SSC परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई तीन सदस्यीय समिति
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एसएससी) परीक्षाओं में होने वाली धांधली और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। अदालत ने समिति सदस्यों के तौर पर महाराष्ट्र से कंप्यूटर वैज्ञानिक विजय भाटकर और इंफोसिस के पूर्व अध्यक्ष नंदन निलेकणी के नामों की तत्काल घोषणा कर दी, जबकि तीसरे सदस्य के नाम के लिए याचिकाकर्ता के वकील से सुझाव मांगा है। गुरुवार को एसएसी परीक्षाओं में सुधार के संबंध में युवा हल्लाबोल की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने जनहित याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई के दौरान भविष्य में होने वाली परीक्षा प्रणालियों में सुधार के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।
यह समिति परीक्षाओं में सुधार संबंधी सुझाव देगी। सुनवाई के दौरान अदालत ने केन्द्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि एसएससी मामले में जो सीबीआई जांच चल रही है, उसमें क्या प्रगति है, कितने आरोपी पकड़े गए और छानबीन का परिणाम अब तक क्या निकला। वहीं अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि एसएससी सीजीएल-2017 की परीक्षा को क्यों न रद्द कर दिया जाए। शीर्ष अदालत मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को करेगी।
समिति में प्रदेश के कंप्यूटर वैज्ञानिक भाटकर भी शामिल
गौरतलब है कि महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के युवा-हल्लाबोल से जुड़े छात्र रोजगार के अवसर और चयन प्रणाली में सुधार को लेकर व्यापक अभियान चला रही है। 9 जनवरी को इन छात्रों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए संसद भवन पर प्रदर्शन किया था। युवा-हल्लाबोल का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने कहा कि एसएससी के भ्रष्टाचार के खिलाफ और रोजगार की गारंटी के लिए संघर्षरत हमारे साथियों के लड़ाई की यह पहली जीत है कि आज सुप्रीम कोर्ट ने समिति बनाने की हमारी मांग मान ली है। हमें उम्मीद है कि समिति बनाने से भर्ती परीक्षाओं में भ्रष्टाचार के खात्मे और पेपर लीक की मॉडस आपरेंडी पर रोक लग पाएगी।
उन्होंने बताया कि 12 जनवरी को 40 से अधिक शहरों में युवा-पंचायत, बेरोजगारी और परीक्षाओं में हो रही धांधली को लेकर बनाए मांगपत्रक को छात्रों से एडाप्ट करेंगे। 27 जनवरी को दिल्ली से बेरोजगारी दूर करने के लिए देशव्यापी अभियान छेड़ा जाएगा।
Created On :   10 Jan 2019 4:34 PM GMT