15,000 किलो शुद्ध सोना, पूरे नगर में फैलती है इस 'महालक्ष्मी' मंदिर की स्वर्ण रोशनी

The golden temple of Mahalaxmi situated at the Sripuram Vellore
15,000 किलो शुद्ध सोना, पूरे नगर में फैलती है इस 'महालक्ष्मी' मंदिर की स्वर्ण रोशनी
15,000 किलो शुद्ध सोना, पूरे नगर में फैलती है इस 'महालक्ष्मी' मंदिर की स्वर्ण रोशनी

डिजिटल डेस्क, वेल्लोर। महालक्ष्मी मंदिर, नाम से ही स्पष्ट है कि यह धन-संपदा से परिपूर्ण होगा। माता लक्ष्मी के इस मंदिर की स्वर्णिम आभा देखते ही बनती है। अब तक निर्माण किए गए मंदिरों में सबसे अलग और अद्भुत। बताया जाता है कि जैसे-जैसे रात ढलती है वैसे-वैसे इसकी चमक बढ़ती ही जाती है। जिसकी रोशनी लगभग पूरे नगर में फैलती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा, लेकिन इसके निर्माण में मां लक्ष्मी की असीम कृपा रही और 15,000 किलोग्राम विशुद्ध सोने का इस्तेमाल कर इसे बनाया गया। 

300 करोड़ की राशि 

जी हां, ये स्वर्ण मंदिर श्रीपुरम, लक्ष्मी नारायण मंदिर अथवा महालक्ष्मी स्वर्ण मन्दिर (Golden Temple, Sripuram) तमिलनाडु राज्य के वेल्लोर नगर में स्थित है। स्थानीय लोग इसे लक्ष्मी अम्मा आैर नारायणी अम्मा मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर वेल्लोर शहर के दक्षिणी भाग में बना है। भारी मात्रा में सोने का उपयोग होने की वजह से ही इसका नाम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर पड़ गया। इसे स्वर्ण मंदिर श्रीपुरम के नाम से भी जाना जाता है। इसके निर्माण में 300 करोड़ रूपए से ज्यादा राशि की लागत आई है।  विश्व में किसी भी मंदिर के निर्माण में इतना सोना नहीं लगा है। आंतरिक एवं बाहरी सजावट में हर ओर स्वर्ण देखा जा सकता है। 

100 एक में फैलाव 

पूरे मंदिर काे गाेल्ड से कवर किया गया है। जिसमें 9 से 15 तक लेयर नजर आती हैं। मंदिर का उद्घाटन अगस्त 2007 में हुआ था।  यहां पूरे सालभर बड़ी संख्या में भक्तों का आगमन होता है। कई बार तो यहां एक दिन में एक लाख से ज्यादा लोग तक आ जाते हैं। वृत्ताकार संरचना का मंदिर करीब 100 एकड़ में फैला है। इस अनोखे इस मंदिर परिसर में देश की सभी प्रमुख नदियों के पानी से सर्व तीर्थम सरोवर बनाया गया है। जिसे देखने के लिए लाेगाें की भारी भीड़ हाेती है। 

Created On :   9 Oct 2017 6:27 AM GMT

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