हंगामे के बीच जिप की सभा में जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने का प्रस्ताव पारित

There was a lot of ruckus in the Zilla Parishads general meeting on the condition of drought in the district
हंगामे के बीच जिप की सभा में जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने का प्रस्ताव पारित
हंगामे के बीच जिप की सभा में जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने का प्रस्ताव पारित

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में व्याप्त सूखे की स्थिति पर जिला परिषद की आमसभा में काफी हंगामा हुआ। सभी दल के सदस्यों ने आक्रामक भूमिका लेकर किसानों की व्यथा बयां की। सदन की भावनाओं से सहमत होकर जिप अध्यक्ष निशा सावरकर ने प्रस्ताव पारित की घोषणा कर राज्य सरकार को भेजने का आश्वासन दिया है। राज्य सरकार ने हाल ही में राज्य के पौने दो सौ तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। इसमें नागपुर जिले के काटोल, कलमेश्वर और नरखेड़ तहसील शामिल हैं।

बोंड इल्लियों का प्रकोप
जिले की 13 तहसीलें हैं। इनमें से केवल 3 तहसील सूखाग्रस्त घोषित किए जाने से सरकार के मापदंडों पर सवाल उपस्थित किया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण जिला सूखे से जूझ रहा है। पिछले वर्ष बोंड इल्लियों का प्रकोप होने के बावजूद प्रति एकड़ 10 क्विंटल कपास हुई। इस वर्ष 2 क्विंटल कपास का उत्पादन होना मुश्किल है। सोयाबीन, धान तथा अन्य फसलों की उत्पादन क्षमता कम हो गई है। उन्होंने संपूर्ण जिला सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की। विपक्ष और सत्तापक्ष के सदस्यों ने इस मांग का समर्थन किया। चंद्रशेखर चिखले, कमलाकर मेंगर, भारती गोडबोले, नंदा लोहबरे, शांता कुमरे, छाया ढाेले, उज्ज्वला बोढारे, रूपराव शिंगने, मनोज तितरतारे, शोभा झाड़े ने चर्चा में हिस्सा लिया। 

मौसम विभाग के आंकड़ों पर आपत्ति
आमसभा में मौसम विभाग के आंकड़ों पर आपत्ति जताई गई। सदस्यों ने कहा कि मौसम विभाग और कृषि विभाग के आंकड़ों में अंतर है। सरकार ने मौसम विभाग के आंकड़ाें में काटोल, कलमेश्वर और नरखेड़ तहसील में 65 एमएम से कम बारिश आंकी गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर 3 तहसीलों का सर्वेक्षण कर अकाल के मापदंडों पर खरा उतरने से सूखाग्रस्त घोषित किया गया। अन्य तहसीलों के गलत आंकड़े भेजे जाने से जिले की 10 तहसीलें सूखे की श्रेणी से वंचित रह गई हैं, जबकि संपूर्ण जिले मेंं कमोबेश एक जैसे हालात हैं। 

अध्यक्ष महोदय, आप किसान विरोधी हैं
सभागृह में संपूर्ण जिला सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग पर चर्चा चल रही थी। भारती गोडबोले भी इस चर्चा में हिस्सा लेकर किसानों की समस्या गिनवाना चाह रही थीं, परंतु सभागृह में शोर-शराबे के बीच उनकी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी। अध्यक्ष से बार-बार पक्ष रखने की अनुमति मांगने पर भी उसे नजरअंदाज किया गया। अन्य सदस्यों को बालने का अवसर देकर अध्यक्ष द्वारा उन्हें अपनी जगह बैठने के लिए कहने पर वह भड़क गईं। उन्होंने सीधे अध्यक्ष पर वार करते हुए कहा, अध्यक्ष महोदय आप किसान विरोधी हैं। आपको किसानों के दु:ख-दर्द से कोई लेना-देना नहीं है। 

स्कूलों में नहीं पहुंचीं पाठ्यपुस्तकें
आधा शालेय सत्र समाप्त हो चुका है, लेकिन अभी तक विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें नहीं मिलीं। रामटेक तहसील के जयसेवा आदर्श विद्या मंदिर और अन्य स्कूलों में कक्षा 5वीं से 10वीं के विद्यार्थियों को अंग्रेजी और हिंदी की पाठ्यपुस्तकें नहीं मिलने का मुद्दा सदस्य दुर्गा सरियाम ने सभागृह में उपस्थित किया।

माइक की खींचतान
जिप की आमसभा में 58 सदस्य और पंचायत समितियों के 13 सभापति के लिए सभागृह में केवल 4 माइक की सुविधा है। सदस्यों के मुकाबले माइक कम पड़ने से हमेशा खींचतान होती है। बुधवार को हुई आमसभा में विपक्ष के दो सदस्यों के बीच यह नजारा देखा गया। कांग्रेस के सदस्य उपासराव भुते ने सूखे की स्थिति पर माइक में बोलना शुरू किया। भाजपा सदस्य रूपराव शिंगने ने उनका समर्थन किया। उनकी बात सत्ताधारी के पक्ष में जाने से नेता प्रतिपक्ष मनोहर कुंभारे ने भुते के हाथ से माइक छीनने का प्रयास किया। हालांकि भुते ने मजबूती से पकड़ कर रखने से माइक कुंभारे के हाथ नहीं लग सका। 

सत्तापक्ष नेता और शिवसेना गटनेता नदारद
जिप की आमसभा में संपूर्ण जिला सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग करने पर प्रस्ताव पारित किया गया। सभा में सत्तापक्ष नेता विजय देशमुख और शिवसेना गटनेता वर्षा धोपटे अनुपस्थित रहे। जिले के किसान संकट में फंसे हैं और सत्तापक्ष नेता तथा शिवसेना गटनेता के आमसभा में अनुपस्थिति से किसानों के प्रति संवेदना नष्ट होने की सदस्यों में चर्चा रही।

 

Created On :   15 Nov 2018 6:29 AM GMT

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