देव दिवाली आज : स्वर्ग में होगा उत्सव, दीपों से जगमगाएंगे काशी के 84 घाट

The Dev Deepavali or Dev diwali 2017 on the Kartik Poornima 2017
देव दिवाली आज : स्वर्ग में होगा उत्सव, दीपों से जगमगाएंगे काशी के 84 घाट
देव दिवाली आज : स्वर्ग में होगा उत्सव, दीपों से जगमगाएंगे काशी के 84 घाट

डिजिटल डेस्क, वाराणासी। दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। देव उठनी एकादशी पर भी जमकर फटाके फूटे और दीपक जलाए गए, लेकिन इंसानों के इस खुशी के त्योहार के बाद अब देवों की दिवाली अभी शेष है। वैकुण्ठ चतुर्दशी के बाद इस वर्ष यह 3 नवंबर को अर्थात अाज मनाई जा रही है। वैसे तो इसे पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा उत्साह वाराणासी में देखने मिलता है। यहां गंगा के तट दीपों से जल उठते हैं। यह कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। 

शिव ने किया त्रिपुरासुर का वध
देव दिवाली को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना पर त्रिपुरासुर के अत्याचारों से संसार को मुक्त कराया था। देवताओं को राक्षस त्रिपुरासुर के कुकृत्यों से मुक्ति मिली थी। इसी खुशी में देवताओं ने यह दिन दिवाली की तरह मनाया। जिसे देव दिवाली कहा गया। 

दीपों से जगमगा उठते हैं काशी के 84 घाट

इस दिनों त्रिदेवों के पूजन का महत्व है। ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों का स्मरण कर गंगा में दीपदान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पुनर्जन्म के कष्ट से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन गंगा तट पर रविदास घाट से राजघाट तक हजारों दीपक जलाए जाते हैं। काशी के 84 घाट दीपों से टिमटिमा उठते हैं। 

काशी में निवास करते थे देवता

ऐसा कहा जाता है कि पहले काशी में देवता निवास करते थे जब त्रिपुरासुर के वध और अपने हाथों से बसायी गई नगरी काशी को राजा दिवोदास के अहंकार से भगवान शिव ने मुक्त कराया तो देवता प्रसन्न हो गए और काशी पूर्णिमा की रात दीपों से जगमगा उठी। ऐसी भी मान्यता है कि देव दिवाली पर देवताओं का धरती विशेष रूप से काशी में आगमन होता है।

Created On :   1 Nov 2017 5:41 AM GMT

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