मकर संक्रांति और खरमास, अशुभ मानी गई है इस माह में मृत्यु

The Hindu festival, Makar Sankranti and Kharmas 2018 in hindi
मकर संक्रांति और खरमास, अशुभ मानी गई है इस माह में मृत्यु
मकर संक्रांति और खरमास, अशुभ मानी गई है इस माह में मृत्यु

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पृथ्वी की आकृति आॅबलेट स्पेहरविड है। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है ना कि सूर्य पृथ्वी के। ये थ्योरी काॅपरनिकस ने दी थी। हालांकि जब इसे दिया गया था। तब उन्हें इसका दंड भी भुगतना पड़ा। बहरहाल ये तो हो गई विज्ञान की बातें जिसके तहत भी सूर्य का महत्व स्पष्ट होता है। लेकिन यहां हम बात कर रहे हैं खरमास और मकर संक्रांति की। 

 

पौराणिक कथा

खरमास समाप्त होते ही मकर संक्रांति है जो कि हर साल 14 जनवरी को पड़ती है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसे उत्तरायण भी कहा जाता है। खरमास में खर का अर्थ होता है गधा। पौराणिक कथा के अनुसार के सूर्यदेव जब संसार का भ्रमण कर रहे थे तब उनके तेजस्वी रथ पर बंधे सात घोड़ों को अचानक ही प्यास लगी। वे उन्हें पानी पिलाने के लिए एक तालाब किनारे रुके लेकिन तभी उन्हें याद आया कि उन्हें बिना रुके निरंतर कार्य करना है, किंतु प्यासे अश्व चलने में विवश थे उन्होंने पास ही खड़े गधों को रथे से बांधा और आगे बढ़ गए। गधे की चाल अश्व के समान तीव्र नही होती। अतः यही वजह बतायी जाती है कि इस माह सूर्य धीमी रोशनी प्रदान करता है। जब सूर्यदेव अपने अश्वों को दोबारा रथ में बांधते हैं तो ऋतु परिवर्तन का संकेत मिलने लगता है। 

 

प्राप्त था इच्छामृत्यु का वरदान

इसके साथ ही यह माह शुभ नही माना जाता। ऐसा कहा जाता है कि इस माह में प्राण त्यागने वाला नरक का भागी होता है। इसी वजह से पितामह भीष्म को जब कुरुक्षेत्र में तीर लगे और वे शैया पर लेट गए तो उन्होंने अर्जुन से कहकर एक तीर का तकिया भी बनवाया। उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था और वे इस माह के रहस्य से भी परिचित थे। अतः उन्होंने मकर संक्रांति के दिन अपने प्राण त्यागे थे। 
 

Created On :   20 Dec 2017 12:10 AM GMT

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