प्रतिमाओं पर राजनीति से अखाड़ा बना यूनिवर्सिटी , एक के बाद एक मांग से बढ़ा संकट

University become the arena of fighting for the statue establishment
प्रतिमाओं पर राजनीति से अखाड़ा बना यूनिवर्सिटी , एक के बाद एक मांग से बढ़ा संकट
प्रतिमाओं पर राजनीति से अखाड़ा बना यूनिवर्सिटी , एक के बाद एक मांग से बढ़ा संकट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी में इन दिनों एक के बाद एक महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित करने की मांग जोर पकड़ रही है। स्थिति ऐसी आ गई है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन तय नहीं कर पा रहा कि किस महापुरुष की प्रतिमा लगाने को मंजूरी दें और किसे न दें। यहां तक कि जिन महापुरुषाें की प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव पास किया गया, उनकी प्रतिमा को किस जगह स्थापित किया जाए, यह संकट भी यूनिवर्सिटी प्रशासन के सामने है। 

नहीं है कोई ठोस नीति
दरअसल यूनिवर्सिटी में महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर कोई ठोस नीति नहीं है। अगर कोई संगठन प्रतिमा स्थापित करने की मांग करे और इसके लिए लगने वाली राशि जमा कराने की तैयारी दिखाएं तो यूनिवर्सिटी यह प्रस्ताव आगे बढ़ाता है। राज्य सरकार से अनुमति लेने के बाद प्रतिमा लगाने पर मुहर लग जाती है। नागपुर यूनिवर्सिटी में इन दिनों स्वामी विवेकानंद, महात्मा ज्योतिबा फुले और छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने की मांग चर्चा में आई है। शिक्षा जगत के जानकारों की मानें तो नागपुर यूनिवर्सिटी इन दिनों शिक्षा का केंद्र न होकर ऐसा अखाड़ा बन गया है, जहां विविध विचारधाराओं को मानने वाले वर्ग अपना वर्चस्व दर्शाने में लगे हैं। 

जोर आजामा रहे विविध वर्ग
देश की सर्वोच्च अदालत ने तो वर्ष 2013 में एक मामले की सुनवाई में स्पष्ट कर दिया था कि देश को और अधिक प्रतिमाओं की जरूरत नहीं है। अंतरिम आदेश में तो कोर्ट ने प्रतिवादी राज्य सरकार को नई प्रतिमाओं की स्थापना की मंजूरी देने से ही रोक दिया था। इधर नागपुर खंडपीठ में भी सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिमाओं की स्थापना से जुड़े विवाद में कोर्ट ने इनकी स्थापना पर आंखें तरेरी थी। कोर्ट ने महापुरुषों के विचारों को आत्मसात करने और इस कार्य के लिए लगने वाले धन को जनकल्याण के कार्य में लगाने के निर्देश जारी किए। मगर नागपुर यूनिवर्सिटी में इन दिनों नया शगल शुरू हो गया है, जिसमें विविध वर्ग विविध महापुरुषों की प्रतिमाएं यूनिवर्सिटी में स्थापित करने के लिए जोर-आजमा रहे हैं। 

इसलिए अटका प्रस्ताव
हाल ही में भारतीय जनता युवा मोर्चा ने नागपुर यूनिवर्सिटी कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे को कैंपस में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की थी। इसके बाद काउंसिल में सदस्य विष्णु चांगदे ने यह प्रस्ताव रखा था। बैठक में प्रस्ताव मंजूर हुआ। प्रतिमा स्थापित करने के लिए सरकार से आवश्यक मंजूरी लेने के बाद नियमों के मुताबिक प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके बाद परिवर्तन पैनल से चुन का आए सीनेट सदस्य प्रशांत टेकाडे और शीलवंत मेश्राम ने वर्षों पुरानी मांग फिर एक बार कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे के समक्ष रखी।

दलील थी कि जिन महात्मा फुले के नाम पर यूनिवर्सिटी के कैंपस का नाम रखा गया है, वहां फुले की एक भी प्रतिमा नहीं है। यहा मांग खासी पुरानी है, जो एक बार फिर चर्चा में आ गई है। इसी तरह यूनिवर्सिटी के महाराजबाग चौक स्थित परिसर को छत्रपति शिवाजी महाराज प्रशासकीय परिसर का नाम है। कुछ समय पूर्व कुछ संगठनों ने इस परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की थी। मगर प्रतिमा की स्थापना के लिए नीधि देने कोई आगे नहीं आया, जिस कारण यह प्रस्ताव लटका पड़ा है। 

हम पहले निधि इक्कठा करने के लिए कहते हैं
नागपुर विश्वविद्यालय में किन महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित करनी है, इसको लेकर कोई ठोस नीति नहीं है। मगर जब भी ऐसी कोई मांग हमारे पास आती है तो हम सर्वप्रथम उन्हें स्वयं निधि इकठ्ठा करने को कहते है। इसके बाद हमारी मैनेजमेंट काउंसिल से अनुमति मिलने के बाद यह प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाता है। मंजूरी मिले तो प्रतिमा स्थापित होती है।
(डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे कुलगुरु नागपुर विश्वविद्यालय)
 

Created On :   5 Sep 2018 7:09 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story