बाघिन की हालत नाजुक, कभी भी थम सकती है सांसें

Tigress is not well in bandhavgarh tiger reserve
बाघिन की हालत नाजुक, कभी भी थम सकती है सांसें
बाघिन की हालत नाजुक, कभी भी थम सकती है सांसें

दैनिक भास्कर न्यूज डेस्क, उमरिया। 'बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व'  में खितौली से ताला पहुंची वयस्क बाघिन की हालत नाजुक बताई जा रही है। 24 घण्टे निगरानी के बाद भोपाल के सर्जन एक्सपर्ट डॉक्टर ने उसे शिफ्टिंग से इंकार कर दिया। अब ताला स्थित गुफा में रखकर उसका इलाज किया जाएगा। डॉक्टरों का कहना है कि बाघिन के गले का घाव गहरा है।

बताया जा रहा है कि लोहे के संपर्क में आने से उसके शरीर में जहर फैलने की संभावना है। बहरहाल पार्क प्रबंधन बाघिन को लेकर अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। पार्क प्रबंधन की चिंता यह है कि अगर बाघिन की मौत होती है, तो उसके सिर पर एक और कलंक लग जाएगा। पहले भी तीन शावकों को नहीं बचाया जा सका था। उन्हें इन्क्लोजर में घुसकर नर बाघ ने मादा शावक को मौत के घाट उतार दिया था। चार माह के भीतर तीन शावकों की मौत के बाद खिलौली वाली बाघिन हादसे का शिकार हो गई है।

जंगल में तलाशे जा रहे खून के निशान
बाघिन की गंभीर हालत में जहां एक ओर वन्यप्राणी विशेषज्ञ स्थानीय कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। वहीं जंगल में रिसॉर्ट संचालकों की मनमानी भी उजागर हुई है। नियम विरूद्ध तरीके से फेंसिंग व वन विभाग की भूमि पर बढ़ती दखलंदाजी चिंता का विषय है। घटना के बाद बीटीआर प्रबंधन ने एसडीओ रैंक के अफसरों को फेसिंग में जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। संभावित घटना स्थल पर घूमते हुए विशेषज्ञों की टीम बाघिन के खून की निशानदेही पर अगली कार्रवाई करेंगे।

भोपाल से आई टीम कर रही इलाज 
बीटीआर के फील्ड डायरेक्टर मृदुल पाठक का कहना है कि फिलहाल भोपाल से आई डॉक्टरों की टीम 24 घण्टे बाघिन की निगरानी कर रही है। जख्म गहरा है और अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बाघिन को भोपाल शिफ्ट करने से इंकार कर दिया है। भोपाल से सर्जरी विशेषज्ञ डॉक्टर अतुल जैन अपनी टीम के साथ रात से ही मेडिसिन दे रहे हैं। बाघिन की हालत में पॉजीटिव संकेत मिलने पर उसके अगले पल निर्धारित होंगे। घायल वयस्क बाघिन काफी आक्रामक बताई जाती है।पंद्रह फीट दूरी से ही इंसानी आहट सुनकर ही दहाड़ने लगती है। वन्यप्राणी विशेषज्ञों की मानें तो गले में लोहे की तार से शरीर में जहर फैलने की आशंका है। ज्यादा दिनों तक घाव होने की स्थिति में बाघिन के लिए खतरा बढ़ सकता है। 

हादसों से नहीं लिया सबक
बांधवगढ़ रिसॉर्टों के आसपास बाघों की संदिग्ध मौत का इतिहास रहा है। करीब छह साल पहले मशहूर बाघ चैलेंजर की भी इसी तरह मौत हुई थी। वन्यप्राणी विशेषज्ञों के मुताबिक गले में फंदे से बचाने उसे ट्रंक्यूलाइज किया गया। अगली ही रात में उसकी मौत हो गई, उसके भी गले में चोट थी। हालांकि बाघ को दवा के ओवरडोज से नुकसान पहुंचा था। तत्कालीन अधिकारी उसे टैरटरी फाईट में हुई मौत बताते रहे थे। इसी तरह बांसा गांव में बाघ की मौत का मामला भी खूब गर्माया था। दोनों हादसों के बाद भी बांधवगढ़ में हालात पूर्ववत ही हैं।

 

 

Created On :   27 Jun 2017 3:02 PM GMT

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