अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स की अटकी स्कॉलरशिप पर कोर्ट करेगा फैसला

The Nagpur Bench of the Bombay High Courts stay on  post matric scholarship
अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स की अटकी स्कॉलरशिप पर कोर्ट करेगा फैसला
अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स की अटकी स्कॉलरशिप पर कोर्ट करेगा फैसला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अल्पसंख्यक विभाग द्वारा प्रदेश के अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स को दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक (11वीं, 12वीं कक्षा) स्कॉलरशिप के आवंटन पर बीते एक महीने से बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्टे लगा रखा है। हाल ही में इस मामले में हुई सुनवाई हुई, जिसमें राज्य और केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट से अपना उत्तर प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने उन्हें एक अंतिम मौका देते हुए मामले की सुनवाई 6 दिसंबर को रखी है। ऐसे में गुरुवार को स्कॉलरशिप से जुड़ा एक अहम निर्णय हाईकोर्ट में हो सकता है। 
 

सुनवाई 6 दिसंबर को 
दरअसल, अकोला की शाहबाबू एजुकेशन सोसायटी और अन्य अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा स्टूडेंट्स के बैंक अकाउंट में सीधे तौर पर छात्रवृत्ति भेजने का विरोध किया था। इस अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए बीते 23 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने छात्रवृत्ति आवंटन पर स्टे लगा दिया था। अब जल्द ही इस मामले में फैसला आएगा। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.अनूप ढोरे ने पक्ष रखा। केंद्र सरकार की ओर से एड.मुग्धा चांदुरकर ने पक्ष रखा।

राज्य सरकार ने नहीं निकाले निर्देश
भारत सरकार के केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा देश भर के अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स को पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है।  वर्ष 2012 तक इस योजना के तहत स्टूडेंट्स की कोर्स फीस स्कूल/कॉलेज के बैंक अकाउंट में आर मेंटेनेंस भत्ता स्टूडेंट के बैंक अकाउंट में भेजी जाती थी, लेकिन राज्य में इस प्रक्रिया की खामियों का फायदा उठा कर कई स्कालरशिप घोटाले हुए। कई ऐसे मामले भी हुए, जिसमें शिक्षा संस्थाओं ने फर्जी स्टूडेंट के नाम पर अवैध तरीके से स्कॉलरशिप हजम कर ली। ऐसे में शैक्षणिक सत्र 2014-15 में नीति में बदलाव हुआ और सारी की सारी स्कॉलरशिप स्टूडेंट के बैंक अकाउंट में भेजी जाने लगी। 

शिक्षा संस्थाओं का अपना तर्क
इसका शिक्षा संस्थाओं ने विरोध किया और उच्च शिक्षा विभाग को ज्ञापन सौंप कर पहले की नीति लागू रखने की मांग की। शिक्षा संस्थाओं का तर्क था कि सरकार की ओर से सीधे तौर पर कोई अनुदान न मिलने से उन्हें कॉलेज चलाना मुश्किल हो रहा है। इधर, स्टूडेंट भी ईमानदारी से अपनी फीस कॉलेजों को लाकर नहीं दे रहे हैं। लेकिन इस नीति में कोई परिवर्तन न होने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने इस मामले को राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वे स्टूडेंट को निर्देश जारी करें कि यदि उन्होंने स्कॉलरशिप जमा होने के 15 दिनों के भीतर कॉलेज को फीस नहीं दी तो उनके अगले सत्र के प्रवेश का नवीनीकरण नहीं होगा, लेकिन कोर्ट में आश्वासन देने के बाद भी राज्य सरकार ने निर्देश जारी नहीं किए तो याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर की थी। 

Created On :   4 Dec 2018 5:35 AM GMT

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