खतरे में नाबालिग रेप पीड़िताओं का भविष्य,सरकार से योजना बनाने की मांग

The future of minor rape victims in danger,Government-made plan
खतरे में नाबालिग रेप पीड़िताओं का भविष्य,सरकार से योजना बनाने की मांग
खतरे में नाबालिग रेप पीड़िताओं का भविष्य,सरकार से योजना बनाने की मांग

डिजिटल डेस्क,भोपाल। प्रदेश सरकार लाडली बेटियों के लिए राज्य में भले ही शिक्षा और स्वास्थ्य की विभिन्न योजनाएं चला रही है, लेकिन इनमें कुछ ऐसी बेटियां हैं जो बलात्कार पीड़िता होने के कारण अनचाहे मातृत्व का दंश झेल रही है। राज्य में नाबालिग बलात्कार पीड़िताओं के हित में कोई योजना संचालित नहीं हो रही है न ही उनके बच्चों के सुरक्षित भविष्य को लेकर कोई प्रावधान है। लिहाजा राज्य मानव अधिकार आयोग ने पीड़िताओं और उनके बच्चों के लिए विशेष योजना बनाने संबंधी अनुशंसा राज्य सरकार को भेजी है।

दरअसल बीते 2 साल में राज्य मानवाधिकार आयोग की सुनवाई में ऐसे 4 प्रकरण सामने आए हैं जिनमें बलात्कार की शिकार हुई नाबालिगों और उनके नाजायज बच्चों के भविष्य को लेकर मदद की गुहार लगाई गई है। सुनवाई के दौरान आयोग ने पाया कि बलात्कार के मामलों में आईपीसी की धारा 357 ए में नाबालिग बच्चियों के प्रकरणों में पीड़िताओं को प्रतिकर का प्रावधान ही नहीं है। इस स्थिति का शिकार उनके बच्चे भी है जिनका पंजीयन न तो आंगनबाड़ियों में हो पा रहा है न ही उनकी नाबालिग माताएं उन्हें अनाथालयों में भेजने को तैयार है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कुछ एन स्टॉप सेंटर खोले गए हैं वे भी संसाधनों के अभाव में बलात्कार पीड़िताओं की मदद करने की स्थिति में नहीं हैं। 

क्या हैं प्रावधान ?
बलात्कार पीड़िताओं ने गर्भधारण किए जाने पर एमटीपी एक्ट के तहत अधिकतम 20 सप्ताह तक बिना किसी अनुमति के गर्भपात कराया जा सकता है, लेकिन जानकारी के अभाव में समायावधि निकल जाने पर नाबालिग लड़कियां मां बनने पर मजबूर हैं। वहीं बाल संरक्षण अधिनियम के तहत ऐसे बच्चों को गोद देने का भी प्रावधान है लेकिन अव्यस्क स्थिति में मां बनने के बावजूद कोई भी मां अपने नाजायज बच्चे को भी किसी अन्य को गोद देने को तैयार नही है। 

इन मामलों में भेजी अनुशंसा
बालाघाट में 2014 में नाबालिग बच्ची के बलात्कार के बाद आरोपी जेल में है अब पीड़िता के पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता की मांग की जा रही है। इसी प्रकार खजुराहो मेले में एक अज्ञात व्यक्ति ने 7 वर्षीय बच्ची के साथ दुषकर्म किया और हत्या का प्रयास कर फरार हो गया। अब उसके निशुल्क इलाज और आर्थिक सहायता के लिए आयोग में अपील की गई है। नाबालिग बलात्कार पीड़िता के सुरक्षित जीवन के लिए 5 लाख रुपए की अंतरिम राशि एक माह में प्रदान की जाए। बलात्कार पीड़िता के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भी लाडली लक्ष्मी योजना जैसी योजना संचालित की जाए। 

मानवाधिकार आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी का कहना है कि ऐसे मामलों में मानवीय मदद के लिए राज्य शासन को पहले भी अनुशंसा भेजी गई है। चौथी बार फिर भेज रहे हैं, जागरुकता के अभाव में नाबालिग बच्चियों को मां बनने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश में बलात्कार की संख्या में लगातार इजाफे के बावजूद फिलहाल महिला बाल विकास विभाग और सीडब्ल्यूसी भी ऐसे मामलों में कोई मदद नहीं कर पा रहा है।  
 

Created On :   1 Aug 2017 4:49 AM GMT

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