- Home
- /
- गोंडकालीन पुरखों का गौरवशाली इतिहास...
गोंडकालीन पुरखों का गौरवशाली इतिहास देख कर दंग रह गए आदिवासी
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। जिले से करीब 300 किमी की दूरी पर तेलंगाना की सीमा से सटे प्रख्यात समाजसेवी डा. प्रकाश आमटे के हेमलकसा प्रकल्प के आदिवासी बंधुओं ने चंद्रपुर आकर जब अपने ही पुरखों का गौरवशाली इतिहास देखा तो वे भी दंग रह गए। ज्ञान व विकास की मुख्य धारा से वंचित नक्सलवाद की मार झेल रहे इन आदिवासियों को चंद्रपुर के गोंडराजाओं द्वारा बनाए गए विशाल किले व बुर्ज आदि के साथ दूसरे अनमोल स्थापत्य आदि को पहली बार देखने का मौका मिला। पर्यटन दिवस का औचित्य साध हेमलकसा स्थित लोकबिरादरी प्रकल्प ने इको-प्रो संस्था के साथ मिल कर यह योजना बनाई और सभी गद्गद हो गए।
सनद रहे इको-प्रो संस्था का गोंडकालीन ऐतिहासिक विरासत किलों की स्वच्छता अभियान शुरू ही है। इस दौरान आदिवासी साम्राज्य के ऐतिहासिक दस्तावेज माने जानेवाले जीते-जागते इतिहास की साक्षी बने किले-परकोट आदि से समृद्ध नई-नई जानकारी भी इससे उपलब्ध हो रही है। ऐसे में हेमलकसा के आदिवासी बंधुओं व गांवों के नागरिकों ने चंद्रपुर में पुरातन किलों में भेंट की। इको-प्रो के पुरातत्व विभाग ने इन सभी आदिवासी बंधुओं को चंद्रपुर शहर के ऐतिहासिक विरासत व उनके इतिहास की प्रेरक व रंजक वास्तविकता बताई।
पठानपुरा गेट, अंचलेश्वर गेट, जटपुरा गेट, वीर शहीद बाबूराव पुलेश्वर शेडमाके का शहादत का स्थान, गोंडराजा का तत्कालीन राजमहल व आज का कारागृह, बगड खिड़की समीपस्थ सुंदर बुर्ज, गोंडराजा का स्मारक, प्राचीन बावड़ी व कुएं, अंचलेश्वर मंदिर व महाकाली मंदिर जैसे स्थानों से प्रत्यक्ष भेंट करते हुए उनकी ऐतिहासिक जानकारी इको-प्रो के बंडू धोतरे ने इस समय दी। यह सब जान कर वे दंग रह गए। इतने सालों में कभी चंद्रपुर आकर इस गौरवपूर्ण इतिहास को जान ना सके, इसका मलाल उन्होंने जताया साथ ही गर्व भी महसूस किया। इस उपक्रम के लिए लोकबिरादरी प्रकल्प के अनिकेत आमटे और इको-प्रो के अध्यक्ष बंडू धोतरे ने समन्वय किया। इस समय लोकबिरादरी प्रकल्प के मनोहर अंपलवार, मुंशी दुर्वा, राहुल भसारकर, जोगा गोटा, इको-प्रो के अनिल अडगुरवार, अमोल उटटृलवार, हरीश मेश्राम, अक्षय खनके आदि भी उपस्थित थे।
Created On :   28 Sep 2018 8:42 AM GMT