ज्योतिष विज्ञान में छुपा है आपके स्वस्थ जीवन का राज! जानें कैसे ?

The secret of your healthy life is hidden in astrology Science
ज्योतिष विज्ञान में छुपा है आपके स्वस्थ जीवन का राज! जानें कैसे ?
ज्योतिष विज्ञान में छुपा है आपके स्वस्थ जीवन का राज! जानें कैसे ?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शरीर को निरोगी बनाए रखने के लिए ज्योतिष के हेल्थ टिप्स को अपनाना बहुत जरुरी है। आप में से कई लोग हेल्थ टिप्स को लेकर सजग और गंभीर होंगे। अपने शरीर को फिट बनाए रखने के लिए कई लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं, जो कि अच्छी बात है, क्योंकि स्वस्थ शरीर हमारा सबसे बड़ा धन है। 

कई बार आपने लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि 
“जान है तो जहांन है और प्रथम सुख निरोगी काया। 

इस कहावत का तात्पर्य हमारे स्वस्थ जीवन से है। परंतु हमें यह पता कर लेना जरुरी है कि स्वस्थ जीवन का अर्थ यहां सिर्फ आरोग्य जीवन से नहीं है, बल्कि मनुष्य का सर्वांगीण विकास ही स्वस्थ जीवन है। जो मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक खुशहाली की स्थिति को दर्शाता है।

ज्योतिष और स्वास्थ्य
वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक ग्रह का संबंध व्यक्ति के किसी न किसी अंग से है और इन ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार जब कोई पीड़ित ग्रह लग्न, लग्नेश, षष्ठम भाव अथवा अष्टम भाव से सम्बन्ध बनाता है तो ग्रह से संबंधित अंग रोग से प्रभावित हो सकता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार छठे भाव के स्वामी का सम्बन्ध लग्न भाव लग्नेश या अष्टमेश से होना स्वास्थ्य के पक्ष से शुभ नहीं माना जाता है। जब छठे भाव का स्वामी एकादश भाव में हो तो रोग अधिक होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसी प्रकार छठे भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो तो व्यक्ति को लंबी अवधि के रोग होने की अधिक संभावनाएं रहती हैं। यदि लग्नेश छठे या आठवें भाव में हो तो इस स्थिति में भी शारीरिक कष्ट रहने की संभावना रहती है।

ग्रह संबंधित अंग व पीड़ा

सूर्य से
ह्रदय, पेट, पित्त, दायीं आँख, घाव, जलने का घाव, गिरना, रक्त प्रवाह में बाधा

चंद्रमा से
शरीर के तरल पदार्थ, रक्त, बायीं आँख, छाती, दिमागी परेशानी, महिलाओं में मासिक चक्र की अनिमियतता

मंगल से
सिर, जानवरों द्वारा काटना, दुर्घटना, जलना, घाव, शल्य क्रिया, आपरेशन, उच्च रक्तचाप, गर्भपात

बुध से
गले, नाक, कान, फेफड़े, आवाज, बुरे सपनों का आना

गुरु से 
यकृत, शरीर में चर्बी, मधुमेह, कान

शुक्र से
मूत्र में जलन, गुप्त रोग, आंख, आंतें, अपेंडिक्स, मूत्राशय में पथरी

शनि से
पांव, पंजे की नसे, लसीका तंत्र, लकवा, उदासी, थकान

राहु से
हड्डियां, जहर , सर्प दंश, बीमारियां, डर

केतु से
हकलाना, पहचानने में दिक्कत, आंत, परजीवी

समाधान
भारतीय ज्योतिष में मनुष्य की समस्याओं का समाधान है। यदि आपको किसी प्रकार की शारीरिक पीड़ा है तो आप उस रोग से संबंधित ग्रह की शांति के उपाय कर सकते हैं। वास्तु शास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसमें व्यक्ति के व्यवस्थित जीवन के बारे में वर्णन है। इसमें वास्तु कला, भवन निर्माण, घर में शुभ-अशुभ पेड़-पौधों की दिशा की स्थिति को बतलाया गया है और इन सबका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। यदि घर का निर्माण वास्तु के हिसाब से न हो तो घर में तमाम तरह की विपत्तियां आती हैं। इसे वास्तु दोष भी कहते हैं। इसमें घर के सदस्यों को कई तरह के शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। मनुष्य का जीवन निरोगी रहे इसलिए वास्तु शास्त्र के स्वास्थ्य संबंधी उपाय जानना बेहद जरुरी है।

दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य भाग को नैऋत्य कोण कहा जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा का स्वामी राक्षस है। अतः इस दिशा का वास्तु दोष दुर्घटना, रोग और मानसिक पीड़ा का कारक होता है। वास्तु के अनुसार घर पर शौचालय और रसोई का स्थान ऐसी दिशा में नहीं होना चाहिए जिससे घर में रोग या नकारात्मक ऊर्जा का आगमन हो। वास्तु टिप्स के अनुसार प्रमुख व्यक्तियों का शयन कक्ष नैऋत्य कोण में होना चाहिए और बच्चों को वायव्य कोण में रखना चाहिए। शयनकक्ष में सोते समय सिर उत्तर में, पैर दक्षिण में कभी न करें। ध्यान रखें ईशान कोण में सोने से बीमारी होती है। बीम के नीचे व कालम के सामने नहीं सोना चाहिए।

स्वास्थ्य के लिए तुलसी एक चमत्कारिक औषधि है। वेदों और पुराणों में तुलसी को लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है इसलिए यह पौधा पूजनीय है। लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह पौधा घर में नकारात्मक दोषों को दूर करता है। अध्ययन के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा हो उस घर के सदस्य स्वस्थ और दुरुस्त रहते हैं। औषधि के रूप में भी तुलसी का बड़ा महत्व है। वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी का पौधा घर के दक्षिण भाग में नहीं लगाना चाहिए।

योग और व्यायाम करें
“स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है।” यह वाक्य अपने में सार्थक है उसके लिए आप योग एवं शारीरिक व्यायाम आदि कर सकते हैं। योग और व्यायाम में मनुष्य को स्वस्थ बनाए रखने की असीम शक्ति समाहित है। ध्यान रखें, शारीरिक व्यायाम न केवल आपको स्वस्थ बनाती है, बल्कि यह आपके व्यक्तित्व को भी निखारने में मदद करती है। योग और व्यायाम में असीम शक्ति है। यदि संभव हो पाए तो जल्दी सबेरे उठकर दौड़ लगाएं। अपने शरीर को आकर्षक बनाने के लिए आप जिम भी जा सकते हैं।

अंतर ध्यान क्रिया करें
अंतरध्यान एक ऐसी क्रिया है जिसके कारण शरीर की आतंरिक क्रियाओं में विशेष परिवर्तन होता है और शरीर की प्रत्येक कोशिकाएं ऊर्जा से भर जाती हैं। ध्यान क्रिया आपको मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती है। मन को शांत और एकाग्र करने के लिए यह बहुत ही योग्य विधि है। इसके अलावा ध्यान करने से विचारों में स्पष्टता और संवाद शैली में सुधार आता है। ध्यान हमारी मानसिक शक्ति और बौद्धिक चेतना में वृद्धि करता है।
 

Created On :   20 Dec 2018 11:02 AM GMT

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