श्रीकृष्ण के बाद महाभारत के इन पात्रों को कहा जाता है ‘बुद्धिमान’

These characters of Mahabharata called intelligent after krishna
श्रीकृष्ण के बाद महाभारत के इन पात्रों को कहा जाता है ‘बुद्धिमान’
श्रीकृष्ण के बाद महाभारत के इन पात्रों को कहा जाता है ‘बुद्धिमान’

डिजिटल डेस्क। भारत के पूरातनकाल की सबसे बड़ी गाथा है महाभारत। इसे लोग धर्म-अधर्म, सत्य और असत्य के युद्ध के नाम से जानते हैं। क्योंकि अपनों के बीच हुआ यह युद्ध मात्र अधर्म पर धर्म की जीत ही थी। अन्याय को खत्म कर न्याय पाने का संघर्ष ही महाभारत युद्ध का कारण था। रानी सत्यवती, वेद व्यास, भीष्म पितामह, पाण्डव, कौरव, द्रौपदी, सभी महाभारत गाथा के मुख्य पात्र रहे। इन सभी के भीतर कुछ गुण और अवगुण थे। धृतराष्ट्र के पुत्रों को महाभारत गाथा में ‘खलनायक’ बताया गया है कितु उनमें भी कुछ गुण अवश्य ही थे, लेकिन नीच बुद्धि के कारण वे सभी लुप्त हो गए।

वैसे इन्हीं गुण-अवगुणों के बीच मन में यह सवाल आता है कि आखिर महाभारत काल में सभी पात्रों में से सबसे अधिक बुद्धिमान कौन था? मन में प्रश्न आते ही एक उत्तर भी झट से जिभ्या पर एक नाम आता है वे तो श्रीकृष्ण ही थे। कृष्ण ने अर्जुन को सही मार्ग दिखाया, पाण्डवों को उनका अपना अधिकार मेनें के लिए प्रेरित किया। अपने ही चचेरे भाई कौरवों के विरुद्ध युद्ध लड़ने को धर्म युद्ध बताया और अपने मन से युद्ध में हिम्मत हार चुके अर्जुन को सही राह दिखाई। किन्तु मात्र श्रीकृष्ण को ही महाभारत काल में बुद्धिमान होने का पद मिला, क्या उनके अतिरिक्त ऐसा कोई पात्र नहीं था जो समझदार था? पात्र तो कई थे, आइए क्रमशः बताते हैं कि श्रीकृष्ण के बाद कौन से पात्र बुद्धिमान थे?

नकुल और सहदेव

कुंती द्वारा मंत्र विधा प्राप्त कर माद्री ने भी देवताओं का आह्वाहन किया और उसे अश्विनी कुमार से दो पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। जिसमें एक का नाम नकुल और दूसरे का सहदेव रखा गया। उनके जन्म के समय यह आकाशवाणी भी हुई थी कि ये दोनों बालक बहुत बुद्धिमान और पराक्रमी होंगे। जो आगे चलकर सहदेव ने गूड़विधा (गुप्तज्ञान) प्राप्त की, केवल शस्त्र ही नहीं अपितु देश-विदेश की भाषा का ज्ञान और साथ ही चिकित्सा में महारथ प्राप्त की। राजा पाण्डु की मृत्यु के समय सहदेव ने उनके मृत शरीर का मांस भी खाया था जिस कारण उसे एक विशेष प्रकार की ईश्वरीय और तन्त्र शक्ति प्राप्त हुई थी

इस शक्ति से वो भविष्य में झांक सकता था, लेकिन देवताओं ने उसे यह श्राप भी दिया था कि वो इस शक्ति का कभी प्रयोग नहीं कर पायेगा क्योंकि देवता जानते थे कि सहदेव अपनी बुद्धि से हर परिस्थिति को बदलने की क्षमता रखता है। कुरुक्षेत्र का युद्ध होगा और ये सभी को तबाह कर देगा सहदेव यह बात जान गया था और सबको सत्य बताने ही वाला था कि श्रीकृष्ण ने रोक दिया और श्राप दिया कि ऐसा करने से उसकी मृत्यु हो जाएगी। अपने जीवनकाल में सहदेव ने अपनी बुद्धि से विविध ज्ञान प्राप्त किया, उनके नाम से तीन ग्रंथ मिलते हैं। व्याधिसंधविमर्दन, अग्निस्त्रोत, शकुन परीक्षा।

कर्ण

कुंती पुत्र होने के कारण कर्ण में वे सभी विशेषताएं थीं जो पाण्डवों में थीं। सहदेव की तरह ही वह भी बुद्धिमान था। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कर्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों का साथ दिया और युद्ध की सारी रणनीति उसने स्वयं बनाई। उसने दुर्योधन के साथ अपनी मित्रता का साथ अंतिम समय तक निभाया। इसीलिए दुर्योधन को अपने स्वमं के भाईयों से अधिक भरोसा कर्ण पर था। महाभारत काल के सबसे दुष्ट पात्रों में से एक था शकुनि किंतु फिर भी उसकी बुद्धि को प्रबल कहा जा सकता है क्योंकि उसकी बुद्धि और योजना ने ही कौरव-पाण्डवों को एक-दूसरे के विरुद्ध कर दिया था। एक-एक कर उसकी बातों ने दुर्योधन को बचपन से ही पाण्डवों के विरुद्ध कर दिया और नतीजा कुरुक्षेत्र का धर्मयुद्ध।

युधिष्ठिर

युधिष्ठिर को महाभारत काल के ज्ञानियों में से एक कहा जा सकता है। उच्च शिक्षा को प्राप्त करने वाले युधिष्ठिर में धैर्य बहुत था, किंतु उनकी एक कमी ने सब कुछ नष्ट कर दिया। स्वमं के गृहस्थ जीवन को सही प्रकार से संभाल ना पाना और भरी सभा में अपने भाईयों, अपनी संपत्ति और यहां तक कि अपनी पत्नी को भी दाव पर लगाने वाला युधिष्ठिर ही था। अर्जुन पुत्र अभिमन्यु को उसकी आयु और अनुभव से यह बात निकलकर आती है कि वह सही में बुद्धिमान था। इस पराक्रमी योद्धा को आने वाली कई सदियां याद रखेंगीं।

उपरोक्त बताए सभी पात्रों के बाद महाभारत काल के अन्य पात्रों में केवल परिस्थिति के अनुसार ही सूझबूझ की उपलब्धता देखी गई है। अश्वत्थामा, भीष्म, कुलगुरु कृपाचार्य, धृतराष्ट्र, ये सभी अच्छे योद्धा तो थे किंतु परिस्थिति को किस प्रकार सही मार्ग दिखाकर संभाला जा सकता है ये लोग समझ नहीं पाए। कुंती ने एक स्त्री होते हुए भी दूसरी स्त्री (द्रौपदी) के जीवन का एक ऐसा निर्णय कर दिया जो उनके लिए श्राप के समान था। पांच पतियों की एक पत्नी बनाकर उसे बेबस कर दिया। दूसरी ओर, गांधारी भी महाभारत की एक ऐसी कमजोर कड़ी थी जिसने बेबसी में ही अपना जीवन निकाल दिया और अंत में हर समस्या का कारक श्रीकृष्ण को ठहरा दिया।

Created On :   12 Dec 2018 7:25 AM GMT

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