आदिवासी मजदूरों को बंधक बनाकर कटवा रहे थे गन्ना, प्रशासन ने कराया मुक्त

Tribal people used as bonded labor to cut Sugarcane in Chhindwara
आदिवासी मजदूरों को बंधक बनाकर कटवा रहे थे गन्ना, प्रशासन ने कराया मुक्त
आदिवासी मजदूरों को बंधक बनाकर कटवा रहे थे गन्ना, प्रशासन ने कराया मुक्त

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/पांढुर्ना। आदिवासी मजदूरों को महंगी मजदूरी दिलाने का लालच देकर दलाल बड़े शहरों में भेज रहे हैं। यहां उनकी हालत बद से बदतर बनी हुई है। मामल मप्र के छिंदवाड़ा जिलेका का है, जहां 11 आदिवासी मजदूरी एक दलाल की बातों में आकर महाराष्ट्र के पुणे जिले गए, जहां उन्हें बंधकर बनाकर गन्ना कटवाए जा रहे थे। शिकायत के बाद हरकत में आए प्रशासन ने सभी को मुक्त कराया है।

एक माह बाद लौट सके अपने घर-
महाराष्ट्र के पुणे जिले के इगनापुर में बंधक बनकर डर-डरकर काम कर रहे पांढुर्ना विकासखंड के आदिवासी अंचल के ग्राम घोघरी-गोविंदपुर के आदिवासी मजदूर महीने भर बाद घर लौट सके है। सौंसर के एक एजेंट के माध्यम से यह मजदूर इगनापुर गन्ना कटाई के लिए गए थे। गांव में फिलहाल कोई काम नहीं होने के चलते अच्छी आमदनी की चाह में यह मजदूर खुशी-खुशी तो गन्ना कटाई के लिए चले गए, पर वहां उनके साथ हुए अत्याचार ने उनके दिलों-दिमाग में डर बैठा दिया।

रो-रोकर बतायी पूरी कहानी-
पांढुर्ना पहुंचे आदिवासी मजदूरों ने रो-रोकर अपनी आपबीती बताई। मजदूरों ने बताया कि सौंसर का दलाल कैलाश जाधव हमें गन्ना कटाई के लिए महाराष्ट्र में इगनापुर के भवानी नगर ले गया था। शुरूआती एक-दो दिन के बाद यहां हम सभी को बंधक बनाकर रखा गया और समय-समय पर बंधुआ मजदूरों की भांति काम लिया जाता। धीरे-धीरे काम पर बुलाने वालों ने अत्याचार शुरू कर दिए। कई बार गन्ना कटाई वाले गाली-गलौच और मारपीट भी करते थे। उन लोगों ने जरूरी चीजों के साथ-साथ मोबाइल भी रख लिए थे, जिससे पांढुर्ना संपर्क नहीं हो पा रहा था। कुछ मजदूरों को कई बार भरपेट भोजन के लिए भी तरसना पड़ा।

श्यामा और प्रमोद की सूझबूझ से छूट सके मजदूर-
साथी मजदूरों को छुड़ाने के इस प्रकरण में दो मजदूरों की सूझबूझ काम आई। हर दिन मारपीट और गाली-गलौच से तंग आकर वहां काम करने गए मजदूर श्यामा ईवनाती और प्रमोद साहू सहित करीब आठ मजदूर एक दिन जैसे-तैसे वहां से भाग निकले और सीधे पांढुर्ना पहुंच गए। यहां उन्होंने पुलिस थाने और अपने परिचितों को पूरी बात बताई। बात विधायक नीलेश उइके से होती हुई सीएम कमलनाथ तक भी पहुंची। सीएम कमलनाथ तक मामला पहुंचने के बाद प्रशासन हरकत में आया और लावाघोगरी पुलिस थाने के दो जवान श्यामा और प्रमोद के साथ इगनापुर गए और जवानों के साथ वहां के क्षेत्रीय एसपी से मिलकर अपनी व्यथा बताई। तब कहीं जाकर एसपी ने मामला संज्ञान में लेकर हस्तक्षेप किया और मौके पर पहुंचकर अन्य मजदूरों को छुड़ाया। शनिवार की शाम को पांढुर्ना पहुंचने के बाद मजदूरों ने राहत की सांस लीं। अपनी आपबीती बताते हुए कई मजदूरों के आंखों में आंसू भी आ गए।

 

Created On :   27 Jan 2019 2:03 PM GMT

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