CPEC पर अमेरिकी रिपोर्ट- भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा देगी यह परियोजना
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। अमेरिकी रिसर्च इंस्टिट्यूट ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर एक रिपोर्ट पेश की है। इसमें कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान की यह महत्वाकांक्षी योजना दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है, "CPEC से चीन की दक्षिण एशिया में पैठ मजबूत होगी, वहीं भारत-पाकिस्तान के बीच इससे तनाव बढ़ जाएगा।"
विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया कार्यक्रम के उप निदेशक और वरिष्ठ एसोसिएट माइकल कुगेलमैन ने यह रिपोर्ट पेश की। कुगेलमैन के मुताबिक, चीन-पाकिस्तान की यह परियोजना मध्य-एशिया के बाजारों और प्राकृतिक गैस भंडारों तक पहुंचने के भारतीय प्रयासों में बाधाएं डाल सकती है। पाकिस्तान के अपनी धरती के इस्तेमाल से इनकार करने पर थल मार्ग के जरिये भारत की इस क्षेत्र तक सीधी पहुंच नहीं है। माइकल कुगेलमैन ने यह भी लिखा है कि CPEC की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि पाकिस्तान में कितनी स्थिरता है। इसीलिए पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति और आर्थिक प्रदर्शन में स्थिरता चीन के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि CPEC पाकिस्तान के व्यापक बिजली संकट को हल नहीं कर पाएगा। इसमें कहा गया है कि यह परियोजना पाकिस्तान को अधिक बिजली उत्पादन करने में मदद तो कर सकती है, लेकिन पाकिस्तान पूरी तरह इस योजना पर आश्रित नहीं रह सकता।
माइकल कुगेलमैन ने CPEC पर भारत के रवैये का भी जिक्र किया है। इसमें लिखा गया है, "CPEC को लेकर भारत को सबसे ज्यादा आपत्ति पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में निर्मित होने वाली परियाजनाओं पर है। भारत CPEC को लेकर कहता आया है कि यह भारत की संप्रभुता और अखंडता का उल्लंघन है।
इससे पहले अमेरिकी थिंक टैंक "अटलांटिक काउंसिल" ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर एक रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में पाक के परमाणु हथियारों को विनाशकारी बताया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान का परमाणु हथियार कार्यक्रम न केवल क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि यह जंग को परमाणु युद्ध में तब्दील कर सकता है। अटलांटिक काउंसिल ने यह बात अपनी रिपोर्ट "एशिया इन सेकंड न्यूक्लियर ऐज" में कही थी।
Created On :   29 Nov 2017 1:28 PM GMT