जमीन विवाद: भगवान राम-जानकी को वापस मिली जमीन, साधू को गांव से निकाला

temple of lord Ram-Jaanki got land back from the priest
जमीन विवाद: भगवान राम-जानकी को वापस मिली जमीन, साधू को गांव से निकाला
जमीन विवाद: भगवान राम-जानकी को वापस मिली जमीन, साधू को गांव से निकाला

डिजिटल डेस्क जबलपुर। सृष्टि के स्वामी श्रीराम-जानकी के नाम पनागर तहसील में 27 एकड की जमीन भी है। लेकिन भगवान िपछले दस वर्षों तक एक छप्पर के नीचे बैठे रहे। खास बात यह है कि पूजा-पाठ का दिखावा करने वाले पुजारी ने जमीन सिकमी में दी और भगवान के नाम पर करोडों रुपए भी कमाए। अब जब मामले का खुलासा हुआ तो प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। भगवान को वापस उनका हक दिलाया गया और तथाकथित बाबा रामचरण के खिलाफ गांव में दाखिल न होने देने के लिए बकायदा प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिए गए।
                     जिला मुख्यालय से तकरीबन 25 किमी दूर पनागर के सिंगलदीप में जमीन का एक बडा हिस्सा सरकारी रिकार्ड में भगवान राम जानकी के नाम पर दर्ज है। जानकारी के अनुसार, सिंगलदीप में भगवान राम-जानकी के नाम पर लगभग 45 वर्ष पूर्व किसी ने जमीन नाम की थी। भूमि पर खपरैल की छत का एक कच्चा मंदिर बना हुआ है, जिसमें भगवान कई वर्षों से विराजमान हैं। सिंगलदीप और आसपास के गांव के निवासियों के आस्था के केन्द्र इस मंदिर में श्रद्धालु पूजन अर्चन करते आ रहे हैं। इसी बीच करीब दस वर्ष पूर्व िचत्रकूट के रहने वाले बाबा रामचरण यहां आए और मंदिर के स्वयंभू कर्ताधर्ता बन बैठे। मंदिर की देखरेख की आड़ में रामचरण ने अपने एक चेले को यहां पुजारी नियुक्त कर दिया और भूमि को सिकमी पर खेती के लिए दे दिया। बाबा हर वर्ष खेती से उपजी फसल का दाम लेने पहुंचने लगे। फसल से जो धनराशि आती उसका एक तहाई हिस्सा वे गांव में मंिदर की देखरेख कर रहे अपने चेले को बांटते और दो तिहाई हिस्सा अपने साथ लेकर चले जाते। समय बीतता गया और बाबा भगवान के नाम पर दर्ज भूमि पर फसल उगाकर कमाई करता रहा। धीरे-धीरे लोगों को बाबा की चतुराई समझ में आने लगी। ग्रामीणों को बाबा की मंशा पर संदेह तब हुआ जब मंदिर की हालत जीर्णशीर्ण बनी रही और उपजाऊ भूमि से वह मोटी रकम उगाता रहा। आखिर लोगों ने बाबा की हरकत की जानकारी प्रशासन को देकर कार्रवाई की मांग की।
बैठक में ग्रामीणों ने खोली पोल-
प्रशासन को मामले की सूचना मिलते ही एसडीएम जबलपुर और पनागर तहसीलदार मौके पर पहुंचे और एक बैठक आयोजित कर ग्रामीणों का पक्ष सुना। बैठक में ग्रामीणों ने बाबा के कारनामे का कच्चा-चि_ा खोलकर रख दिया। ग्रामीणों ने बैठक में आरोप लगाते हुए बताया कि किस प्रकार बाबा बीते एक दशक से भगवान के नाम की भूमि पर खेती करवाकर कमाई कर रहा है। गांव के निवासियों ने कहा कि बाबा प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख रुपए की फसल बेचता था और करीब एक तिहाई यानि 5 लाख रुपए की राशि बाबा द्वारा ही नियुक्त पुजारी को देता और बाकी करीब 10 लाख रुपए लेकर वापस चित्रकूट चला जाता। ग्रामीणों का आरोप है कि इस प्रकार बाबा और उसके चेले ने तकरीबन दस वर्षों में डेढ़ करोड़ रुपए की उगाही की है।
गांव में दाखिल न हो बाबा-
भगवान के नाम पर अवैध उगाही करने वाले बाबा पर आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि बाबा को अब वे गांव में नहीं आने देंगे। ग्रामीणों की बात सुनने के बाद एसडीएम ने उन्हें आश्वस्त किया वे प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर बाबा के गांव में प्रवेश पर रोक लगाएंगे। अंतत: सोमवार को एसडीएम ने प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करते हुए बाबा के गांव निकाले का रास्ता साफ कर दिया गया। बताया जाता है कि बाबा की हरकतों के कारण ग्रामीणों को काफी लंबे समय से शक था। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि बाबा जीवनशैली संदिग्द्ध रही है। ग्राम वासियों ने बताया कि एक बार तो बाबा

 

Created On :   21 Nov 2017 8:16 AM GMT

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