वट पूर्णिमाः आज ही के दिन जीवित हुए थे सत्यवान

Vat savitri vrat news in hindi, story about satyvan and savitri
वट पूर्णिमाः आज ही के दिन जीवित हुए थे सत्यवान
वट पूर्णिमाः आज ही के दिन जीवित हुए थे सत्यवान

टीम डिजिटल, भोपाल.  भारत देश मान्यताओं का देश है. आज  8  जून शुक्ल पक्ष की वट पूर्णिमा का व्रत है. वट सावित्री व्रत में महिलाएं 108 बार बरगद की परिक्रमा कर पूजा करती हैं. वट पूर्णिमा का व्रत दो बार रखा जाता है. एक बार यह कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा में रखा जाता है, जो कि इस साल 25 मई को रखा गया था, तो वहीं दूसरा शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा आज यानी 8 जून को है. आज शुक्ल पक्ष की वट पूर्णिमा का व्रत है. वट सावित्री व्रत में महिलाएं 108 बार बरगद की परिक्रमा कर पूजा करती हैं. कहते हैं कि गुरुवार को वट सावित्री पूजन करना बेहद फलदायक होता है. ऐसा माना जाता है कि सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस ले लिया था.

पूजा विधि 
मान्यता है कि जो भी महिला इस दिन व्रत रखती है उसके पति की उम्र लंबी होती है. इस दिन वट वृक्ष के नीचे बैठ कर पूजा की जाती है. व्रत के दौरान एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखने की मान्यता है. इस टोकरी को कपड़े के दो टुकड़े से ढक दिया जाता है. एक और टोकरी लेकर उसमें सावित्री की मूर्ति रखती जाती है. इसके बाद वट वृक्ष को जल, अक्षत और कुमकुम से पूजा जाता है. पूजन के बाद लाल मौली से वृक्ष के सात फेरे लगाए जाते हैं. इस व्रत में दान का बहुत महत्व है.

गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत
मान्यता के अनुसार इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने के बाद ही सुहागन को जल ग्रहण करना चाहिए. वट पूर्णिमा व्रत गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में रखा जाता है. वहीं उत्तर भारत में इस व्रत को सावित्री व्रत के रूप में मनाया जाता हैं. मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने अपने पति की जान यमराज से वापस ली थी. इसके बाद ही उन्हें सती सावित्री कहा गया. विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं.

 

Created On :   8 Jun 2017 8:28 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story