फार्म हाउस में घुसा बाघ, बैलों पर हमला होते देख लोगों के उड़े होश

Tiger entered in a farm house on Umared-Butibori road
फार्म हाउस में घुसा बाघ, बैलों पर हमला होते देख लोगों के उड़े होश
फार्म हाउस में घुसा बाघ, बैलों पर हमला होते देख लोगों के उड़े होश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उमरेड़-बुटीबोरी मार्ग पर एक फार्म हाउस में शाम के समय बाघ घुस गया। परिसर में बंधे बैलों पर हमला कर दिया। जिससे दोनों बैल गंभीर रूप से घायल हो गए। आवाज सुनकर फार्म हाउस के भीतर काम कर रहे मजदूर दौड़कर आए और उन्होंने  बाघ को देखा तो उनके होश उड़ गए। बाघ ने लोग इकट्‌ठा होते देख वहां से भागने में भलाई समझी। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बाघ दिन ढलने तक बगल के खेत में ही बैठा था। वन विभाग को इसकी जानकारी दे दी गई है।

सुरक्षा गार्ड के भरोसे रहता है फार्म हाउस

जानकारी के अनुसार बुटीबोरी-उमरेड मार्ग पर दवाखापरी गांव है। गांव के पास ही प्रशांत रतन का फार्म हाउस है। जहां खेत, कुआं भी है। खेत में हर साल फसल भी ली जाती है। इस बार खेत में कपास आदि की उपज लगाई गई है। फार्म हाउस के मालिक प्रशांत नागपुर में रहते हैं, वे कभी-कभार वहां जाते हैं। वरना सुरक्षा गार्ड आदि के भरोसे पर खेत व फार्म हाउस रहता है। शनिवार की शाम 5 बजे रोज की तरह सभी अपने काम में मशगूल थे। बैलों का खेत में काम होने के बाद दोनों बैलों को बाहर बांध दिया गया था। करीब 5.30 बजे खेत मजदूर भीतर काम कर रहे थे, तभी खेत तलाब के पास बांधे गए बैलों व बाघ की एक साथ तेज आवाज सुनाई दी। 

आवाज दौड़कर दौड़े मजदूर

आवाज सुनकर खेत मजदूर वहां दौड़ पड़े। ऐसे में उन्हें सामने ही बैल की गर्दन पर झपटा मारे बाघ दिखाई दिया। इसे देख सभी सन्न रह गये । हालांकि एक के बाद एक लोगों के आने से बाघ वहां से भागकर पास ही के खेत में जाकर बैठा। मजदूरों ने घटना की जानकारी फार्म हाउस मालिक को दी।  उन्होंने यह जानकारी मानद वन्यजीव व वन विभाग को दी है। फिलहाल बाघ को पकड़ने का रेस्क्यू किया जा रहा है। प्रशांत ने बताया कि उनके खेत में इससे पहले यानी करीब 8 साल पहले एक तेंदुआ कुएं में गिर गया था। जिसकी रेस्क्यू के दौरान मौत हो गई थी। उसके बाद से खेत में कोई वन्यजीव नहीं दिखा। ऐसे में अचानक बाघ के आने से दहशत बनी है। 

जंगल से बाहर हो रहे वन्यजीव 
बाघ सामन्यतौर पर कोर इलाके में रहना पसंद करते हैं। लेकिन शिकारों की कमी व जंगलों की कमी के कारण वे बाहर आ रहे हैं। गत कुछ महीने पहले ही हिंगणा में भी इसी तरह एक बाघ केले के खेत में घुस गया था। वन विभाग की ओर से उसे जंगल में भेजने के लिए कई पटाखे आदि फोड़े गए लेकिन बाघ डटा रहा, उसने परिसर में ही एक शिकार मारा था। ऐसे में वह रात में वह शिकार खाने तक वही पर रूका था। सुबह वन विभाग उसे ढूंढता रह गया था। इसी तरह उपरोक्त घटना में भी बाघ रातभर शिकार के लिए वही पर डेरा डालकर रहने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।

Created On :   20 Oct 2018 2:11 PM GMT

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