103 साल पुरानी ये लाइब्रेरी है कुछ खास, 23 हजार से ज्यादा किताबें बढ़ा रही ज्ञान

This library is 103 year old, it has more than 23 thousand books
103 साल पुरानी ये लाइब्रेरी है कुछ खास, 23 हजार से ज्यादा किताबें बढ़ा रही ज्ञान
103 साल पुरानी ये लाइब्रेरी है कुछ खास, 23 हजार से ज्यादा किताबें बढ़ा रही ज्ञान

डिजिटल डेस्क,भंडारा। सन् 1914 में स्थापित मुस्लिम लाइब्रेरी आज भी लोगों के ज्ञान का भंडार बनी हुई है। 103 सालों से लाइब्रेरी में मौजूद 23 हजार से अधिक ग्रंथ, किताबें,मासिक पाठकों का न केवल ज्ञान बढ़ा रही है बल्कि उन्हें अपने भीतर से जोड़ रही है।

गौरतलब है कि हमेशा किताबों में डूबे रहने वाले व कैरम खिलाड़ी सेठ ताहेर अली तैबर अली ने वर्ष 1911 में शहरवासियों को किताबों से जोड़ने के पाक उद्देश्य से लाइब्रेरी बनाने की सोच समाज के सामने रखी। इस सोच की सराहना हुई और वर्ष 1914 में मुस्लिम लाइब्ररी अस्तित्व में आई। इसे वर्ष 1956 में शासन द्वारा मान्यता प्रदान की गई। लाइब्रेरी के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष यहां 45 हजार पाठक ज्ञान बढ़ाने पहुंचते हैं। इस कारण लाइब्रेरी मैनजमेंट समय के साथ-साथ बदलाव करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए विविध महत्वपूर्ण मैग्जीन, किताबें उपलब्ध कराता है। लाइब्रेरी को सफलतापूर्वक चलाने के लिए कमेटी के भूतपूर्व व वर्तमान अध्यक्ष, सचिव, सदस्य तथा वर्षों से यहां कार्यरत कर्मचारियों ने अपना अमूल्य योगदान देते हुए समाजसेवा के व्रत को बखूबी निभाया। 

शुरुआती दिनों में कवेलू की छोटी झोपड़ीनुमा इमारत में इस ग्रंथालय की शुरुआत कर पाठकों को किताबें व अखबार मुहैया कराए जाते थे। दानदाताओं के सहयोग व पाठकों की बढ़ती संख्या को देख कमेटी की कार्यकारिणी ने लाइब्रेरी की सेवा में इजाफा करना शुरू कर दिया। वर्तमान में मुस्लिम लाइब्रेरी में एक बड़ा ग्रंथालय कक्ष, महिलाओं व पुरुषों के लिए स्वतंत्र दो बड़े पठन कक्ष व संदर्भ विभाग है। ग्रंथालय में सभी धर्म, मजहब से जुड़ी ऐतिहासिक व पुरानी प्रसिद्ध 23 हजार 300 किताबें हैं। 

इसी के साथ-साथ यहां प्रतिदिन हिंदी, मराठी व अंग्रेजी भाषा के 45 अखबार आते हैं, जबकि उर्दू पाठकों की अधिक संख्या को देखते हुए उर्दू के 36 अखबार लाइब्रेरी में बुलाए जाते हैं। इसके अलावा 18 साप्ताहिक,12 हिंदी परीक्षक भी पाठकों को पठन के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं। पुरुष पाठकों की तुलना में महिलाएं व छात्राओं की संख्या भी कम नहीं है। शुक्रवार छोड़ सप्ताह में छह दिन तक लाइब्ररी पाठकों के लिए खुली रहती है। 

Created On :   11 Sep 2017 4:33 AM GMT

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