छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा की महिलाएं लिख रहीं बदलाव की इबारत

The women of Dantewada are writing a message of change
छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा की महिलाएं लिख रहीं बदलाव की इबारत
छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा की महिलाएं लिख रहीं बदलाव की इबारत

डिजिटल डेस्क, रायपुर। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा का जिक्र आते ही नक्सल समस्या की तस्वीर नजरों के सामने घूम जाती है, मगर यहां अब बदलाव की बयार चल रही है, जिसका असर महिलाओं और युवतियों पर साफ नजर आने लगा है। यहां महिलाएं ई-रिक्शा चलातीं, वनोपज से सामान तैयार करतीं तो मिल ही जाएंगी, उनमें स्वास्थ्य के प्रति भी खासी जागरूकता दिखाई देने लगी है।

नक्सल प्रभावित सुदूर दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा जिले में महिलाओं को खास दिनों में अपनी सेहत का ध्यान रखना एक बड़ी चुनौती रहा है, बदलाव की मुहिम के चलते यहां की महिलाएं ना सिर्फ अपने स्वास्थ्य के प्रति ही जागरूक हुई हैं, बल्कि अन्य ग्रामीण महिलाओं के बीच भी स्वास्थ्य और सुरक्षा का संदेश देती नजर आती हैं।

राज्य सरकार ने वनांचल क्षेत्र की महिलाओं में स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने के लिए मेहरार चो मान यानी महिलाओं का सम्मान अभियान के जरिए एक प्रयास शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य केवल किशोरियों और महिलाओं को सेनेटरी पैड उपलब्ध कराना न होकर उन्हें मासिक धर्म के बारे में विभिन्न भ्रांतियों के प्रति जागरूक कर गंभीर बीमारियों से निजात दिलाना भी है।

राज्य सरकार के इस अभियान से जुड़कर समूह की महिलाएं न केवल सेनेटरी पैड निर्माण से आय अर्जित कर अपने परिवार को संबल प्रदान कर रही हैं, बल्कि किशोरियों और ग्रामीण महिलाओं को नि:शुल्क सेनिटरी पैड वितरण कर जागरूक भी कर रही हैं। इसका असर यह हुआ है कि महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल न कर अब पैड का इस्तेमाल कर रही हैं।

जिला प्रशासन और एनएमडीसी के सहयोग से बनाए गए पांच केंद्रों में लगभग 45 महिलाएं सेनेटरी पैड निर्माण का कार्य करती हैं। सेनेटरी पैड बनाने के कार्य में लगी महिलाओं को इससे लगभग तीन से चार हजार रुपये की मासिक आमदनी भी हो रही है। इनके द्वारा बनाए गए सेनेटरी पैड को आश्रम और छात्रावास, स्कूल और पोटा केबिन में अध्ययनरत बालिकाओं को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।

इस कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के साथ स्वयं-सहायता समूह की लगभग चार हजार महिलाएं जुड़ी हैं। इन पांच केंद्रों में हर माह लगभग 11 हजार सेनेटरी पैड का निर्माण होता है। कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए अब केंद्रों को विस्तारित किया जा रहा है।

मां दंतेश्वरी स्वयं-सहायता समूह की सदस्य अनिता ठाकुर ने कहा, जिले के ग्राम संगठन के माध्यम से हम सेनेटरी पैड बनाती हैं। ग्राम संगठन से जुड़ीं आठ समूहों की 10 महिलाएं सेनेटरी पैड बनाती हैं। ये महिलाएं दो पंचायतों- बालूद और चितालूर में सेनेटरी पैड उपलब्ध कराती हैं। ग्रामीण महिलाओं को ये पैड नि:शुल्क दिए जाते हैं।

नई दिशा महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष निकिता मरकाम ने बताया कि कुल 12 महिलाओं ने सेनेटरी पैड बनाने की ट्रेनिंग ली थी। उनमें से 10 महिलाएं पैड बनाने में लगी हुई हैं।

उन्होंने बताया कि गांव की महिलाओं में सेनेटरी पैड के उपयोग को लेकर जागरूकता की कमी थी, इसलिए उन्हें इसके फायदे और नुकसान के बारे में घर-घर जाकर और समूहों की बैठक में बताना पड़ा। महिलाओं को जब पता चला कि गंदा कपड़ा इस्तेमाल करने से संक्रमण और बीमारियां हो सकती हैं तो उन्होंने पैड का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

निकिता 12वीं तक पढ़ी हुई हैं। उन्होंने बताया कि उसके समूह की तीन-चार महिलाएं ही आठवीं से 12वीं तक पढ़ी-लिखी हैं। सेनेटरी पैड बनाने का रोजगार मिल जाने से ये महिलाएं बहुत खुश हैं।

दंतेवाड़ा में नजर आ रहे बदलाव के चलते इस बात की संभावना बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में यहां नक्सली समस्या का असर तो कम होगा ही, साथ ही लोगों का जीवन स्तर भी बदलेगा।

 

Created On :   2 Dec 2019 3:30 AM GMT

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