मंत्रियों के ‘आश्वासन’ को लिया हल्के में लेना पड़ा भारी, मुख्य सचिव ने दिखाई सख्ती

The assurance of the ministers was taken lightly, the chief secretary showed strictness
मंत्रियों के ‘आश्वासन’ को लिया हल्के में लेना पड़ा भारी, मुख्य सचिव ने दिखाई सख्ती
मंत्रियों के ‘आश्वासन’ को लिया हल्के में लेना पड़ा भारी, मुख्य सचिव ने दिखाई सख्ती

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानमंडल अधिवेशन के दौरान मंत्रियों द्वारा सभागृह में दिए गए आश्वासनों को संबंधित विभाग और अधिकारी हल्के में ले रहे हैं। नियमानुसार सभागृह में दिए गए आश्वासनों को 90 दिन में पूरा करना अनिवार्य है। उसके बाद संबंधित रिपोर्ट आश्वासन समिति को भेजकर उसकी जानकारी देना है। लेकिन संबंधित विभाग और अधिकारी इसे हल्के में लेकर न 90 दिन की मर्यादा का ध्यान रख रहे हैं और न उसकी रिपोर्ट आश्वासन समिति को भेज रहे हैं। विशेष यह कि कुछ मामलों में अधिकारियों की रिपोर्ट और मंत्रियों के आश्वासनों में विरोधाभास भी नजर आया है। मंत्रियों ने सभागृह आश्वासन कुछ और दिया, लेकिन अधिकारियों ने उसका अपने हिसाब से अर्थ िनकालकर उसे पूरा करने की रिपोर्ट दी है। इन मामलों को संसदीय कार्य विभाग ने गंभीरता से लिया है। मुख्य सचिव अजोय मेहता ने इस पर सख्ती दिखाते हुए लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने 30 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं ताकि विधानमंडल के शीतकालीन अधिवेशन में सभागृह के पटल पर रखा जा सके। 

बैठकों से रहते हैं अनुपस्थित  
मुख्य सचिव अजोय मेहता ने समिति की बैठकों में अनुपस्थिति पर भी अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। कहा, अनेक बार अलग-अलग कारणों से अधिकारी समिति के समक्ष जवाब देने के वक्त अनुपस्थित रहते हैं और अन्य अधिकारियों को भेजते हैं। यह अधिकारी भी आधी-अधूरे तैयारी के साथ बैठकों में पहुंचते हैं और जवाब नहीं दे पाते हैं। इस कारण समिति को अपना निर्णय टालना पड़ता है। समिति ने इस पर तीव्र नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों की भूमिका पर कठोर शब्दों में रिपोर्ट में नाराजगी जताई है। 

सचिवालय जुटा है तैयारी में  
फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। हालांकि जल्द नई सरकार बनने की भी उम्मीद जताई जा रही है, जिसके बाद विधानमंडल का शीतकालीन अधिवेशन नागपुर में शुरू होने के आसार हैं। इसे लेकर विधानमंडल सचिवालय तैयारी में जुट गया है। ऐसे में सभी समितियों की रिपोर्ट मंगवाई जा रही है। इस दौरान खुलासा हुआ कि तय सीमा खत्म होने के बाद भी अनेक विभागों ने क्या कार्यवाही की, इस संबंध में अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। सबसे ज्यादा शिकायतें मंत्रियों द्वारा सभागृह में दिए गए आश्वासनों को लेकर है। इन आश्वासनों की संबंधित विभाग द्वारा 90 दिन के अंदर पूर्तता कर उसकी रिपोर्ट प्रशासकीय विभागों को देनी पड़ती है। किन्तु इस बारे में अनेक स्मरण पत्र जारी करने के बाद संबंधित विभागों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। 8 नवंबर को मुख्य सचिव अजोय मेहता ने एक पत्र जारी कर अधिकारियों पर घोर-लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने ऐसे अधिकारियों के खिलाफ जान-बूझकर विलंब और लापरवाही के मामले में कार्रवाई करने को लेकर नीति बनाने के आदेश दिए हैं। 

Created On :   13 Nov 2019 5:22 AM GMT

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