ये है बीजेपी के 'मिशन 2019' का गुणा-गणित, ऐसे विध्वंस होगा कांग्रेस का किला

This is the multiplication of the BJPs Mission 2019
ये है बीजेपी के 'मिशन 2019' का गुणा-गणित, ऐसे विध्वंस होगा कांग्रेस का किला
ये है बीजेपी के 'मिशन 2019' का गुणा-गणित, ऐसे विध्वंस होगा कांग्रेस का किला

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। मोदी और शाह की जोड़ी ने बीते 5 सालों में देश की सत्ता के समीकरण को बहुत तेजी से बदला है। हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने पाले में शामिल करने के बाद मोदी ने ये साबित कर दिया है कि उनके रणनीतिकार अमित शाह एक इशारे पर देश की राजनीति में असंभव सा दिखने वाले टास्क भी चुटकियों में पूरा कर सकते हैं। राजनीतिक पंडितों ने नीतीश के महागठबंधन में शामिल होने के बाद ये कयास लगाने शुरू कर दिए थे कि मोदी की टक्कर में अगला पीएम कैंडिडेट नीतीश ही होंगे। लेकिन विपक्ष की लामबंदी और सारी लेफ्ट ताकतों के एकजुट होने के बावजूद नीतीश के पाला बदलते ही उनका ये सपना अधूरा रह गया है। अब राज्यसभा में  भी 58 सीटों के साथ बीजेपी 65 साल के बाद सत्ता में ताकतवर रोल में लौटी है। अब उसका ""मिशन 2019"" आगामी लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक मतों से जीतकर कांग्रेस का शेष किला विध्वंस करना है।

नीतीश के साथ गठजोड़ सबसे अहम 

नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री मोदी के साथ गठबंधन 2019 लोकसभा चुनाव में बहुत काम आने वाला है। नीतीश कुमार ने सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद के बाद 26 जुलाई शाम को इस्तीफा दे दिया था और 27 जुलाई  को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से नीतीश कुमार ने 12वीं बार बिहार के  मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। हालांकि नीतीश मौक़ा देखकर पाला बदलने वाले नेता माने जाते हैं, बावजूद इसके वो मोदी की बढ़ती राजनीतिक हैसियत को देखते हुए बिहार की गद्दी को छोड़कर केंद्र में आने का जोखिम नहीं लेंगे।  

बिहार में सत्ता के लिए चाहिए साथ 
बीजेपी को सत्तासीन होने के लिए बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्यों को साधना बहुत जरूरी है। इसके लिए यूपी विधानसभा चुनाओं में तीन माह पहले बीजेपी ने जीत हासिल करते ही "फायर ब्रांड" नेता योगी को राज्य की कमान देकर अपना मिशन-2019 मजबूत कर लिया है। अब बिहार में भी मोदी और शाह की जोड़ी यही गणित बिठाना चाहती है, जिसके लिए लम्बी रणनीति के बाद नीतीश को पार्टी ने दमखम लगाकर अपने खेमे में वापस शामिल कर लिया है। बिहार विधानसभा में जेडीयू की 71 सीट हैं और बीजेपी अपनी 53 सीटों के साथ बिहार की सत्ता में वापस लौटी है। इससे लोकसभा का समीकरण भी बीजेपी अपने पक्ष में समझ रही है। 

विपक्ष की एकजुटता ला सकती है क़यामत  

नीतीश कुमार का राजनीतिक इतिहास गतिशीलता से आगे बढ़ा है, जेडीयू की एनडीए में वापसी विपक्षी दलों के भाग्य में महत्वपूर्ण बदलाव कर सकती है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो नीतीश कुमार को "ग्रैंड एलायंस" का सबसे मजबूत चेहरा माना जाता था। फिलहाल नीतीश के वापस बीजेपी के साथ जाने के बाद फिलहाल यह अंदेशा थम गया है कि मोदी की टक्कर में नीतीश खड़े होंगे। बावजूद इसके यदि विपक्ष सहित सारी पार्टियां मोदी के खिलाफ एकजुट होती हैं तो बिहार 2015 विधानसभा चुनावों के परिणामों की तरह भारी उलटफेर हो सकता है। अभी तो नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश का गठबंधन 2019 लोकसभा चुनाव में विपक्ष पर ही कयामत बरपा सकता है। 

भारत के 18 राज्यों पर होगा वर्चस्व 
बिहार गठबंधन के साथ भाजपा भारत के 18 राज्यों का नेतृत्व करेगी साथ ही 201 9 के चुनावों के लिए अपनी स्थिति को भी मजबूत करेगी। बीजेपी अभी हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनावों में चार राज्यों में जीत कर सत्ता में है। इसी जीत के साथ एनडीए आने वाले वर्षों में अपने मजबूत प्रदर्शन को जारी रखने की पूरी उम्मीद करेगी।

शाह की सशक्त रणनीति आएगी काम 
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 2019 के चुनावों के लिए अभी से ही पार्टी को तैयार करने में व्यस्त हो गए हैं। शाह अपने प्रतिद्वंद्वियों को  किसी भी हालत में मौका देने के मूड में नहीं है शाह हमेशा कहते हैं कि हम "संसद से लेकर पंचायत तक"  सबको साथ लेकर चलते हैं और यही शाह की राजनीतिक शैली है। शाह 110 साल के एक देशव्यापी दौरे पर हैं। जो इस साल अप्रैल में जम्मू से शुरू हुआ था और इस दौरे का लक्ष्य "मिशन 2019" लोकसभा चुनाव है। 

संघ (RSS) का आशीर्वाद 2019 में बनेगा जीत का आधार  
2014 में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद सत्तासीन बीजेपी संघ के आशीर्वाद से ही यहां तक पहुंची है। 282 सीटों पर जीत मिलना अकेले बीजेपी की रणनीति नहीं थी। इसके लिए संघ ने इन तमाम सीटों पर उतारे बीजेपी कैंडिडेट्स के न केवल नामों पर अपने मुहर लगाई थी, बल्कि उनकी जीत के पीछे का गुणा-गणित भी बखूबी परखा था। संघ का कार्यप्रणाली बेहद जमीनी है। उसके कार्यकर्ता बहुत गहन स्तर पर जाकर पूरी रिर्सच करते हैं, ताकि जीत में कहीं कोई कमी ना रहे जाए। यह संघ की प्रभावशाली रणनीति का ही हिस्सा है, जिसकी बदौलत आज देशभर में संघ की 50000 हजार से ज्यादा शाखाएं हैं।

 

 

Created On :   5 Aug 2017 6:05 AM GMT

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