टॉप डायमंड मर्चेंट जानते थे मेहुल और नीरव मोदी डिफॉल्टर है

टॉप डायमंड मर्चेंट जानते थे मेहुल और नीरव मोदी डिफॉल्टर है
टॉप डायमंड मर्चेंट जानते थे मेहुल और नीरव मोदी डिफॉल्टर है
टॉप डायमंड मर्चेंट जानते थे मेहुल और नीरव मोदी डिफॉल्टर है

डिजिटल डेस्क, मुंबई। “हीरावाला तो जानता हाता मेहुल आने नीरव दिवालिया छे। पन आ फ्रॉड नी रित अमारा माते पन नवी छे। (हीरा व्यापारी जानते थे मेहुल चोकसी और नीरव मोदी बैंकरप्ट है, लेकिन दोनों ने जिस तरीके से इस फ्रॉड को अंजाम दिया वो हमारे लिए भी नया है।)” ये कहना है मुंबई के एक हीरा व्यापारी का। टॉप डायमंड मर्चेंट जानते थे मेहुल और नीरव मोदी का बिजनस फेल हो गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब सभी को मेहुल और निरव के बारे में जानकारी थी तो फिर बैंक को क्यों पता नहीं चला?

ओवर इन्वॉयसिंग, अंडर इन्वॉयसिंग, स्मगल्ड गुड्स की खरीदारी और बिक्री, ब्लड डायमंड की सौदेबाजी और टेक्स की चोरी हीरे के कारोबार में आम है। मुंबई में किसी भी बैंकर से बात कर लीजिए वो मान लेगा कि जितनी रिश्वतखोरी इस कारोबार में होती है उतनी कही नहीं। अकाउंटिंग में घपला, नगद लेनदेन, बैंक और ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी ये सब बिल्कुल आम बात है इन सब के बारे में बात ही नहीं की जाती। सूरत और मुंबई के हीरा कारोबारी अब भी हैरान है और समझने की कोशिश कर रहे है कि नीरव और मेहुल को पंजाब नेशनल बैंक से बिना एंट्री के कैसे LOU इश्यू होते चले गए।

सूरत में एक टॉप डायमंड मरचेंट ने पिछले 6 महीनों से 4 हजार करोड़ से ज्यादा के लोन का ब्याज नहीं दिया है। ये लोन एक प्राइवेट बैंक से लिया गया है। ये वहीं हीरा कारोबारी है जिसने कुछ साल पहले अपने कर्मचारियों को कार गिफ्ट की थी।

50 साल से ज्यादा समय से मुंबई और सूरत में हीरे का 90 प्रतिशत कारोबार काले धर पर चल रहा है। डायमंड गरीब और मिडिल क्लास के लोगों के लिए नहीं है। आज के समय में असली हीरे के एक पेयर को खरीदने के लिए कम से कम 6 से 7 लाख रुपए चाहिए। इतना पैसे किसके पास है?

मेहुल चोकसी और नीरव मोदी की बैंक के साथ की गई धोखाधड़ी का ज्यादा फर्क हीरे के कारोबार पर नहीं पड़ेगा। हां लेकिन ये जरूर है कि अब बैंक दूसरे व्यापारियों के लिए सख्त हो जाएंगे और लोन मिलना इतना आसान नहीं होगा।

मेहुल चोकसी के परिचितों के अनुसार “ पप्पू (मेहुल) ने बॉलिवुड हिरोइन्स पर काफी पैसा खर्चा किया ताकि मुंबई के अखबारों में पेज थ्री पर वो आ सके। ऐसा इसलिए किया गया ताकि बैंकर उसे नोटिस करे और लगातार उनका विश्वास बना रहे।“ मार्केट जानता था कि मेहुल पिछले तीन सालों से डिफॉल्टर है। उसकी पालनपुरी जैन कम्यूनिटी और साथी बिजनसमैन ने उसे पैसे उधार देना बंद कर दिया था। मुंबई और सूरत के कई हीरा व्यापारी ऑफ द रिकॉर्ड बताते है कि पिछले तीन सालों से उन्होंने कैश में ही मेहुल और नीरव को हीरे दिए।

लंबे समय से मेहुल और नीरव समय पर पैसा नहीं दे रहे थे और हीरे कारबारियों का विश्वास खो चुके थे। ऐसे में ये कैसे संभव है कि ये सब कुछ हम लोगों को पता था लेकिन बैंक को नहीं? इन सब के बाद भी नीरव को लगातार बैंक से पैसे दिया जाना दिखाता है कि इसमे बैंक के टॉप मैनेजमेंट की मिली भगत रही होगी।

“नीरव ना धंधा नू मोडल बोगस हातु (नीरव का बिजनस मॉडल बोगस था)” ये कहना है कि एक व्यापारी का जो कि मेहुल चोकसी का दोस्त है। 6 से ज्यादा अरबपति बिजनसमैन बताते है कि नीरव के शोरूम ने उन्हें इम्प्रेस नहीं किया। उसकी ज्वैलरी काफी ओर प्राइज्ड थी। तो ये एक अच्छा सौदा नहीं था। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार दावा कर रही है कि उन्होंने 5 हजार करोड़ से ज्यादा की ज्वैलरी जब्त कर ली है। लेकिन ये सही आकड़ा नहीं है क्योंकि नीरव की ज्वैलरी काफी ज्यादा ओवर प्राइस थी।
 

Created On :   21 Feb 2018 11:30 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story