पांच सौ रुपए की रिश्वत लेने के लिए 29  साल बाद भुगतनी पड़ेगी सजा

To take bribe of five hundred rupees will have to face punishment after 29 years
पांच सौ रुपए की रिश्वत लेने के लिए 29  साल बाद भुगतनी पड़ेगी सजा
पांच सौ रुपए की रिश्वत लेने के लिए 29  साल बाद भुगतनी पड़ेगी सजा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पांच सौ रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए सरकारी कर्मचारी को अब 29 साल बाद जेल जाना पड़ेगा। बांबे हाईकोर्ट ने बिजली के मीटर के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) देने के नाम पर पांच सौ रुपए की घूस लेते पकड़े गए सरकारी कर्मचारी भास्कर येवले को सुनाई गई एक साल के कारावास की सजा को कायम रखा है। मुंबई की विशेष अदालत ने येवले को यह सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ येवले ने हाईकोर्ट में अपील की थी। किंतु हाईकोर्ट ने येवले की अपील को खारिज करते हुए उसकी सजा को बरकरार रखा है। इसलिए येवले को 1990 में दर्ज घूसखोरी के मामले में 29 साल बाद जेल जाना पड़ेगा। 

तहसीलदार कार्यालय में बिल कलेक्टर के रुप में कार्यरत येवले को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अप्रैल 1990 में हरि प्रसाद शर्मा नामक एक व्यक्ति से पांच सौ रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। दरअसल, शर्मा जिस जगह पर रहते थे, वह दुकान अवैध रुप से बनाई गई थी। ऐसी जगह में बिजली के कनेक्शन के लिए एनओसी की जरूरत थी। इसलिए शर्मा ने तहसीलदार के यहां पर एनओसी के लिए आवेदन किया। बिल कलेक्टर के रुप में तैनात येवले के पास अवैध निर्माण के सर्वेक्षण का जिम्मा था। शर्मा के आवेदन पर गौर करने के बाद येवले ने कहा कि यदि उसे 1200 रुपए की घूस दी जाएगी तो वह उनके पक्ष में रिपोर्ट तैयार कर एनओसी देगा। लेकिन शर्मा 1200 रुपए देने को राजी नहीं हुए। बातचीत के बाद पांच सौ रुपए पर बात तय हुई।

शर्मा को घूस के रुप में यह रकम देना भी नागवार गुजरा तो उन्होंने येवले के खिलाफ एसीबी में शिकायत कर दी। एसीबी ने येवले को रंगेहाथ  पकड़ने के लिए जाल बिछाया। इसके बाद जब शर्मा ने कार्यालय जाकर येवले को रिश्वत की रकम पकड़ा दी। वहां मौजूद एसीबी अधिकारियों ने येवले को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। एसीबी ने मामले की जांच कर येवले के खिलाफ विशेष अदालत में आरोपपत्र दायर किया। सुनवाई के बाद 29 अप्रैल 1997 को मुंबई की विशेष अदालत ने येवले को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कानून की धारा 13(2) व 13 (1डी) के तहत दोषी मानते हुए एक साल के कारावास व दो हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। जिसके खिलाफ येवले ने हाईकोर्ट में अपील की। इस बीच उसे जमानत मिल गई थी।

न्यायमूर्ति साधना जाधव के सामने येवले की अपील पर सुनवाई हुई। इस दौरान येवले के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष के पास उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। जबकि सरकारी वकील ने 6 गवाहों के बयान के जरिए आरोपी पर लगे आरोपों को साबित किया। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि नोट पर लगे पावडर के निशान आरोपी की उंगली, ओठ व गाल पर पाए गए हैं। क्योंकि आरोपी ने एसीबी के अधिकारियों को देखने के बाद रिश्वत में दिए गए नोट को निगलने की कोशिश की थी। अभियोजन पक्ष आरोपी पर लगे आरोपों को साबित करने में सफल रहा है। इसलिए उसकी सजा को बरकरार रखा जाता है। न्यायमूर्ति ने येवले को आठ नवंबर 2019 तक  विशेष न्यायालय के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। जिससे उसे सुनाई गई सजा पर अमल हो सके। यदि येवले आठ नवंबर तक आत्मसमर्पण करने में विफल रहता है तो कोर्ट उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर पुलिस से उसे अदालत में हाजिर करने को कहेगा। 

Created On :   25 Oct 2019 1:56 PM GMT

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