मोबाइल बिना नहीं मिल पा रहा सरकारी योजनाओं का लाभ, प्रभावित हैं दो हजार निर्धन परिवार

The benefits of government schemes are affected due to illiteracy
मोबाइल बिना नहीं मिल पा रहा सरकारी योजनाओं का लाभ, प्रभावित हैं दो हजार निर्धन परिवार
मोबाइल बिना नहीं मिल पा रहा सरकारी योजनाओं का लाभ, प्रभावित हैं दो हजार निर्धन परिवार

डिजिटल डेस्क, उमरिया। शासन द्वारा प्रदेश की अत्यंत निर्धन एवं विशेष पिछड़ी जाति का जीवन स्तर सुधारने के लिए योजनाएं संचालित की जा रहीं हैं, लेकिन उनकी निर्धनता और अशिक्षा योजनाओं के लाभ में भी आड़े आ रही हैं। ऐसी जातियों में बैगा, सहरिया, भरिया हैं, जिले में इन जातियों के कुल 14 हजार परिवार निवासरत हैं। इन जातियों के उत्थान के लिए जनवरी 2018 से शासन ट्राइबल विभाग द्वारा आहार अनुदान योजना संचालित की जा रही है, लेकिन 2 हजार परिवार आज भी ऐसे हैं जिन्हें प्रक्रिया के अभाव में लाभ नहीं मिल पा रहा है।

इस योजना के लिए हितग्राही के पास अपना मोबाइल और आधार कार्ड अनिवार्य रूप से होना चाहिए, लेकिन इन जातियों के 2 हजार लोगों के पास आज भी न तो मोबाइल है और न उनमें इतनी जागरुकता कि वे अपना आधार कार्ड व समग्र आईडी बनवा सकें। इन दस्तावेजों की क्या आवश्यकता है, उन्हें अभी यह भी नहीं मालुम है। विकास की मुख्य धारा और प्रशासन का जागरुकता अभियान अभी इनसे कोसों दूर है।

यह है योजना का स्वरूप
आहार अनुदान योजना का लाभ बैगा, सहरिया, भरिया जाति के उन परिवारों को दिया जाता है, जिसकी मुखिया महिला होती है। ऐसे परिवारों को शासन द्वारा हर माह पोषण आहार के नाम पर 1 हजार रुपए की राशि भुगतान की जाती है। जिले के 14 हजार परिवारों में इस तरह के पात्र परिवार कुल 6 हजार पाए गए हैं। इनमें से 4 हजार परिवारो को तो लाभ मिलने लगा क्योंकि उनके पास मोबाइल, आधारकार्ड, समग्र आईडी आदि उपलब्ध थे, लेकिन 2 हजार परिवारों के पास इनकी कमी थी। अब प्रशासनिक अमला इस प्रयास में है कि यह परिवार भी मोबाइल खरीदे और आधारकार्ड समग्र आई डी आदि बनवा ले।

मोबाइल बिना जारी नहीं होगा ओटीपी नंबर
हितग्राही को हर माह चूंकि 1 हजार की राशि का भुगतान बैंक के माध्यम से होना है, इसलिए ऑपरेशन ट्रांजक्शन प्रक्रिया के लिए मोबाइल का होना जरूरी है। तभी हितग्राही का ओटीपी नंबर एलाट किया जाएगा और राशि आहरित करने पर शासन को तथा हितग्राही को मैसेज के माध्यम से जानकारी हो सकेगी। इस अड़ंगे के कारण हितग्राही को मोबाइल लेना अनिवार्य है। स्थिति यह है कि न तो हितग्राही मोबाइल खरीद पा रहा है और न उसे योजना से जुडऩे का अवसर प्राप्त हो पा रहा है।

आधार कार्ड बनवाने मिलते ही नहीं
बताया गया कि योजना से वंचित लोगों के पास अपने स्थाई आवास नही हैं वे प्राय: जंगलों के निकट निवास करते हैं। जब उनसे संपर्क करने का प्रयास किया जाता है तो परिवार के मुखिया और बड़े सदस्यों से एक तो भेंट ही नहीं होती है और जब भेंट होती है तो वे आधार कार्ड बनवाने से पहले स्थाई आवास दिलाने की मांग करते हैं। वंचित परिवारों के लोग अपने आधार कार्ड और समग्र आई डी बनवाने के प्रति अधिक रुचि नही लेते हैं।

ग्रामपंचायतो ने नहीं निभाई भूमिका
शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने पंचायत क्षेत्र के सभी लोगों को आधार कार्ड, समग्र आई डी आदि बनवाने न केवल प्रेरित किया जाना था बल्कि उसके लिए व्यवस्थाएं करने के भी निर्देश दिए गए थे, लेकिन ग्रामपंचायतों ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए। एक दो बार जानकारी देने के बाद उन्होने चुप्पी साध ली। जबकि निरंतर सर्वे कर यह देखा जाना था कि किस ग्रामीण के पास कौन सा जरूरी दस्तावेज नहीं है। ग्रामपंचायतों का कार्य केवल गरीबी रेखा सूची तक ही सीमित होकर रह गया।

इनका कहना है
वंचित परिवारों को सतत प्रेरित करने विभाग द्वारा पुन: सर्वे कर एक कार्यक्रम तैयार किया गया है। शत-प्रतिशत पात्र परिवारों को योजना का लाभ मिले इसके प्रयास किये जा रहे हैं।
जेपी सर्वटे, उपायुक्त ट्राइबल विभाग

 

Created On :   23 Jun 2018 11:55 AM GMT

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