किसानों ने कर्ज चुकाने से किया इंकार, ब्याज हुआ सात गुना, सरकारी योजनाएं हो रही नाकाम

The farmers have raised there hands on paying the loan by keeping the situation
किसानों ने कर्ज चुकाने से किया इंकार, ब्याज हुआ सात गुना, सरकारी योजनाएं हो रही नाकाम
किसानों ने कर्ज चुकाने से किया इंकार, ब्याज हुआ सात गुना, सरकारी योजनाएं हो रही नाकाम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसानों की बैंक कही जाने वाली भू-विकास बैंक के कर्जदार किसानों ने हालातों का हवाला देकर कर्ज भुगतान करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। वर्षों से कर्ज नहीं चुकाने के कारण  10.98 करोड़ रुपया ब्याज सहित 69.14 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यानी 58.16 करोड़ सिर्फ ब्याज चुकाना है। इस वसूली के लिए बैंक के अधिकारियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही है। पता चला, किसी किसान की आर्थिक परिस्थिति खराब है तो कहीं न्यायालयीन वाद है और किसी की जमीन विविध प्रकल्पों में चली गई है। ऐसे में कोई किसान न कर्ज भुगतान करने में दिलचस्पी दिखा रहा है और न ही सात-बारा कोरा करने की कोशिश कर रहा है। विशेष यह कि सात-बारा कोरा नहीं होने से उन्हें दूसरे बैंकों से भी नया कर्ज नहीं मिल रहा है। हद यह है कि समय-समय पर इनके लिए कर्जमाफी, ब्याज माफी सहित विविध योजनाएं आईं, लेकिन सभी नाकाम साबित हुई है। किसान कर्जमाफी के लिए शेष रकम या ब्याज भरकर खाता बंद करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। ऐसे में लगातार ब्याज सहित कर्ज की रकम बढ़ती जा रही है।  

यह है मौजूदा स्थिति 
फिलहाल किसानों पर भू-विकास बैंक का 69.14 करोड़ रुपए बकाया है। योजना अनुसार 1450 किसानों को एकमुश्त सिर्फ 18.11 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। 18.11 करोड़ रुपए भुगतान करने पर 51.03 करोड़ रुपए माफ हो सकते हैं, लेकिन किसान इसके लिए भी आगे नहीं आ रहे हैं। 

रिश्तेदारों को बांटा अनाप-शनाप कर्ज 
गणेशपेठ स्थित भू-विकास बैंक को अब नागपुर जिला सहकारी कृषि ग्रामीण बहुउद्देशीय विकास बैंक के नाम से जाना जाता है। फिलहाल बैंक पर ‘लिक्विडेटर’ बैठा है। बैंक अधिकारी और पदाधिकारियों द्वारा अनाप-शनाप ढंग से कर्ज बांटने से बैंक की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई थी। इस कारण युति सरकार के कार्यकाल में बैंक पर नया कर्ज बांटने पर रोक लगा दी गई थी। 1996-97 से बैंक द्वारा कोई नया कर्ज नहीं बांटा गया है। 2010 में बैंक पर प्रशासक की नियुक्ति की गई है और 2015 में बैंक पर ‘लिक्विडेटर’ बैठा दिया गया। आर्थिक परिस्थिति गड़बड़ाने के लिए कर्ज की वसूली नहीं होना बड़ा कारण माना जाता है। आरोप है कि तत्कालीन बैंक के पदाधिकारियों ने अपने करीबी व रिश्तेदारों के नाम पर अनाप-शनाप कर्ज का आवंटन किया है। कई फर्जी नामों पर कर्ज का आवंटन हुआ। इस कारण कर्ज की वसूली नहीं हो पाई। जिनके नाम कर्ज दिया गया है, वे सभी तत्कालीन पदाधिकारियों के करीबी हैं और इसलिए अधिकारी वसूली नहीं कर पा रहे हैं। वसूली नहीं होने के लिए अब विविध कारण बताए जा रहे हैं। किसी की आर्थिक परिस्थिति खराब है तो कोई न्यायालयीन विवाद में फंसा है। किसी की जमीन विविध योजनाओं में अधिग्रहित हुई है। ऐसी रिपोर्ट सरकार को भेजकर वसूली में असमर्थ होने की जानकारी दी गई है। करीब 1450 किसान हैं, जिनसे वसूली नहीं हुई है। 

कर्जमाफी योजनाएं बेकार
केंद्र और राज्य सरकार ने किसानों की कर्जमाफी योजना लायी थी। यूपीए सरकार के कार्यकाल में भू-विकास बैंक के 4143 किसानों की 9 करोड़ की कर्जमाफी हुई थी, जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से 20 हजार रुपए तक कर्जमाफी योजना लाई गई। 91 किसानों को इसका फायदा हुआ था। इसके बाद से सरकार द्वारा लगातार एकमुश्त योजना चलाई जा रही है। योजना अंतर्गत िकसानों को कर्ज की मूल राशि एकमुश्त भरकर अपना सात-बारा कोरा करना है। इसमें ब्याज की राशि माफ की गई है, किन्तु इस योजना को कर्जदार किसानों का प्रतिसाद नहीं मिल रहा है। किसानों का प्रतिसाद नहीं मिलने से योजना को 31 मार्च 2019 तक आगे बढ़ाया गया है। फिलहाल किसानों पर भू-विकास बैंक का 69.14 करोड़ रुपए बकाया है। योजना अनुसार 1450 किसानों को एकमुश्त सिर्फ 18.11 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। 18.11 करोड़ रुपए भुगतान करने पर 51.03 करोड़ रुपए माफ हो सकते हैं, लेकिन किसान इसके लिए भी आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सरकार को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। 

3 हजार का कर्ज हो गया लाख
भू-विकास बैंक किसानों के कृषि कार्य के लिए मदद करने के लिए जानी जाती थी। ऐसे में कृषि क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक कार्य के लिए उसने धड़ल्ले से कर्ज बांटा, जिसका फायदा तत्कालीन पदाधिकारियों ने उठाया। जिन्होंने 3 हजार का कर्ज लिया था, उनका कर्ज भी अब लाख के आसपास पहुंच गया है। हिंगना के महेंद्र बोरकर नामक किसान ने ट्रैक्टर के लिए करीब 4 लाख रुपए का कर्ज उठाया था। अब ब्याज सहित यह कर्ज 13.48 लाख तक पहुंच गया है। ऐसे अनेक किसान है, जिनपर करोड़ों का कर्ज बकाया है। आर्थिक हालातों का हवाला देकर अब ये हाथ खड़े कर रहे हैं। इन्हें अपेक्षा है कि सरकार इनके हालातों को देख कर्जमाफ करेगी। 

किसानों के लिए एक और मौका 
सरकार ने कर्जदार किसानों के लिए एकमुश्त कर्ज भुगतान योजना को फिर बढ़ाया है। 31 मार्च तक किसान एकमुश्त कर्ज भुगतान कर योजना का लाभ ले सकते हैं। फिलहाल हमारे अधिकारी वसूली के लिए गांव-गांव जाते हैं। लेकिन जिन पर बकाया है, उनकी स्थिति नहीं है कि वे कर्ज का भुगतान कर सके। इसलिए वसूली नहीं हो पा रही है। 
(आर.के. बोरकुटे, मुख्य व्यवस्थापक नागपुर जिला सहकारी कृषि ग्रामीण बहुउद्देशीय विकास बैंक )
 

Created On :   12 Oct 2018 8:38 AM GMT

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