर दो जगह से छात्रवृत्ति हासिल की गई।
- कुछ मामले में तो छात्रों को भी नहीं मालूम था कि उनका नाम पैरामेडिकल छात्र के रूप में दर्ज है।
- छात्रवृत्ति लेने के लिए कॉलेज में छात्रों का पंजीयन किया ही नहीं गया।
- जनजाति विकास विभाग से स्कॉलरशिप लेने के बाद छात्रों को परीक्षा में बैठाया ही नहीं गया।कॉलेज संचालकों पर आईएएस अफसर की रिपोर्ट के आधार पर 1 करोड़ 63 लाख का घोटाला निकाला था। लेकिन पांच साल बाद जब वसूली की फाइल तहसीलदार के पास पहुंची तो ये रकम 33 लाख हो गई है। इस मामले में दूसरी बार की गई जांच अब सवालों के घेरे में है।

 

Created On :   10 April 2018 1:33 PM GMT

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