जन्मदिन विशेष : प्रियंका राजनीति से दूर, फिर भी कांग्रेस की बड़ी 'उम्मीद'

जन्मदिन विशेष : प्रियंका राजनीति से दूर, फिर भी कांग्रेस की बड़ी 'उम्मीद'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2014 का लोकसभा चुनाव था, नरेंद्र मोदी ने एक रैली की जिसमें उन्होंने कहा कि "कांग्रेस अब बूढ़ी हो चली है।" मोदी का ये जवाब कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी ने एक रैली में दिया। मोदी को जवाब देते हुए प्रियंका ने रैली में जनता से पूछा "क्या मैं आपको बूढ़ी दिखती हूं?" प्रियंका का इतना कहना था और खड़ी हुई भीड़ ने तालियां बजानी शुरू कर दी। प्रियंका भी ये सब देखकर सिर्फ मुस्कुरा ही रही थी। प्रियंका के बारे में ऐसे ढेरों वाकये हैं, जब उन्होंने अपने जवाबों से और बयानों से विरोधियों के छक्के छुड़ा दिए। शायद यही वजह है कि अमेठी और रायबरेली में प्रियंका को सोनिया और राहुल से भी ज्यादा पसंद किया जाता है। प्रियंका गांधी कांग्रेस की "संजीवनी बूटी" की तरह है और ऐसी संजीवनी जो गहरे से गहरे जख्मों को भरने का दम रखती है। आज प्रियंका गांधी वाड्रा का जन्मदिन हैं और वो 45 साल की हो गई हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा राजनीति में रहकर भी राजनीति से दूर हैं, लेकिन सब चाहते हैं कि प्रियंका राजनीति में आएं।

 

Image result for priyanka gandhi

प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ

प्रियंका गांधी हैं तो राजीव गांधी और सोनिया की बेटी, लेकिन उनमें छवि उनकी दादी इंदिरा गांधी की तरह दिखाई देती है। प्रियंका का पहनावा, बोलने का लहजा, मुस्कुराहट और स्टायल सब कुछ इंदिरा से काफी मिलता-जुलता है। इंदिरा गांधी इस देश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं और शायद अब तक की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री भी। इंदिरा गांधी के "एमरजेंसी" वाले फैसले ने कांग्रेस को कमजोर तो किया और एक ऐसा दाग छोड़ा जो आज भी है। उसके बावजूद इंदिरा ने अगले चुनावों में वापसी की। सबके जुबान पर ही एक ही नारा होता था "इंदिरा लाओ, देश बचाओ"। आज भी ये नारा लोगों की जुबान पर है, लेकिन इंदिरा की जगह प्रियंका ने ले ली और देश की जगह कांग्रेस ने और बना दिया "प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ"। प्रियंका ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था कि राजनीति में उनकी कोई "दिलचस्पी" नहीं है। इसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी और लोग प्रियंका को राजनीति में लाना चाहते हैं।

 

Image result for priyanka gandhi rally

जब अरुण नेहरू को प्रियंका ने किया था पस्त

बात 1999 के लोकसभा चुनाव की है। रायबरेली सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट थी और इस बार इस सीट से कांग्रेस की तरफ से सतीश शर्मा और बीजेपी की तरफ से अरुण नेहरू खड़े हुए थे। ये अरुण नेहरू वही थे, जो राजीव गांधी के ममेरे भाई थे और उनके काफी करीबी माने जाते थे। राजनीति के कारण राजीव और अरुण के रिश्तों में खटास आई और उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का हाथ थामा। प्रियंका गांधी उस वक्त 27-28 साल की थी और रायबरेली में रैली करने गई थीं। प्रियंका ने रायबरेली के लोगों से शिकायती लहजे में पूछा कि उनके पिता को धोखा देने वाले अरुण नेहरू को उन्होंने रायबरेली में कैसे घुसने दिया? प्रियंका ने अपने भाषण में कहा "मुझे आपसे एक शिकायत है। मेरे पिता के साथ जिसने गद्दारी की, पीठ में छुरा भोंका, जवाब दीजिए, ऐसे आदमी को आपने यहां घुसने कैसे दिया? उनकी यहां आने की हिम्मत कैसे हुई?’ प्रियंका ने आगे कहा कि ‘यहां आने से पहले मैंने अपनी मां से बात की थी। मां ने कहा किसी की बुराई मत करना, लेकिन मैं आप से भी अगर दिल से बात न कहूं तो फिर किससे कहूं?" प्रियंका की ये बातें रायबरेली की जनता के दिलों में इस कदर उतरी कि फिर अटल बिहारी वाजपेयी का दौरा भी अरुण नेहरू को जीता नहीं सका। प्रियंका के उस भाषण ने अरुण नेहरू का राजनीतिक करियत तक खत्म कर दिया था।

Image result for priyanka gandhi election campaign

सोनिया, राहुल से ज्यादा प्रियंका पसंद है

प्रियंका गांधी जब 9 साल की थी, तब अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ अमेठी पहुंची थी। राजीव गांधी 1981 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे और उनके साथ सोनिया भी इस कैंपेन में साथ थीं। इस वाकये के 18 साल बाद यानी 1999 में सोनिया गांधी अपना पहला लोकसभा चुनाव पहुंची और इस बार भी प्रियंका उनके साथ थी। प्रियंका ने उसी दिन ऐलान कर दिया कि वो दोपहर में कैंपेन के लिए निकलेंगी। इसके बाद प्रियंका कैंपेन के लिए निकल पड़ी और जनता से इस तरह मिली, जिस तरह कभी इंदिरा मिला करती थीं। बताया जाता है कि अगर कोई भी अमेठी या रायबरेली जाएगा, तो वहां जाकर पता चलेगा कि प्रियंका को कितना पसंद किया जाता है। अमेठी और रायबरेली से प्रियंका ने कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन इन दोनों जगहों पर प्रियंका सोनिया और राहुल से ज्यादा पसंद की जाती हैं।

Image result for priyanka gandhi road show

सुषमा स्वराज भी नहीं टिक पाई थी प्रियंका के सामने

1999 के लोकसभा चुनाव की बात है ये भी। उन चुनावों में सोनिया गांधी ने अमेठी और कर्नाटक की बेल्लोरी सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिया। बेल्लोरी से सोनिया के सामने बीजेपी की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज थीं। सुषमा बीजेपी की स्टार प्रचारक भी थीं और उनके भाषणों में अलग ही तेज था। इसके अलावा सुषमा ने एक चुनावी रैली में कन्नड़ में भाषण देकर सारी महफिल लूट ली। सोनिया यहां मुश्किल में दिखीं और फिर से प्रियंका गांधी को याद किया गया। प्रियंका गांधी अपनी मां के प्रचार के लिए बेल्लोरी पहुंची और यहां उन्होंने सिर्फ एक रोड शो किया। इस रोड शो में हजारों की संख्या में भीड़ आई और इस भीड़ को प्रियंका ने वोटों में बदल दिया। बेल्लोरी में प्रियंका फिर से कांग्रेस के लिए "संजीवनी" साबित हुई, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने कभी पार्टी में कोई बड़ा पद नहीं मांगा।

Image result for priyanka gandhi with rahul

राहुल के कारण राजनीति से दूरी !

साल 2004 में राहुल गांधी की कांग्रेस में आधिकारिक तौर पर एंट्री हुई। राहुल राजनीति में नए थे, लेकिन प्रियंका गांधी उनके पीछे दीवार की तरह खड़ी हुई थी। 2004 के लोकसभा चुनावों में राहुल ने जब पहली बार अमेठी से अपना नामांकन भरा, तब प्रियंका उनके साथ ही थी। प्रियंका गांधी वाड्रा राजनीति में न होकर भी राजनीति में ही हैं। ऐसा कोई चुनाव नहीं है, जो प्रियंका गांधी के बिना लड़ा गया हो। प्रियंका की इस राजनीतिक दूरी के पीछे की सबसे बड़ी वजह उनके भाई राहुल गांधी ही हैं। ये बात प्रियंका और कांग्रेस दोनों ही अच्छे से जानते हैं कि अगर प्रियंका राजनीति में उतरी तो राहुल गांधी का कद कम हो जाएगा और इसी कारण वो हमेशा से कांग्रेस और राहुल को बैकडोर से ही सपोर्ट करती हैं। हालांकि, कांग्रेस के लिए ये बेहतर हो सकता है। भाई-बहन की ये जोड़ी 132 साल की कांग्रेस को "युवा" बना सकती है, लेकिन प्रियंका गांधी नहीं चाहती कि उनके आने से पार्टी में दो धड़े बन जाएं। जिसका डर कांग्रेस को हमेशा से होता आया है। कांग्रेस का एक धड़ा अभी भी प्रियंका गांधी को पार्टी की कमान सौंपने की मांग करता है, हालांकि वो धड़ा पार्टी के डर की वजह से कभी खुलकर सामने नहीं आया।

Image result for priyanka gandhi with rahul

प्रियंका की स्टाइल ही फॉलो कर रहे हैं राहुल

प्रियंका गांधी वाड्रा 1999 के बाद से पार्टी के लिए चुनाव प्रचार का काम कर रही हैं। उनकी रैलियों में हजारों की भीड़ आती है और जनता भी काफी पसंद करती है। इसका कारण है प्रियंका का स्टाइल। प्रियंका जिस तरह से भाषण देती हैं, वो जनता से जुड़ जाता है। उनमें हर वो तेवर और अंदाज है, जो सियासत के मैदान में सबसे जरूरी होता है। इसके बावजूद प्रियंका राजनीति में नहीं आ रही हैं और अपने भाई राहुल के सुपरहिट होने का इंतजार कर रही हैं। हालांकि, राहुल अब प्रियंका की स्टाइल को ही फॉलो कर रहे हैं। राहुल अपने भाषणों में भावनाएं ला रहे हैं, लोगों से मिल रहे हैं, जनता से जुड़ रहे हैं और यही कारण है कि पार्टी ने गुजरात में उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया। अब राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं और ऐसे में 2019 में कांग्रेस की वापसी कराने की जिम्मेदारी राहुल की है। और इसके पीछे प्रियंका गांधी का हाथ भी है। बताया जाता है कि राहुल के मेकओवर के पीछे प्रियंका गांधी का ही हाथ है और 2019 में कांग्रेस वापसी करती है तो इसके पीछे जितना हाथ राहुल का होगा, उतना ही प्रियंका का भी होगा।

प्रियंका गांधी वाड्रा से जुड़ी कुछ बातें

1. प्रियंका गांधी ने अपना पहला सार्वजनिक भाषण 16 साल की उम्र में दिया था। कहा ये भी जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रियंका बनारस से चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन मोदी लहर के कारण उन्हें इस चुनाव में नहीं लड़ने की सलाह दी गई। 

2. प्रियंका दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पढ़ी हैं। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मैरी स्कूल से साइकॉलोजी की डिग्री हासिल की। दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राहुल और प्रियंका ने अपनी पढ़ाई घर से ही जारी रखी। जिससे उनकी सामजिक जिंदगी बहुत सिमट गई क्योंकि उन्हें 24 घंटे सुरक्षाकर्मियों के साये में रहना पड़ता था।

Image result for priyanka gandhi with robert

3. कहा जाता है कि प्रियंका अपने पति रॉबर्ट वाड्रा से 13 साल की उम्र में मिली थीं। प्रियंका ने ही रॉबर्ट की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था।

4. प्रियंका और रॉबर्ट की शादी काफी लो-प्रोफाइल रखी गई और उनकी शादी में सिर्फ 150 मेहमानों को निमंत्रण दिया गया था। इन मेहमानों में बच्चन परिवार भी शामिल था।

5. प्रियंका की तुलना अक्सर उनकी दादी इंदिरा गांधी से होती है। प्रियंका का हेयरस्टाइल, पहनावा और बात करने के सलीके में इंदिरा गांधी की छाप साफ नजर आती है।

6. प्रियंका को फोटोग्राफी, कुकिंग, और पढ़ना काफी पसंद है। प्रियंका को बच्चों से खासा लगाव है और इसलिए उन्होंने राजीव गांधी फाउंडेशन के बेसमेंट में बच्चों के लिए लाइब्रेरी शुरू कराई जिसका इस्तेमाल रोजाना कई बच्चे करते हैं। 

Created On :   12 Jan 2018 5:06 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story