BLUE WHALE से बचाने आगे आए टीचर, पेरेंट्स को कर रहे अवेयर

Teachers come forward to save children from Blue Whale in nagpur
BLUE WHALE से बचाने आगे आए टीचर, पेरेंट्स को कर रहे अवेयर
BLUE WHALE से बचाने आगे आए टीचर, पेरेंट्स को कर रहे अवेयर

डिजिटल डेस्क,नागपुर। देशभर में बच्चों की जान का दुश्मन बन चुके ब्लू व्हेल गेम को लेकर लोगों को अवेयर किया जा रहा है। नागपुर में बच्चों को इस गेम से बचाने का जिम्मा टीचरों ने उठाया है। शहर में ब्लू व्हेल व इस तरह के गेम्स से दूर रहने के लिए बच्चों व उनके अभिभावकों को जागरूक करने की मुहिम स्कूलों की ओर से शुरू की गई हैं। स्कूल प्रिंसिपल और शिक्षक छात्रों को अवेयर करने के लिए कार्यक्रम चला रहे हैं। 

साइकोलॉजिस्ट राजा आकाश ने बताया कि इस तरह के गेम्स वे बच्चे ही डाउनलोड करते हैं, जो कहीं न कहीं मानसिक रूप से परेशान होते हैं। पैरेन्ट्स तब ही इसे समझ पाते हैं जब बच्चा खुद को चोट पहुंचाने लगता है। बच्चों को अकेलापन महसूस न होने दें। बच्चे को मोबाइल गेम्स ना खेलने दें। 14 साल से छोटे बच्चों को अलग से मोबाइल न दें। वे कौन सी साइट्स यूज कर रहा है, इस पर पैनी नजर रखें। बच्चों के सामने खुद भी मोबाइल का ज्यादा यूज न करें। सीआईपीएस स्कूल के प्रिंसिंपल अनुराग पांडे ने बताया कि हम असेंबली में छात्र-छात्राओं को ब्लू व्हेल जैसे खतरनाक गेम से दूर रहने की हिदायत दे रहे हैं। स्कूल में आयोजित स्पेशन कॉउन्सिलिंग में गेम ब्लू व्हेल के खतरों के प्रति छात्र-छात्राओं को जागरूक किया जा रहा है। विद्यार्थयिों को गेम के बारे में बताते हैं कि ये गेम रियल नहीं है।

पैरेंटस को दे रहे हैं सलाह
भोला हाईस्कूल एचएम डॉ. प्रेमलता तिवारी का कहना है कि हमने ब्लू व्हेल गेम्स से दूर रहने के लिए बच्चों और उनके अभिभावकों को जागरूक करने की मुहिम शुरू की है। हम अभिभावकों से भी बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखने की बात कह रहे हैं।  स्कूलों में शिक्षक भी इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि बच्चे कहीं आपस में ब्लू व्हेल जैसे गेम की चर्चा तो नहीं कर रहे हैं।  कहीं बच्चे इस गेम को डाउनलोड तो नहीं कर रहे हैं। हम बच्चों को ब्लू व्हेल जैसे गेम के खतरों से अवगत कराते हुए उन्हें जागरूक कर रहे हैं। ब्लू व्हेल जैसे गेम के प्रति बच्चों को ही नहीं उनके अभिभावकों को भी जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए असेम्बली में हिदायत जारी कर रहे हैं। साथ ही बच्चों के मोबाइल पर खेले जाने वाले गेम्स पर भी पैंरेटस को भी अवेयर किया जा रहा है।

एंटी वायरस होना जरूरी
हिलफोर्ट स्कूल की डॉ. परिणीता फुंके का कहना है कि सभी बच्चों को ब्लू व्हले गेम के जरिए अवेयरनेस कार्यक्रम करते हैं। वहीं पैरेंट्स मीटिंग भी कर रहे हैं उसमें पैरेंट्स को ये बताते हैं कि पैरेंटल कंट्रोल फिल्टर और एंटी वायरस अपलोड करना चाहिए। वहीं स्कूलों में सभी कंप्यूटरों में प्रभावी फायरवाल, फिल्टर, निगरानी सॉफ्टवेयर जैसे सुरक्षा उपायों को लगाना सुनिश्चित करना चाहिए। कंप्यूटर में पैरेंटल कंट्रोल फिल्टर और एंटी वायरस अपलोड करना चाहिए। 

CBSE के निर्देश
बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूलों से बच्चों को इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में जानकारी देने के साथ यह कहा है कि स्मार्ट मोबाइल फोन, टैबलेट, आई पैड, लैपटाप जैसे इलेक्ट्रानिक संचार उपकरणों को स्कूल में लाने की अनुमति न दी जाए। बोर्ड ने कहा है कि स्कूलों में अच्छी एजुकेशन के लिए सुरक्षित एजुकेशनल सिस्टम के माहौल को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसे में स्कूलों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने चाहिए। सीबीएसई ने स्कूलों को डिजिटल टेक्नॉलॉजी के सुरक्षित उपयोग को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। 

क्या है ब्लू व्हेल गेम ?
ब्लू व्हेल गेम में बच्चों को कई प्रकार के टॉस्क दिए जाते हैं। इनमें उन्हें सुबह जल्दी उठने के लिए प्रेरित करना, क्रेन पर चढ़ना, शरीर के विभिन्न हिस्सों में सुई चुभोना, छत पर चढ़ना आदि शामिल हैं। इन टॉस्क को पूरा करने के चक्कर में बच्चा गेम में पूरी तरह डूब जाता है। यही कारण है कि अंतिम टॉस्क में बच्चा आत्महत्या जैसा कदम तक उठाने को मजबूर हो जाता है।  


 

Created On :   8 Sep 2017 8:45 AM GMT

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