वर्ल्ड सोशल मीडिया-डे आज : पुराने दोस्तों को मिलाया, कहीं बनाया अटूट रिश्ता

Today is World social media-day : built unbreakable relationship
वर्ल्ड सोशल मीडिया-डे आज : पुराने दोस्तों को मिलाया, कहीं बनाया अटूट रिश्ता
वर्ल्ड सोशल मीडिया-डे आज : पुराने दोस्तों को मिलाया, कहीं बनाया अटूट रिश्ता

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सोशल मीडिया ने बिछड़े हुए रिश्तों को बनाया है, तो पुराने दोस्तों को मिलाया भी है। विदेश में बैठे अपने बच्चे को मां रोज सोशल मीडिया के सहारे ही देख पा रही है। नाती-पाेते भी अपने ग्रैंड पैरेंट्स से सोशल मीडिया के कारण ही जुड़े हैं। इसके सहारे हर फैमिली के ग्रुप चल रहे हैं। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो हर किसी उम्र वर्ग की जरूरत ही नहीं, आदत भी बन चुका है। पूरे समय सोशल मीडिया सभी के सिर पर सवार रहता है। आज वर्ल्ड सोशल मीडिया-डे पर यंगस्टर्स का कहना है कि अगर सोशल मीडिया नहीं होता, तो पता नहीं क्या होता। सोशल मीडिया का साथ मिला, तो बात बन गई। इसके फायदे और नुकसान दोनों ही हैं। आज सोशल मीडिया-डे पर कुछ लोगों ने चर्चा के दौरान अपने अनुभव शेयर किए। 

सेल्फी का क्रेज

ग्रुप एडमिन अंकुश महाकाल के मुताबिक सुबह उठते ही सेल्फी का दौर चलता है। इसके बाद कॉलेज में फ्रेंड्स के साथ सेल्फी होती है। सोशल मीडिया पर हम यंगस्टर्स सबसे ज्यादा सेल्फी लेते हैं। हमारे सारे फ्रेंड्स भी सेल्फी के लिए एक्साइटेड होते हैं। सेल्फी लेते समय सावधानी बरतते हैं। सोशल मीडिया नहीं होता, तो पता नहीं हम युवाओं का क्या होता। आज के समय के सबसे बड़ी जरूरत है सोशल मीडिया। इस प्लेटफार्म पर सेल्फी इंपार्टेंट तो है ही, साथ ही हम तब खबरें जल्दी पहुंच जाती हैं। हमारे ग्रुप में ब्लड डोनेशन आैर सोशल वर्क नाम का ग्रुप है, जहां पर किसी को भी कोई जरूरत होने पर हम भी पहले पहुंच जाते हैं। एक बार की याद है, मेरे फ्रेंड के रिलेटिव को रात में ब्लड की जरूरत थी, उसने तुरंत वॉट्सएप पर मैसेज डाला, तो दो चार लोग एक साथ ब्लड देने पहंुच गए। ये सब सोशल मीडिया से ही संभव हो पाया है।  

पापा के अंतिम दर्शन किए 

आशा पांडे ने बताया मेरे पापा को कैंसर था। 30 मार्च 2019 को उनकी डेथ हो गई। मैं अपने हसबैंड के साथ आस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में रहती हूं। जैसे ही खबर मिली की पापा की डेथ हो गई, तो मुझे बहुत बेचैनी हुई, लेकिन इतनी जल्दी आ पाना संभव नहीं था। कैंसर होने से उनकी बॉडी को ज्यादा दिन नहीं रख सकते थे, इसलिए हमने कहा कि उनका अंतिम संस्कार कर दें। पापा के अंतिम दर्शन की इच्छा थी, इसलिए हमने वीडियो कॉलिंग के थ्रू पापा के अंतिम दर्शन लिए। जिंदगी भर इस बात का दुख है कि पापा के अंतिम समय हम नहीं थे, लेकिन सोशल मीडिया से ही उनकी अंतिम यात्रा के दर्शन किए। हमारा परिवार स्नेह नगर में रहता है

अटूट रिश्ता ग्रुप में 5150 सदस्य

एडमिन सजन कुमार गोयल के मुताबिक ग्रुप 24 जुलाई 2016 में बनाया था। तब ग्रुप में कुछ लोग ही थे, लेकिन अटूट रिश्ता ग्रुप के नाम से 42 वॉट्सअप ग्रुप हैं। जो महाराष्ट्र के  साथ ही मप्र, छग, गुजरात, यूपी, बिहार, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियालण, मुबई में भी हैं। इन सभी ग्रुपों के मिलकार 10 से 12 एडमिन हैं, लेकिन ग्रुप की शुरुआत नागपुर से की गई है। अटूट रिश्ता ग्रुप से आज 1397 रिश्ते तय हो चुके हैं, जिसको हम बहुत बड़ी उपलब्धि मानते हैं। ये सब सोशल मीडिया से ही संभव हो पाया है। अगर सोेशल मीडिया नहीं होता, तो ये सब चीजें आसान नहीं होंती। सोशल मीडिया के नुकसान हैं, तो कुछ फायदे भी हैं। शहर के साथ ही अन्य राज्यों के मेम्बर्स को जोड़ पाना सोशल मीडिया से संभव हो पाया है। 

 

Created On :   30 Jun 2019 1:12 PM GMT

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