श्रीसम्मेद शिखरजी तीर्थयात्रा पर गए तीन श्रद्धालुओं की मौत  

Three Jain pilgrims died during the Parvat vandana in Madhuban
श्रीसम्मेद शिखरजी तीर्थयात्रा पर गए तीन श्रद्धालुओं की मौत  
श्रीसम्मेद शिखरजी तीर्थयात्रा पर गए तीन श्रद्धालुओं की मौत  

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  जैन धर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल झारखंड के गिरीडीह स्थित मधुबन में पर्वत वंदना के दौरान तीन जैन यात्रियों की मौत हो गई। इनमें दो लोगों की मौत हृदय गति रुकने से और एक की ठंड से होने की बात कही जा रही है। इस घटना में नागपुर के महावीर नगर निवासी 25 वर्षीय आदित्य उर्फ सोनू रविकांत पोहरे और 62 वर्षीय प्रकाश दुलीचंद सिंघई की मौत हो गई।  पता चला है कि प्रकाश संघई मूलत: मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के पास करकबेल के रहने वाले थे। कुछ समय पहले वह नागपुर के सीताबर्डी क्षेत्र में परिवार के साथ रहने आ गए थे। प्रकाश के बेटे प्रांजल सिंघई चार्टर्ड अकांउटेंट हैं। 

तीसरी मौत कर्नाटक के मैसूर की रहने वाली 52 वर्षीय सुनीता जैन की हुई। आदित्य की ठंड लगने से, प्रकाश और सुनीता की हार्टअटैक से मौत होने की बात बताई गई है। ये सभी मधुबन स्थित 20 पंथी कोठी में ठहरे हुए थे। पर्वत वंदना करने के लिए तड़के पारसनाथ पर्वत पर चढ़ते समय उक्त घटना हुई। इस तरह की घटना काफी लंबे अरसे बाद हुई है।

परिवार का इकलौता सहारा छीन गया
गत 3 जनवरी को नागपुर से 350 लोगों का जत्था श्रीसम्मेद शिखरजी की तीर्थयात्रा पर रवाना हुआ। यह यात्रा का 17वां वर्ष था। इस यात्रा में नागपुर के आदित्य उर्फ सोनू पोहरे, प्रकाश संघई व अन्य लोग शामिल थे। यह सभी लोग वंदना के लिए निकले थे। इस दौरान आदित्य के सीने में अचानक दर्द होने के कारण नीचे लाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। उनके शव का पंचनामा कर नागपुर भेज दिया गया। रविवार को गंगाबाई घाट पर आदित्य का अंतिम संस्कार कर दिया गया। सीताबर्डी निवासी प्रकाश संघई व मैसूर निवासी सुनीता देवी जैन (46) का वहीं पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। 

पता चला है कि आदित्य अपने परिवार का इकलौता सहारा था। उसके पिता करीब 16 वर्ष पहले परिवार को छोड़कर कहीं चले गए। आदित्य अपनी मां और छोटी बहन की परवरिश करता था। उसकी मौत के बाद मां  और बहन का सहारा भी छीन गया। आदित्य की मां लकवाग्रस्त है। प्रकाश संघई मूलत: मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के करकबेल के रहने वाले थे। वह अब नागपुर में बस गए थे। ये भी 20 पंथी कोठी में ठहरे हुए थे। नागपुर में आदित्य पोहरे और प्रकाश संघई की मौत की खबर आने के बाद जैन समाज में शोक की लहर फैल गई। जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध मधुबन की गिनती गिरीडीह के प्रमुख पर्यटक स्थलों में की जाती है। 

 रात 2 बजे चढ़ाई शुरू की, बिगड़ी तबीयत
नागपुर एवं मैसूर से आए तीर्थयात्रियों के दल में शामिल लोगों ने नागपुर से गए आदित्य पोहरे व प्रकाश संघई के परिजनों को बताया कि रात 2 बजे से पर्वत की चढ़ाई शुरू कर दी थी।  उस समय काफी ठंड थी।  2 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद कलीकुंड मंदिर के समीप सुनीता जैन की तबीयत खराब हो गई। तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो डोली मजदूरों की मदद से उन्हें नीचे लाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।  आदित्य दर्जन भर साथियों के साथ पर्वत वंदना करने आगे बढ़ा था। पार्श्वनाथ मंदिर के पास पहुंचने पर उसकी भी तबीयत खराब हो गई। उसे भी नीचे लाया गया, लेकिन उसे भी बचाया नहीं जा सका।   प्रकाश संघई अपने दल के साथ वंदना कर रहे थे। आदिनाथ टोंक के समीप उनकी तबीयत खराब हो गई। देखते ही देखते उनकी भी मौत हो गई।

 

Created On :   7 Jan 2019 4:43 AM GMT

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