दिवाली पर महाकाल से लेकर शिर्डी तक सजे दरबार, यहां देखें PHOTOS

This is how temples are decorated in occasion of diwali
दिवाली पर महाकाल से लेकर शिर्डी तक सजे दरबार, यहां देखें PHOTOS
दिवाली पर महाकाल से लेकर शिर्डी तक सजे दरबार, यहां देखें PHOTOS

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें पूरा देश एक ही रंग में रंगा रहता है। पूरे देश के लोग इस दिन अपने इष्ट देवताओं का पूजन कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। इस दौरान मंदिरों और देवालयों को बेहद खूबसूरती से सजाया जाता है और वहां विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है। इस बार दिवाली पर सबसे भव्य नजारा सिरायू घाट पर देखने को मिला। राम जन्म भूमि अयोध्या पर इस बार दिवाली पर एक अलग ही मिसाल पेश की गई। 1.71 लाख दीयों से सिरायू घाट को सजाया गया। इस दौरान सबसे ज्यादा दीये एक साथ जलाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना। खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस भव्य दिवाली का आयोजन करवाया और गुरुवार की सुबह रामनगरी अयोध्या के प्रसिद्ध सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी में दर्शन और पूजन किया।

मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में रूप चौदस को सबसे पहले दिवाली मनाई गई और भगवान को अन्नकूट चढ़ाया गया। महाकाल की सुबह 4 बजे भस्म आरती में देशभर से उमड़े श्रद्धालुओं ने गर्भगृह, नंदी हॉल और कोटितीर्थ कुंड किनारे फूलझड़ी, अनार व पटाखे जलाकर भगवान के साथ दिवाली मनाई। ये नजारा सिर्फ यहां का नहीं बल्कि काशी से लेकर तिरूपति तक दिखाई दिया।

महाकाल पर ऐसे मनाई गई दिवाली

रूप चौदस या नर्क चौदस पर बाबा महाकाल के रूप को निखारने के लिए गर्भगृह में शिवलिंग को हल्दी-चंदन के उबटन, पंचामृत और नदियों के जल से अभ्यंग स्नान कराया गया, इस दौरान पूरा गर्भगृह सुंगधित फूलों से महक रहा था। अभिषेक के बाद महाकाल को गुलाबी रंग का साफा, रंगीन दुपट्टे, सोने-चांदी के आभूषण, मेवा, चंदन, गुलाल और चांदी वर्क से श्रंगार किया गया। इसके बाद भस्मारती हुई और अन्नकूट चढ़ाया। 

दिवाली पर जगमगाया नीलकंठ धाम 

दक्षिण गुजरात में नर्मदा तट पर बसे नीलकंठ धाम को दिवाली पर बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया गया। इसके मुख्य मंदिर में शेषनाग के साथ विष्णु, गणेशजी, समेत कई मंदिर शामिल हैं।  रोज 108 गाय के दूध से भगवान की प्रतिमा का अभिषेक कराया जाता है। इस दूध से छाछ बनाकर गरीबों को मुफ्त में बांट दी जाती है। यहां हिंदू धर्म के अलग-अलग भगवानों के अलावा रामायण, महाभारत के धार्मिक प्रसंगों को दर्शाती राम-श्याम, शिव, धनश्याम की 1100 मूर्तियां स्थापित की गई है। गुजरात राजपीपला के नांदोद तहसील में 105 एकड़ में फैला है। नांदोल तहसील के पोइया गांव का यह मंदिर नीलकंठ धाम के रूप में पहचाना जाता है। करोड़ों रुपए खर्च कर यहां विभिन्न प्रकार के आकर्षण तैयार किए गए हैं। इस मंदिर में 108 गौमुख हैं। इसमें स्नान किया जा सकता है। शाम की आरती हाथी के साथ निकलती है।  दीवाली के अलावा अन्य दिनों में भी मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाता है। 

तिरूपति का अनोखा नजारा

विश्व का सबसे अमीर मंदिर माना जाने वाला तिरुपति बालाजी मंदिर को दिवाली के उत्सव पर बेहद खूबसूरत तरीके से सजाया गया। यहां दिवाली पर भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे।

स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन करने पहुंचे लाखों भक्त

वाराणसी में स्थित सोने की अन्नपूर्णा प्रतिमा के कपाट भक्तों के लिए धनतेरस पर खोल दिए गए हैं जो त्यौहार के चारों दिनों तक खुले रहेंगे। साल में एक बार सिर्फ धनतेरस पर ही स्वर्णिम छटा वाली मां के दरबार को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।  मान्यता है कि मां का खजाना घर को धन-धान्य से पूर्ण रखता है। मां का खजाना प्राप्त करने के लिए उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से लोग आते हैं।

महालक्ष्मी की रौनक अद्भुत

रतलाम में बना मां महालक्ष्मी मंदिर की विशेष महत्ता है। मां महालक्ष्मी का का दरबार मंगलवार को ब्रह्ममुहूर्त में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला गया। माताजी को देशभर के 1200 से ज्यादा श्रद्धालुओं द्वारा भेजे गए करीब 100 करोड़ रुपए मूल्य के हीरे, जेवरात, सोने-चांदी के आभूषण चढ़ाए गए। भक्तों ने यहां लक्ष्मीजी के आठ स्वरूप वैभव लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, अधि लक्ष्मी, विजया लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी के दर्शन किए। मंदिर में यह सजावट भाईदूज तक रहेगी। इसके बाद श्रद्धालु टोकन दिखाकर अपना धन वापिस ले जा सकेंगे।

करोड़ों के गहनों से सजे साईं

शिर्डी के साईंबाबा को दिवाली के अवसर पर करोड़ों के जेवरों से शृंगार किया जाता है। यहां उन्ही जेवरों से श्रंगार किया जाता है जो साईंराम को भक्तों द्वारा चढ़ाए जाते हैं। इन जेवरों में डेढ़ करोड़ का रत्न जड़ित मुकुट भी शामिल है। हर वर्ष दिवाली पर शिर्डी में भक्तों का जमावड़ा लगता है। यहां भक्त पूरे परिसर को दीयों से सजाते हैं।  फिर साईं की आरती के साथ गणपति और देवी की भी आरती की जाती है।
 

Created On :   19 Oct 2017 5:59 AM GMT

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