पाकिस्तान चुनाव : आतंकियों की राजनीति में एंट्री पर अमेरिका ने जताई चिंता

US expressed concern about the elections in Pakistan
पाकिस्तान चुनाव : आतंकियों की राजनीति में एंट्री पर अमेरिका ने जताई चिंता
पाकिस्तान चुनाव : आतंकियों की राजनीति में एंट्री पर अमेरिका ने जताई चिंता
हाईलाइट
  • अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।
  • चुनावों में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के समर्थित उम्मीदवार शामिल हो गए है।
  • पाकिस्तान में होने वाले चुनावों को लेकर अमेरिका ने चिंता जाहिर की है।

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान में होने वाले चुनावों को लेकर अमेरिका ने चिंता जाहिर की है। अमेरिका की ये चिंता इसलिए है क्योंकि उसे लगता है कि इन चुनावों में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के समर्थित उम्मीदवार शामिल हो गए हैं। पाकिस्तानी अखबार द डॉन ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के हवाले से ये बात कही है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। बता दें कि पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव होने हैं।

हाफिज का बेटा और दामाद चुनाव मैदान में
"द डॉन" ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया, "हम पाकिस्तानी सरकार के सामने आने वाले आम चुनावों में लश्कर-ए-तैयबा की सक्रियता और इसके समर्थित उम्मीदवारों को लेकर चिंता जाहिर चुके हैं।" मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से संबंधित पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) को राजनीतिक पार्टी के तौर पर मान्यता देने से पाकिस्तान इलेक्शन कमिशन इनकार कर चुका है, लेकिन इसके बाद इस संगठन ने अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक (एएटी) के साथ गठबंधन किया। इस पार्टी ने हाफिज खालिद वालीद और तल्हा सईद सहित कुल 265 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। वालीद हाफिज सईद का दामाद है तो तल्हा हाफिज का बेटा।

4.6 करोड़ युवाओं के हाथों में सत्ता की चाभी
पाकिस्तान में होने वाले आम चुनाव में सत्ता की चाबी युवाओं के हाथ में होगी। पाकिस्तान में 10.5 करोड़ मतदाता हैं, इनमें युवा मतदाताओं की संख्या करीब 4.6 करोड़ है। युवा वर्ग जिस पार्टी के पक्ष में मतदान करेगा, उसकी जीत पक्की है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की वर्तमान सरकार का कार्यकाल इस माह की 31 तारीख को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद कार्यवाहक सरकार सत्ता संभाल लेगी। चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि सोशल मीडिया के इस युग में युवा ही इस बार के चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे।

ये हैं पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक दल

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन)
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) अभी सत्ता में है। नवाज शरीफ को हटाए जाने के बाद शाहिद खाकान अब्बासी देश के प्रधानमंत्री पद पर हैं। पार्टी के चेयरमैन नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ हैं। 1988 में स्थापित इस पार्टी का चुनाव निशान शेर है। 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में पार्टी के 188 सदस्य है।

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ
क्रिकेट से राजनेता बने इमरान खान ने 1996 में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी की बुनियाद रखी। फिलहाल नेशनल असेंबली में 33 सीटों के साथ पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। इमरान खान की पार्टी का चुनाव चिन्ह क्रिकेट का बैट है। पाकिस्तानी युवाओं में इमरान बहुत लोकप्रिय हैं।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बेहद मजबूत समझी जाने वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की स्थापना 1967 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने की थी। अब उनके नवासे बिलावुल भुट्टो जरदारी पार्टी के प्रमुख हैं। पार्टी का चुनाव चिह्न तीर है और नेशनल असेंबली में उसके 47 सदस्य हैं। सिंध प्रांत में उसकी सरकार है।

मुत्तेहिदा कौमी मूवमेंट
एमक्यूएम की स्थापना 1984 में अल्ताफ हुसैन ने की थी। पार्टी का चुनाव चिन्ह पतंग है और पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में उसका बहुत दबदबा माना जाता है। राष्ट्रीय संसद में उसके 24 सदस्य हैं। एमक्यूएम को विभाजन के बाद पाकिस्तान में जाकर बसे मुहाजिरों की पार्टी माना जाता है।

आवामी नेशनल पार्टी
आवामी नेशनल पार्टी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह में बड़ी ताकत रही है। हालांकि पिछले चुनावों में इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ ने उसे प्रांतीय सत्ता से बाहर कर दिया है। राष्ट्रीय संसद में उसके अभी सिर्फ दो सांसद हैं। पार्टी का चुनाव निशान लाल टोपी है और असफंदयार वली खान इसके प्रमुख हैं।

जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ)
मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व वाली जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ) पाकिस्तान की एक सुन्नी देवबंदी राजनीतिक पार्टी है, जिसके नेशनल असेंबली में 12 सदस्य हैं। पार्टी की चुनाव चिह्न किताब है। यह पार्टी 1988 में जमीयत उलेमा ए इस्लाम में विभाजन के बाद अस्तित्व में आई।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ)
यह पार्टी एक सिंधी धार्मिक नेता पीर पगाड़ा से जुड़ी हुई है। अभी नेशनल असेंबली में इसके पांच सदस्य हैं जबकि 168 सीटों वाली सिंध असेंबली में भी 9 सदस्यों के साथ वह मौजूद है। पार्टी का चुनाव चिह्न गुलाब का फूल है।

जमीयत उलेमा ए इस्लाम
इस पार्टी का मकसद पाकिस्तान को एक ऐसे देश में तब्दील करना है जो शरिया के मुताबिक चले। हालांकि जनता के बीच उसका ज्यादा आधार नहीं है। नेशनल असेंबली में उसके अभी सिर्फ चार सदस्य हैं। पार्टी तराजू के निशान पर चुनाव लड़ती है और सिराज उल हक इसके प्रमुख हैं।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू)
यह पार्टी नवाज शरीफ की पीएमएल (एन) से टूट कर बनी है। पार्टी के मुखिया शुजात हुसैन, सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के दौर में कुछ समय के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे। फिलहाल नेशनल असेंबली में पार्टी के पास सिर्फ दो सीटें हैं। पार्टी का चुनाव चिह्न साइकिल है।

Created On :   21 July 2018 6:25 PM GMT

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