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शीतलहर का असर, न्यूनतम और अधिकतम तापमान अभी भी नीचे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लगातार शीतलहर से गुजर रहे विदर्भ में अब कुछ राहत के बादल आने की उम्मीद है। मौसम विभाग के अनुसार, हिमालय क्षेत्र में बर्फबारी जारी है। इससे उत्तर व उत्तर पूर्व से आ रही ठंडक भरी हवा विदर्भ को कंपकंपा रही है। हालांकि दिन का पारा कुछ ऊपर की ओर खिसका है। अनुमान है कि गुरुवार से शीतलहर से कुछ राहत मिलने लगेगी। हालांकि पूरी रात ठंड के जोर के साथ हवा की गति भी तेज रही। इससे ठंड की अनुभूति अधिक थी। सुबह प्रतिदिन की तरह ही सर्द हवाएं घेरे रही। बुधवार का पारा मंगलवार की अपेक्षा कुछ ऊपर की ओर चढ़ा है। हालांकि यह अभी भी सामान्य से नीचे बना हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार,आर्द्रता भी धीरे-धीरे घट रही है। इससे भी ठंड की तीव्रता में कमी आने की उम्मीद है। बुधवार को अधिकतम आर्द्रता 70 तथा न्यूनतम 36 प्रतिशत रही।
न्यूनतम तापमान 3.9 रहा
बुधवार को शहर का न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह जनवरी माह के अब तक ज्ञात न्यूनतम तापमान 3.9 डिग्री सेल्सियस से मात्र 0.7 डिग्री सेल्सिस अधिक रहा। हालांकि इस सत्र के इस माह में बुधवार का न्यूनतम तापमान सबसे कम रहा है।
(यह है इस माह का रिकार्ड : 7 जनवरी 1937 को सबसे कम न्यूनतम तापमान 3.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था।)
अनुमान : मौसम विभाग के अनुसार, हवा की दिशा में बदलाव हो रहा है। इससे जल्दी ही विदर्भ को शीतलहर से राहत मिलने के आसार हैं। दिन का तापमान धीरे-धीरे ऊपर की ओर जा रहा है। न्यूनतम तापमान बुधवार की अपेक्षा गुरुवार को कुछ बढ़ने की उम्मीद है। देर रात व अल-सुबह धुंध का असर रहा। हवा की गति के कारण विंड चिल्ड फैक्टर का असर बना रह सकता है।
विंड चिल्ड फैक्टर और ग्राउंड फ्रॉस्ट से कंपकंपी
विदर्भवासी ठंड की तीव्रता के नीचे दबे पड़े हैं। ऊपरी सतह पर तेज ठंडी हवा और नीचे ठंडी जमीन के चलते हड्डी कंपा देने वाली ठंड लोगों को बेहाल किए हुए है। पहले से ही घटे हुए तापमान में विंड चिल्ड फैक्टर के असर से ठंड की तीव्रता और बढ़ रही है। ग्राउंड फ्रॉस्ट के कारण नीचे से ठंड उठ रही है। इससे ठंड का असर वास्तविक से अधिक हो रहा है।
बारिश से फंसे शीतलहर में
विदर्भ सहित कुछ राज्यों में बौछारें पड़ीं। तभी से वादी क्षेत्र में बर्फबारी बनी हुई है। बौछारों के बाद हवा की दिशा उत्तरीय हो गई और लगातार बनी रही। साथ ही हवा की गति भी बढ़ी है। इससे विंड चिल्ड फैक्टर सक्रिय हुआ। वर्षा के कारण जमीनी ठंड बढ़ी और समूचा विदर्भ शीतलहर में फंस गया।
Created On :   31 Jan 2019 4:14 AM GMT