US फेडरल रिजर्व ने बढ़ाईं ब्याज दरें, जानें क्या होगा भारत पर असर?

US Federal Reserve raises interest rates again amid strong jobs market
US फेडरल रिजर्व ने बढ़ाईं ब्याज दरें, जानें क्या होगा भारत पर असर?
US फेडरल रिजर्व ने बढ़ाईं ब्याज दरें, जानें क्या होगा भारत पर असर?
हाईलाइट
  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दो दिन की बैठक के बाद बुधवार को साल 2018 में पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है।
  • भारतीय बाजार में इसका खास असर नहीं पड़ेगा। इससे नुकसान सिर्फ उन कंपनियों को है जिन्होने डॉलर्स में लोन लिया हुआ है।
  • इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ने या प्रतिबंध लगाने से ट्रेड वॉर की चिंता बढ़ती है तो निश्चित तौर पर यह दुनियाभर के बाजारों के लिए खतरा है।
  • इस फैसले में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दो दिन की बैठक के बाद बुधवार को साल 2018 में पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। इस फैसले में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25% की बढ़ोतरी की है। जिसके चलते अब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़कर 1.50 से 1.75 फीसदी हो गई है। जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा है, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में सपाट शुरुआत हुई। गुरुवार सुबह जहां सेंसेक्स 75 अंकों की मामूली बढ़त के साथ खुला तो निफ्टी में भी मात्र 12 अंकों की बढ़त रही। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाने के साथ-साथ फेडरल रिजर्व ने अपने इकोनॉमिक फॉरकास्ट को अपग्रेड किया है। इसके साथ ही फेड ने इस साल दो बार और ब्याज दरों में बढ़ोतरी का अनुमान जताया है। बता दें कि फेडरल रिजर्व के नए प्रमुख जिरोम पावेल की अध्यक्षता में होने वाली यह पहली बैठक थी।


इस साल 2 बार बढ़ सकती है ब्याज दरें 

US फेडरल ने इस साल कम से कम 2 बार और ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत दिए हैं, दरें बढ़ाने के साथ जीडीपी का अनुमान भी जताया है। US फेड ने 2019 में दरों का अनुमान 2.7 फीसदी से बढ़ाकर 2.9 फीसदी किया है, साथ ही आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ने का भी अनुमान लगाया है। US फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जिरोम पॉवेल ने कहा कि महंगाई का दवाब धीरे-धीरे बढ़ रहा है और मंहगाई 2 फीसदी के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है, लेकिन इकोनॉमी का आउटलुक बेहतर हुआ है।

US Fed की ओर से यह छठी बढ़ोतरी!

दिसंबर 2015 के बाद अमेरिकी फेडरल की ओर से की गई यह छठी बढ़ोतरी है। 17 दिसंबर 2015 को फेडरल रिजर्व ने पहली बार ब्याज दरों को 0.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.50 प्रतिशत कर दिया था। यह दिसंबर 2008 के बाद फेड की ओर से किया गया पहला बदलाव था। वहीं, इससे पहले 17 दिसंबर 2008 में ब्याज दर को 1 प्रतिशत से घटाकर 0.25 प्रतिशत कर दिया गया था।

अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दरें बढ़ाने के बाद अमेरिकी बाजारों में गिरावट देखने को मिली। बुधवार के कारोबार में डाओ जोंस 45 अंक गिरकर 24,682 के स्तर पर बंद हुआ और नैस्डैक 19 अंक की कमजोरी के साथ 7,345 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं SP 500 Index 5 अंक लुढ़ककर 2,712 के स्तर पर बंद हुआ।

क्या होगा भारत पर असर?

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने के बाद गुरुवार सुबह भारतीय शेयर मार्केट में इसका खास असर नजर नहीं आया, जहां सेंसेक्स 75 अंकों की मामूली बढ़त के साथ 33,207  के स्तर खुला तो निफ्टी मात्र 12 अंकों की बढ़त के साथ 10,167 पर खुला। इस स्थिति में विशेषज्ञ यह मान रहें हैं कि भारतीय बाजार में इसका खास असर नहीं पड़ेगा। इससे नुकसान सिर्फ उन कंपनियों को है जिन्होने डॉलर्स में लोन लिया हुआ है। हालांकि इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ने या प्रतिबंध लगाने से ट्रेड वॉर की चिंता बढ़ती है तो निश्चित तौर पर यह दुनियाभर के बाजारों के लिए खतरा है।

अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने के प्रभाव

अमेरिका में ब्याज दर बढ़ना उन कंपनियों के लिए नकारात्मक संकेत है जिन्होने डॉलर में कर्ज ले रखा है। इस बढ़ोतरी से उनकी ब्याज दरें बढ़ जाएंगी। वहीं, ब्याज दरें बढ़ना अर्थव्यवस्था में मजबूती के संकेत है। इससे डॉलर मजबूत होगा और रुपए में कमजोरी आएगी लेकिन रुपयों में कमजोरी आना भारत की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह है। अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत से कच्चे तेल में भी मजबूती का रुख है। कच्चे तेल की कीमतें 6 हफ्तों के ऊपरी स्तर पर पहुंचकर 70 डॉलर प्रति बैरल के करीब हैं। कच्चे तेल के महंगे होने से सरकार का आयात बिल बढ़ जाता है साथ ही देश में महंगाई का खतरा बढ़ता है।

Created On :   22 March 2018 6:52 AM GMT

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