फर्जी काॅल सेंटर पर पुलिस का छापा, 42 शहरों में फैला रखा था जाल

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फर्जी काॅल सेंटर पर पुलिस का छापा, 42 शहरों में फैला रखा था जाल

दैनिक भास्कर न्यूज़ डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बल्लारशाह स्थित विद्यानगर वार्ड में किराए के कमरे में चल रहे फर्जी काॅल सेंटर पर नागपुर के साइबर सेल विभाग की पुलिस ने छापा मारा। कॉल सेंटर संचालक प्रवीण कुमार वाल्मीकि प्रसाद (45) ग्राम संगत, बिहार शरीफ (बिहार) और अरुण विनोद त्रिवेदी (32) ग्राम भोजपुर, रायबरेली (उत्तर प्रदेश) निवासी को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने सेंटर से 3 कम्प्यूटर, 1 लैपटॉप, 1 कलर प्रिंटर, 15 मोबाइल, 19 सिमकार्ड, शासकीय फर्जी दस्तावेज, 1 दोपहिया वाहन और 1 लाख 6 हजार 800 रुपए नकदी सहित करीब 2 लाख 83 हजार रुपए का माल जब्त किया है। सेंटर में काम करने वाली चंद्रपुर की 9 युवतियों व दो युवकों से भी पूछताछ हो रही है। यह जानकारी मंगलवार को पुलिस आयुक्तालय में आयोजित प्रेसवार्ता में आर्थिक अपराध शाखा पुलिस विभाग व साइबर सेल विभाग की उपायुक्त श्वेता खेडकर ने दी।

उपायुक्त खेडकर ने बताया कि आरोपी प्रवीणकुमार और अरुण रिश्तेदार हैं। इन दोनों ने बेरोजगार युवाआें को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के नाम पर सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी किया है। आरोपियों ने महाराष्ट्र, गोवा, बिहार, अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश के मेरठ समेत 42 शहरों में तकरीबन 2408 लोगों के साथ 12 लाख की ठगी की है, जिसमें महाराष्ट्र के नागपुर, पुणे, नासिक, कोल्हापुर, परभणी सहित 39 शहर शामिल हैं। आरोपियों ने बल्लारशाह में कॉल सेंटर खोल रखा था, जहां से योजना के अंतर्गत जानकारी देते हुए आवेदनकर्ताओं को शासकीय विभाग में सुपरवाइजर और डाटा एंट्री के पद पर नौकरी दिलाने का प्रलोभन देकर, उनसे रजिस्ट्रेशन शुल्क के नाम पर 2500 से 4500 रुपए चार बैंकों के खातों में जमा कराए जाते थे।

सरकारी नौकरी लगने का फर्जी कॉल लेटर भेजकर हजारों बेरोजगारों से ठगी करने वाला आरोपी प्रवीणकुमार वाल्मिकी प्रसाद ने परिचित के आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज के आधार पर बिहार की एक बैंक में खाता खोला और सिमकार्ड भी खरीदा। प्रवीण कुमार इस बात काे भलीभांति जानता था कि सरकारी योजनाओं के नाम पर युवाओं में अच्छा खासा रुझान होता है। प्रवीण कुमार खुद दिल्ली में रहते हुए 8 वर्ष पहले नेशनल डिजीटल लिटरसी मिशन (एनडीएलएम) नामक सरकार के महत्वाकांक्षी प्रकल्प में काम कर चुका था। उसे इस तरह की योजनाओं का कार्य कैसे होता है। इससे युवाओं को कैसे जोड़कर उनसे पैसे कमाया जा सकता है। यह बात प्रवीणकुमार को पता थी। फिलहाल दोनों आरोपी 28 जून तक पुलिस रिमांड पर हैं।

300 पीड़ित आए सामने
अभी तक 300 पीड़ितों से पुलिस मोबाइल पर संपर्क कर चुकी है। यह गोरखधंधा दिसंबर 2016 से किया था। आरोपियों ने कुछ अखबारों में विज्ञापन देकर ठगी किया। दस्तावेज हासिल होने पर आवेदनकर्ता को कॉल सेंटर से सुपरवाइजर या डाटा एंट्री की नौकरी मिलने का कॉल 10-12 दिनों में किया जाता था। कॉल सेंटर में तीन हजार रुपए महीने के वेतन पर रखी गई युवतियों फोन कर पैसे बैंक ऑफ बडोदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और एसबीआई बैंक के तीन खातों में जमा करने को कहती थीं। आवेदनकर्ता को फर्जी नियुक्ति पत्र, शासकीय दस्तावेज से लेकर ज्वाइंनिग लेटर खुद कलर प्रिंटर पर प्रिंट कर भेजते थे। इस फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश करने में साइबर सेल विभाग के एपीआई विशाल माने, प्रशांत भर्ते और अन्य सहयोगियों ने अहम भूमिका निभाई।

सिर्फ विदर्भ में इतने
नागपुर - 106
अकोला - 43
अमरावती - 06
भंडारा - 02
बुलढाणा - 16
चंद्रपुर - 07
गड़चिरोली - 04
गोंदिया - 06
वर्धा - 08
वाशिम - 10
यवतमाल - 10
सिर्फ विदर्भ में इतने कॉल

Created On :   28 Jun 2017 8:33 AM GMT

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